By Sanjay Swar
उत्तराखण्ड राज्य निर्माण आंदोलन में क्षेत्रीय दलों की भूमिका भले ही अग्रणी रही हो लेकिन लेकिन राज्य निर्माण के बाद से ही क्षेत्रीय दल हाशिये में चले गए। देश में जहां राज्यों में क्षेत्रीय दल मजबूत हो रहे हैं वहीं उत्तराखंड में इन दलों की स्थिति का निरंतर ह्रास होता जा रहा है। अलग उत्तराखंड राज्य का नारा देने वाला और राज्य आंदोलन की लड़ाई में अगुवा रहा उत्तराखंड क्रांति दल आज उस स्थिति में नहीं है
कि वो राज्य की तीसरी राजनैतिक ताकत के रूप में भाजपा, कोंग्रेस के सामने चुनौती पेश कर सके। उत्तराखंड के क्षेत्रीय दलों की कमजोरी भांप तीसरी ताकत की खाली जगह भरने के लिए आम आदमी पार्टी इस बीच सक्रिय हो गई है। जिस प्रकार आम आदमी पार्टी ने इस बीच अपने संगठन को मजबूती देने का काम शुरू किया है उससे लगता है कि आने वाले 2022 के चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी के संगठन का विस्तार और मजबूती क्षेत्रीय दलों के लिये गम्भीर चुनौती पेश करेगा।
हालांकि उत्तराखंड में आप का संगठन पहले से अस्तित्व में है लेकिन वो उस हद तक मजबूत नहीं था जो भाजपा या कोंग्रेस को जमीनी स्तर पर चुनौती दे सके लेकिन दिल्ली राज्य में दुबारा आप की सरकार बनने के बाद पार्टी ने उत्तराखंड में अपने संगठन को मजबूती देना शुरू कर दिया है।