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छत्तीसगढ़: भाजपा सरकार में फर्जी राशन कार्ड से हुए 2718 करोड़ का घोटाला, मामला दर्ज

छत्तीसगढ़: भाजपा सरकार में फर्जी राशन कार्ड से हुए 2718 करोड़ का घोटाला, मामला दर्ज
छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार का एक नया मामला सामने आया है। पीडीएस नाम के इस घोटाले में 2718 करोड़ रूपये हेराफेरी की गई है। ये मामला अप्रैल 2013 से दिसंबर 2018 के बीच का है। इन 5 साल के कार्यकाल में 2718 करोड़ का घोटाला हुआ है। दैनिक भास्कर के एक खबर के मुताबिक, भाजपा शासन काल के दौरान 10 लाख राशन कार्ड की मदद से तकरीबन 11 लाख टन चावल की हेराफेरी की गई।
जब ये घोटाला हुआ तब प्रदेश के मुख्यमंत्री रमन सिंह थे। फिलहाल आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने जांच के बाद तत्कालीन खाद्य अफसरों के खिलाफ धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया है। बताया जा रहा है कि पिछली भाजपा सरकार के दौरान हुए इस घोटाले के सामने आने के बाद नए सिरे से जांच शुरू की गई है।
माना जा रहा है कि नान छापों के बाद पीडीएस घोटाला छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा घोटाला है। जांच से सामने आया है कि राशन दुकानों में चावल और दूसरी खाद्य सामग्री पहुंचाने के साथ-साथ उसके सत्यापन की जिम्मेदारी संचालनालय और जिले के जिन अफसरों पर थी। अफसरों ने 10 लाख से अधिक फर्जी राशन कार्ड पूरे प्रदेश में छपवाए।
अधितर राशन कार्ड में दर्ज नाम और पते जांच में फर्जी पाए गए। लेकिन इसके बावजूद उन राशन कार्ट पर हर महीने राशन वितरण किया गया। सबसे अधिक चावल फर्जी कार्ड्स पर बांटा गया। उन राशन को माफिया के जरिए ब्लैक मार्केट में बेचा गया। EOW के मुताबिक, जांच में घोटाला कैसे किया गया सामने आया है।
ये पता लगाया जा रहा है कि इस भ्रष्टाचार में किन अफसरों की क्या भूमिका थी और उनके जरिए चीजों को कैसे अंजाम दिया गया ताकि उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सके। EOW का कहना है कि ये गोलमाल सितंबर 2013 में शुरू हुआ था तब खाद्य विभाग ने प्रदेश में नए सिरे से IPL राशन कार्ड बनाने शुरू किए थे।
प्रदेश में उस समय BPL परिवारों की संख्या 56 लाख थी, पर यकायक बढ़ाकर 72 लाख हो गया। यानी 16 लाख अतिरिक्त परिवारों को पीडीएस के चावल का वितरण किया गया। उस वक्त BPL परिवारों की संख्या 62 लाख थी पर विभाग ने 10 लाख से अतिरिक्त राशन कार्ड छापे और राशन घोटाला किया गया। EOW के अनुसार, भ्रष्टाचार का ये खेल साल 2016 के दिसंबर महीने तक चला। हर महीने के हिसाब से देखे तो 11 लाख टन से अधिक चावल वितरण में धोखाधड़ी की गई।

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