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Uttarakhand

कोरोना से निपटने के कारगर प्रयास

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने दायित्व संभाला ही था कि कोरोना की भयंकर चुनौती सामने आ गई। राज्य की वर्षों से चली आ रही लचर स्वास्थ्य सेवाओं के बावजूद इस महामारी में मुख्यमंत्री ने जो हौसला दिखाया उसकी प्रशंसा नेता प्रतिपक्ष डाॅ. इंदिरा हृदयेश तक ने की है

उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह के सामने दायित्व संभालने के वक्त से ही चुनौतियों का बड़ा पहाड़ था। जिसमें विदा हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के पिछले चार वर्षों की एन्टीइंकम्बेंसी और पार्टी के भीतर की चुनौतियां भी। लेकिन जिस चुनौती ने उनकी सबसे बड़ी परीक्षा ली वो थी कोविड-19 की दूसरी लहर जिसका सामना पूरा देश कर रहा है। शायद तीरथ सिंह रावत के सामने कोरोना से निपटने की चुनौती ज्यादा बड़ी थी क्योंकि उन्हें विरासत में स्वास्थ्य सेवाओं का ऐसा जर्जर ढांचा मिला था जिसकी ओर उत्तराखण्ड बनने के बाद किसी भी सत्ताधीश ने गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता महसूस नहीं की थी। कोरोना की पहली लहर भी सत्ता में बैठे लोगों को ये अहसास कराने में शायद असफल रही कि आने वाले वक्त में कोरोना पुनः चुनौती पेश कर सकता है और यही निश्चितता दूसरी लहर के रूप में भारी पड़ गई। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के सामने कोरोना की चुनौती बड़ी थी लेकिन उन्होंने इसे शांत भाव से निपटा जिसमें शासन- प्रशासन भी अपने दायित्व से उन्मुख नहीं रहा। जिलाधिकारियों को अपने जिलों में परिस्थितियों के अनुरूप निर्णय लेने की छूट दी गई। इन्हीं विपरीत परिस्थितियों में जगह-जगह आक्सीजन प्लांट स्थापित कर, कोविड अस्पतालों के निर्माण को प्राथमिकता दी गई जो तात्कालिक रूप से तो लाभकारी है ही, वहीं जैसा कि प्रधानमंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार ने कोरोना की तीसरी लहर के बारे में चेताया है, तीसरी लहर की चुनौती का सामना करना पड़ा तो वर्तमान में स्थापित सुविधाएं उस वक्त कारगर साबित होंगी।

उत्तराखण्ड में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा ऋषिकेश और हल्द्वानी में पांच सौ बेड के आधुनिक सुविधाओं से लैस दो कोविड अस्पताल भविष्य में कोरोना की चुनौतियों से निपटने में महत्वपूर्ण साबित होंगे। ऋषिकेश में आईडीपीएल और हल्द्वानी में राजकीय मेडिकल काॅलेज परिसर में आधुनिक सुविधाओं से लैस अस्पताल चालू हो गये हैं। खास बात ये है कि इन कोविड अस्पतालों के निर्माण के लिए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने प्रधानमंत्री व रक्षामंत्री से व्यक्तिगत रूप से अनुरोध किया था। ऋषिकेश का कोविड चिकित्सालय पूर्व में ही चालू हो गया था। हल्द्वानी में डीआरडीओ द्वारा निर्मित कोविड अस्पताल का नाम जनरल बीसी जोशी कोविड अस्पताल रखा गया है।

राजकीय मेडिकल काॅलेज परिसर हल्द्वानी में 500 बेड का निर्माण रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन द्वारा किया गया है जिसे डीआरडीओ की हल्द्वानी स्थित अनुशांषिक इकाई रक्षा जैव ऊर्जा अनुसंधान (डिबेर) में बनाया गया है। डिबेर की निदेशक डाॅ ़ मधुबला ने बताया कि अस्पताल में 375 आक्सीजन सपोर्टेड और 125 आईसीयू बेड हैं जिसमें आॅक्सीजन की सप्लाई के लिए 50 किलोलीटर का आॅक्सीजन टैंक बनाया गया है। बीआरडीओ के चैयरमेन और सचिव श्री सतीश रेहडी डीआरडीओ के मुख्य अभियंता गगन वाधवा के नेतृत्व में 25 दिन में अस्पताल बनकर तैयार हो गया है। डिबेर की निदेशक मधुबाला ने बताया कि मौसम की बाधा के चलते कार्य 5 दिन देर से पूरा हुआ वरना ये 20 दिन में तैयार हो जाता जनरल बीसी जोशी कोविड केयर सेंटर में तीसरी लहर की चेतावनी को देखते बच्चों के लिए 50 बेड का अलग से वार्ड बनाया गया है। जिसमें अभिभावकों के लिए अलग से व्यवस्था की गई है। ब्लैक फंगस के मरीजों के लिए इसमें अलग वार्ड की व्यवस्था की गई है। वेंटिलेटर की व्यवस्था अलग से है।

जनरल बीसी जोशी कोविड केयर सेंटर का मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने वर्चुवली उद्घाटन किया। मुख्यमंत्री ने इस कोविड सेंटर की स्थापना के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि तीसरी लहर को दृष्टिगत रखते हुए इस कोविड सेंटर का फायदा कुमाऊं के सीमांत क्षेत्र के लोगों को मिलेगा। नैनीताल जिले के कोविड प्रभारी मंत्री बंशीधर भगत ने कहा कि कोविड सेंटर आधुनिक सुविधाओं से युक्त है जिसका लाभ आम आदमी को मिलेगा। सांसद अजय भट्ट ने मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की प्रशंसा करते हुए कहा कि तीरथ जी के नेतृत्व में सरकार सराहनीय कार्य कर रही है। सुदूर क्षेत्रों में आक्सीजन व कन्सन्ट्रेटर की सुविधा बढ़ाने में सरकार की पहल सराहनीय है। नेता प्रतिपक्ष डाॅ ़ इंदिरा हृदयेश ने इस कोविड सेंटर की स्थापना के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि हल्द्वानी में कुमाऊं ही नहीं उत्तर प्रदेश के मरीजों का भी दबाव है। और स्वास्थ्य के क्षेत्र में निरंतर सुधार की गुंजाइश रहती है। इस लिए सरकार को निरंतर स्वास्थ्य सेवाओं के विकास के लिए प्रयासरत रहना चाहिए। उत्तराखण्ड के डीआरओ द्वारा निर्मित अस्थाई कोविड अस्पतालों के निर्माण व उनके संचालन की पहल मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की दूरदर्शिता को दर्शाता है। तीसरी लहर की भविष्यवाणी के मद्देनजर ये पहल उन आपात परिस्थितियों के लिए सरकार की अपनी भूमिका दर्शाने के लिए काफी है जिनकी अपेक्षा जनता अपने जनप्रतिनिधियों से करती है।

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