[gtranslate]
Uttarakhand

सीएम दरबार की साख पर सवाल

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भ्रष्टाचार पर लगातार एक्शन लेते नजर आते हैं लेकिन उनके कार्यालय में तैनात रहे एक पूर्व निजी सचिव ने ऐसा काम कर दिया जिससे सीएम दरबार की साख पर सवाल खड़े हो गए हैं

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी प्रदेश में भ्रष्टाचार का सफाया करने के बेशक दावे करें लेकिन उनका कार्यालय ही इसकी चपेट में आ गया है। मुख्यमंत्री धामी के पूर्व निजी सचिव रहे प्रकाश चंद उपाध्याय पर पंजाब के एक भाजपा नेता और कारोबारी को प्रदेश में दवा सप्लाई का ठेका और सरकारी टेंडर दिलवाने के नाम पर 3 करोड़ 42 लाख रुपए की ठगी के आरोप लगे हैं। इस मामले में कोतवाली देहरादून में प्रकाश चंद उपाध्याय के अलावा सात अन्य लोगों पर भी मुकदमा दर्ज किया गया है।
जानकारी के अनुसार पंजाब के पटियाला जिले के भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष और कारोबारी संजीव कुमार की मुलाकात मुख्यमंत्री के निजी सचिव प्रकाश चंद उपाध्याय के साथ हुई जो कि जल्द ही दोस्ती में बदल गई। इसके बाद प्रकाश चंद उपाध्याय ने उनको बताया कि वे उत्तराखण्ड में सरकारी ठेकों और टेंडर दिलावने में उनकी सहायता कर सकते हैं। जिस पर संजीव कुमार द्वारा उपाध्याय के कहने पर उनको अलग-अलग तिथियों में 3 करोड़ 42 लाख रुपए दिए गए।
आरोप है कि प्रकाश चंद उपाध्याय ने रकम लेने के बाद भी उनका काम नहीं किया और न ही रकम वापस की। ज्यादा दबाव बनाने पर उपाध्याय ने सजीव कुमार से मार्च 2023 में रकम लौटाने की बात कही लेकिन रकम नहीं लौटाई। संजीव कुमार द्वारा रकम लोटाने का दबाव बनाया गया तो उपाध्याय ने उनको अपने आवास पर बुलाया और अपने नौकर शाहरुख के खाते से 30 लाख का चेक दिया जो कि बाउंस हो गया। इस पर संजीव कुमार द्वारा अपनी रकम को वापस करने का दबाव फिर बनाया गया तो प्रकाश चंद उपाध्याय ने अपने रसूख का उपयोग करते हुए संजीव कुमार और उनके साथियों पर ही मारपीट करने और जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाते हुए पुलिस में मुकदमा दर्ज करवा दिया।

इस मामले को लेकर संजीव कुमार और साथी पीड़ित मुख्यमत्री पुष्कर सिंह धामी से मिले तो मुख्यमंत्री द्वारा इस मामले में कार्यवाही करने के आदेश दिए गए। जिसके बाद कोतवाली देहरादून में प्रकाश चंद उपाध्याय के साथ-साथ उपाध्याय के साथी सौरभ शर्मा उर्फ सौरभ वत्स निवासी पाम सिटी, उसकी पत्नी नंदिनी, महेश महारिया, रौनक महारिया, अमित लांबा और शाहरुख खान के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया गया है। मामले में कई बातें साफ हो चली हैं कि प्रदेश में आज भी सरकारी ठेके और टेंडर दिलवाने के नाम पर शासन-सत्ता में बैठे कई दलालों का एक संगठित गिरोह काम कर रहा है जिस पर राज्य बनने के बाद लगाम लगाना तो दूर इनको संरक्षण दिया जाता रहा है।
मुख्यमंत्री कार्यालय में जिस तरह से राजनीतिक कार्यकर्ताओं और अपने चहेते लोगों को थोक के भाव में तैनाती मिलती रही, यह उसका ही दुष्परिणाम है कि मुख्यमंत्री के पूर्व निजी सचिव पद से हटने के बाद भी प्रकाश बड़ी आसानी से सचिवालय के गलियारां मे घूम-घूमकर सरकारी ठेकों और टेंडर दिलाने की दलाली करता रहा जिसमें वह आसानी से सफल भी हो जाता है।

ऐसा नहीं है कि पहली बार यह मामला सामने आया है बल्कि पूर्व में भी इसी तरह से मुख्यमंत्री कार्यालय में जमीनों के सौदागरों और आपराधिक प्रवृति के लोगों की घुसपैठ के मामले सामने आते रहे हैं। पहली निर्वाचित कांग्रेस की एनडी तिवारी सरकार के समय में तो सचिवालय और मुख्यमंत्री कार्यालय में देर रात तक आवागमन होने के मामले कई बार सुर्खियां बटोर चुके थे। स्वर्गीय तिवारी के निजी सचिव की आत्महत्या के मामले में भी इसी तरह की शंकाएं उठी थी। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिह रावत के कार्यकाल में तो और भी हालात चिंताजनक थे। मुख्यमंत्री कार्यालय में प्रोपर्टी डीलरों औेर साहूकारां द्वारा मुख्यमंत्री से मुलाकात करने और फोटो खिंचवाकर सोशल मीडिया में डालकर जमकर प्रचार किया जाता था। जिसमें कई ऐसे लोगों की मुख्यमंत्री के साथ मुलाकातां के फोटो भी सामने आए जिन पर मुकदमे तक दर्ज हुए हैं। भर्ती घोटाले का मास्टर मांइड रहा हाकम सिंह इसका उदाहरण है। हाकम का जलवा मुख्यमंत्री कार्यालय में यह था कि वह बगैर किसी जांच और समय लिए ही वहां चला जाता था।

मुख्यमत्री पुष्कर सिंह धामी के पहले कार्यकाल में भी एक मामला ऐसा आ चुका है जिसमें उनके कार्यालय में एक आपराधिक प्रवृति के तांत्रिक बाबा प्रियव्रत अनिमेश का सीधा दखल था। उससे अपनी पुस्तक का विमोचन करवाने के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय को चुना। उस बाबा ने अपनी पुस्तक का विमोचन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के हाथों न सिर्फ करवाया, बल्कि उसका सोशल मीडिया में जमकर प्रचार-प्रसार भी किया। चौकाने वाली बात यह है कि इस बाबा के खिलाफ ऋषिकेश कोतवाली में लाखों की ठगी का मुकदमा तक दर्ज था। बावजूद इसके बाबा आसानी से मुख्यमंत्री तक अपनी पहुंच बनाने में सफल रहा। यही नहीं प्रियव्रत अनिमेश नाम के इस तांत्रिक बाबा के अनेक राजनीतिज्ञों और उच्चाधिकारियों, यहां तक कि आईपीएस अधिकारियों से बड़े घनिष्ठ संबंध रहे हैं। ‘दि संडे पोस्ट’ ने इस खबर को प्रमुखता से अपने वर्ष 13, 24 जुलाई के अंक 5 में ‘‘राजा के दरबार में ठग’’ शीर्षक से प्रकाशित किया था। जिसमें मुख्यमंत्री कार्यालय में ऐसे तत्वां की घुसपैठ का उल्लेख किया गया था।

एक आपराधिक प्रवृति के व्यक्ति की मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंच किस तरह और किसके द्वारा करवाई गई यह सवाल भी शासन और सचिवालय के गलियारों में गूंजता रहा। हालांकि मामले के खुलासे के बाद उक्त बाबा के खिलाफ कार्रवाई की गई और उसे जेल भेजा गया लेकिन उक्त बाबा को मुख्यमंत्री तक पुहंचाने के पीछे किसका हाथ था इसका खुलासा आज तक सार्वजनिक नहीं हो पाया। उस समय सत्ता के गलियारों में यह चर्चा जमकर उड़ी कि इसके पीछे मुख्यमंत्री के निजी सलाहकारों और सचिवां की फौज में से ही कोई था जिसने उस तांत्रिक की मुख्यमंत्री कार्यालय तक पुहंच बनवाई और उसकी किताब का विमोचन तक करवा दिया।

You may also like

MERA DDDD DDD DD
bacan4d toto
bacan4d toto
Toto Slot
slot gacor
slot gacor
slot toto
Bacan4d Login
bacan4drtp
situs bacan4d
Bacan4d
slot dana
slot bacan4d
bacan4d togel
bacan4d game
slot gacor
bacan4d login
bacantoto 4d
toto gacor
slot toto
bacan4d
bacansport
bacansport
bacan4d
bacan4d
bacan4d
bacan4d
bacan4d
bacan4d
bacan4d
slot gacor
slot77 gacor
Bacan4d Login
Bacan4d toto
Bacan4d
Bacansports
bacansports
slot toto
Slot Dana
situs toto
bacansports
bacan4d
bacan4d
bacan4d
bacan4d
bacan4d
slot gacor
bacan4d
bacan4d
bacan4d online
bandar slot
bacan4d slot toto casino slot slot gacor