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पंजाब कांग्रेस में इन दिनों भारी अफरा-तफरी का दौर है। मुख्यमंत्री अमरिन्दर सिंह से नाराज विधायकों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। राज्य विधानसभा के चुनाव मात्र आठ माह बाद होने हैं। ऐसे में पार्टी आलाकमान इन दिनों प्रदेश संगठन में एका बनाने की कवायद तो कर रहा है लेकिन कैप्टन अमरिंदर सिंह का अड़ियल रूख इस प्रयास को परवान नहीं चढ़ते दे रहा है। अमरिंदर सिंह पार्टी आलाकमान तक की सुनने को तैयार नहीं है। राज्य के प्रभारी महासचिव हरीश रावत ने पिछले दिनों कैप्टन के खिलाफ बगावत का बिगुल बजा चुके नवजोत सिंह सिद्दू को जैसे-तैसे मनाया लेकिन अमरिंदर सिंह को रावत इस बात के लिए राजी नहीं कर पाए कि वे सिद्दू को वापस मंत्रिमंडल में शामिल कर लें। कुछ समय तक खामोश रहने के बाद अब सिद्दू एक बार फिर से कैप्टन पर हमलावर हो चुके है। राज्यसभा सासंद और राहुल गांधी के करीबी कहलाए जाने वाले वरिष्ठ कांग्रेसी प्रताप सिंह बाजवा ने भी कैप्टन के खिलाफ घेराबंदी शुरू कर डाली है। स्थिति की गंभीरता को भांपते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अब प्रदेश संगठन में हालात सामान्य करने के लिए एक तीन सदस्यीय कमेटी बना डाला है। इस कमेटी में हरीश रावत के अलावा पार्टी के राज्यसभा में नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और दिल्ली के कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष जे ़पी ़ अग्रवाल शामिल हैं। इन दिनों यह कमेटी राज्य के सभी विधायकों से एक-एक कर मिल रही है। जानकारों का दावा है कि कैप्टन के अड़ियल रूख से सख्त नाराज सोनिया इस कमेटी की रिपोर्ट आने के पश्चात प्रदेश कांग्रेस की कमान सिद्दू को सौंपने का मन बना चुकी हैं। यदि ऐसा होता है तो यह देखना खासा दिलचस्प होगा कि अमरिंदर सिंह इस फैसले को स्वीकारेंगे या फिर बगावत कर अलग क्षेत्रिय दल बनाने का प्रयास करेंगे।

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