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सैनिटाइजर का कर रहें है इस्तेमाल, तो जरूर पढ़ें यह खबर

विश्व भर में कोरोना का कहर अब भी जारी है। एक बार फिर से  कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं। इन हालात में फिर से कई देशों में  लॉकडाउन लगने के आसार बन रहे हैं। कई देशों ने तो लॉकडाउन लगा भी दिया है। चिंता का विषय यह है कि कोरोना के बढ़ते खतरे ने विश्व की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। चीन से पूरी दुनिया में कोहराम मचाने वाले कोरोना वायरस के आने बाद हर किसी की जिंदगी में कई बदलाव आये हैं। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए हर कोई दो गज दूरी मास्क जरुरी की नीति का अनुसरण कर रहा है। तो वहीं एक काम और है जो हम भूलते ही नहीं वो है हैंड सैनिटाइज करना। लेकिन इस बीच एक ऐसी खबर सामने आई है जिसको सुनकर हम चिंतित हो जायेगें।

दरअसल, हम दिन-भर जिन सैनिटाइजर का इस्तेमाल खुद को वायरस से बचाने के लिए कर रहे हैं वहीं हमें कैंसर का मरीज बना सकते हैं। ये बात हम नहीं कह रहे है बल्कि हाल ही में आई ताजा एक रिपोर्ट में ये बात सामने आई है। रिपोर्ट में पाया गया है कि 44 सैनिटाइजर में कैंसर का खतरा बढ़ाने वाले खतरनाक रासयनिक तत्वों का घड़ल्ले से प्रयोग किया जा रहा है।

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कोरोना महामारी की दस्तक देने के बाद से ही दुनिया भर में सैनिटाइजर की खपत बढ़ गई है। इसलिए इसका उत्पादन भी बड़ी मात्रा में किया जा रहा है। ऐसे में घर से लेकर सार्वजनिक स्थान पर भी सैनिटाइजर उप्लब्ध है। हर जगह सैनिटाइजर का जमकर इस्तेमाल हो रहा है। लोग सैनिटाइजर यूज़ करने के बाद खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं।

इसलिए इसके अधिक प्रयोग को देखते हुए न्‍यू हेवन में स्थित ऑनलाइन फॉर्मेसी फर्म वैलिजर ने अध्ययन किया कि क्या लंबे समय तक सैनिटाइजर इस्तेमाल करना नुकसानदेह साबित हो सकता है।

वैलिजर ने इसपर गहन अध्ययन किया। इस स्टडी को पूरा करने के लिए 260 से अधिक हैंड सैनिटाइजर की जांच की गई। इसके बारे में वैलिजर ने  अमेरिकी खाद्य एवं औषधि विभाग (एफडीए) को एक पत्र लिखकर जानकारी दी है।

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वैलिजर ने एफडीए को लिखे पत्र में बताया कि कोरोना महामारी में हैंड सैनिटाइजर की मांग बढ़ी है। इस बीच, न्यू हेवन स्थित एक ऑनलाइन फार्मेसी वेलिजर ने कई ब्रांन्ड के 260 से अधिक हैंड सैनिटाइजर पर गहन अध्यन किया, जिसमें 44 से अधिक सैनिटाइजर में बेंजीन समेत कैंसर का खतरा पैदा करने वाले कई खतरनाक कैमिकल मिले हैं।

 क्या है ‘बेंजीन’

बेंजीन एक तरल रसायन है जो आमतौर पर रंगहीन होता है, लेकिन कभी-कभी यह सामान्य कमरे के तापमान पर पीला दिखता है। बेंजीन के उच्च स्तर के संपर्क में होने के कारण शरीर में रक्त वाहिकाएं ठीक से काम नहीं करती हैं। कभी-कभी लाल रक्त कोशिकाएं बनना बंद हो जाती हैं या सफेद रक्त के गोले कम होने लगते हैं, जिससे प्रतिरक्षा प्रणाली बहुत कमजोर हो जाती है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की अंतरराष्ट्रीय एजेंसी ‘रिसर्च ऑन कैंसर’ ने बेंजीन की पहचान एक कार्सिनोजेन के रूप में की है। कार्सिनोजेन्स को सबसे अधिक जोखिम वाले समूह -1 में रखा गया है। गौरतलब है कि कार्सिनोजेन (carcinogen) एक ऐसा पदार्थ है, जिस से शरीर में कैंसर पैदा होने की संभावना बन जाती है।

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