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कही राजनीति से प्रेरित तो नहीं मुलायम सिंह यादव की समधन का सस्पेंशन?

लखनऊ नगर निगम में जोनल अधिकारी पद पर नियुक्त अंबी बिष्ट का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। अंबी बिष्ट का पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की समधन होने के चलते यह मामला हाईप्रोफाइल हो गया है।

नगर आयुक्त अजय कुमार द्विवेदी इस मामले में पीछे हटने को तैयार नहीं है । जबकि कई नेताओं ने बीच-बचाव कराकर मामले को खत्म करने की कोशिश की । नगर आयुक्त अजय कुमार द्विवेदी ने मुलायम सिंह यादव की समधन अंबी बिष्ट को उनके आदेश न मानने और काम में लापरवाही के मामले में कल सस्पेंड करने की संस्तुति कर दी थी । इसके बाद यह मामला चर्चाओं में आ गया ।

कहा जा रहा है कि अंबी बिष्ट एक राजनेता परिवार की रिश्तेदार होने के चलते राजनीति का शिकार हो गई है । हालांकि , इस मामले को नगर आयुक्त अजय कुमार द्विवेदी दूसरी तरफ मोड रहे हैं। नगर आयुक्त ने शासन को लिखे पत्र में कहा है कि अंबी बिष्ट काम में लापरवाह है और सफाई व्यवस्था पर बिल्कुल ध्यान नहीं देती।

यही नहीं बल्कि उन्होंने कहा कि उनके जोनल में टैक्स वसूली भी बेहद कम है और वह अनुशासनहीनता भी करती है। इसके साथ ही अजय कुमार द्विवेदी ने अंबे बिष्ट को जोनल अधिकारी पद से हटा दिया और उनकी जगह प्रज्ञा सिंह को जोनल 6 का नया जोनल अधिकारी बना दिया।

बताया जा रहा है कि नगर आयुक्त अजय कुमार द्विवेदी और अंबी बिष्ट के बीच यह विवाद कल उस समय हुआ जब एक बैठक चल रही थी। बैठक में सफाई टैक्स और कई मामलों पर दोनों में बातचीत हो रही थी । इसी दौरान आयुक्त अजय कुमार द्विवेदी किसी बात पर मुलायम सिंह यादव के समधन अंबी बिष्ट से नाराज हो गए। उन्होंने उन्हें बैठक से तुरंत बाहर जाने को कह दिया । इसके बाद दोनों के बीच कहासुनी होने लगी । जिसने बाद में विवाद का रूप धारण कर लिया।

हालांकि, अब मामले में नया मोड़ आ गया है । पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव की मां अंबी बिष्ट ने नगर आयुक्त पर ही महिला अफसर से अभद्रता करने का आरोप लगा दिया है। अंबी बिष्ट ने कहा है कि उनके ऊपर बेवजह यह कार्रवाई की जा रही है । उन्होंने यहां तक कह दिया कि लखनऊ विकास प्राधिकरण से लेकर नगर निगम ने उनके ऊपर केवल इसलिए निशाना साधा हुआ है क्योंकि वे राज्य के बड़े राजनीतिक परिवार से संबंध रखती है।

गौरतलब है कि है कि अंबी बिष्ट दो साल पहले उस समय चर्चा में आई थी जब उन्हें नगर निगम की कार्यकारिणी बैठक में ‘महारानी’ कह दिया गया था। तब उन्हे महारानी कहने पर काफी बवाल हुआ था। हालांकि महारानी कहने वाले एक पार्षद थे। जिनके द्बारा बाद में माफी मांगने पर ही यह मामला शांत हुआ।

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