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सोनिया गांधी से तल्ख़ रिश्तों के चलते PV Narasimha Rao का दिल्ली में नहीं हुआ अंतिम संस्कार

NARSIMHA RAV

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री PV Narasimha Rao को लेकर चर्चा में रहे, वह थी सोनिया गांधी के साथ उनकी नाराजगी। रार की वजह से सम्बन्ध इतने ख़राब हो गए थे कि नरसिम्हा राव की मौत के बाद उनके शव को कांग्रेस मुख्यालय के अंदर तक लाने की इजाजत तक नहीं मिली।

सोनिया गांधी से तल्ख़ रिश्तों के चलते PV Narasimha Rao का दिल्ली में नहीं हुआ अंतिम संस्कारदेश के पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव (P. V. Narasimha Rao) का जन्म 28 जून वर्ष 1921 को वर्तमान तेलंगाना के लेकनेपल्ली में हुआ था। वह देश के 10वें प्रधानमंत्री बने। P.V. Narasimha Rao के कार्यकाल में ही देश में परमाणु बम और मिसाइलों पर भारत ने काम करना शुरू किया था।पीवी नरसिम्हा राव के शासन में ही पंजाब में आतंकवाद का खात्मा हुआ था।

PV Narasimha Rao,  सोनिया गांधी से क्यों हुए थे नाराज?

कहा जाता है कि इस नाराज़गी के पीछे वैसे तो कोई निजी बात नहीं थी लेकिन सोनिया गांधी से पीवी नरसिम्हा राव की नाराजगी का दुष्प्रभाव उस वक़्त कई कांग्रेसियों को भुगतना पड़ा था।  माना जाता है कि उनके प्रधानमंत्री पद को लेकर सोनिया गांधी से उनकी नाराजगी शुरू हुई थी।अपने करीबी पत्रकार को एक बार नरसिम्हा राव ने बताया था कि,’ वो कई बार सोनिया गांधी को जब फोन करते तो वह उन्हें काफी देर तक होल्ड पर रुकना पड़ता। यही नहीं जब वह उनसे मिलने जाते तो सोनिया गांधी उनसे काफी इंतजार भी करवाती थीं।’

बस फिर क्या था यहीं से  PV Narasimha Rao के रास्ते सोनिया गांधी से अलग हो गए थे। एक किताब में भी इस बात का खुलासा किया गया है कि PV Narasimha Rao ने अपने प्रधानमंत्री रहते सोनिया गांधी के आवास 10 जनपथ पर आईबी को लगा रखा था। 10 जनपथ की हर ख़बर PV Narasimha Rao तक पहुंचती थी। इस बारे में उन्होंने करीबी पत्रकार से कहा था कि नरसिम्हा राव तो फोन पर सोनिया गांधी का इंतजार कर सकते हैं।लेकिन प्रधानमंत्री इंतजार नहीं कर सकते हैं। अगर प्रधानमंत्री को सोनिया गांधी के फोन पर इंतजार करना पड़े तो यह प्रधानमंत्री के पद और ओहदे का अपमान होगा।

इन्हीं कारणों की वजह से PV Narasimha Rao कांग्रेस परिवार के मुखियाओं से दूर होते हैं और लोगों की आंखों में नासूर भी बनते गए।

Narasimha Rao

PV Narasimha Rao के शव को कांग्रेस मुख्यालय में नहीं मिला प्रवेश, गेट तक नहीं खोला गया

23 दिसंबर 2004 को पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने करीब 11 बजे एम्स में आखिरी सांस ली थी।लगभग ढाई बजे उनका शव एम्स से उनके आवास 9 मोती लाल नेहरू मार्ग लाया गया।उस समय चर्चित आध्यात्मिक गुरु चंद्रास्वामी, राव के 8 बेटे-बेटियां, भतीजे और परिवार के अन्य लोग घर पर मौजूद थे।

PV Narasimha Rao का शव एम्स से घर पहुंचने के बाद असल राजनीति शुरू हुई।तत्कालीन गृह मंत्री शिवराज पाटिल ने राव के छोटे बेटे प्रभाकरा को सुझाव दिया गया,’ अंतिम संस्कार हैदराबाद में किया जाए।’

हालांकि परिवार दिल्ली में ही अंतिम संस्कार पर अड़ा था।थोड़ी देर बाद की तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गांधी(Sonia Gandhi) के एक और करीब गुलाब नबी आजाद 9 मोती लाल नेहरू(Nehru) मार्ग पहुंचे।उन्होंने भी राव के परिवार से शव को हैदराबाद ले जाने की अपील की।

अगले दिन यानी 24 दिसंबर को तिरंगे में लिपटी राव की बॉडी को एक तोप गाड़ी (गन कैरिज) में रखा गया।PV Narasimha Rao का शव कांग्रेस मुख्यालट के बाहर पहुंचा। पार्टी मुख्यालय का गेट बंद था।वहां कांग्रेस(congress) के तमाम नेता मौजूद थे, लेकिन सब चुप्पी साधे हुए थे। इतना ज़रूर हुआ कि सोनिया गांधी और अन्य नेता अंतिम विदाई देने के लिए जरूर बाहर आए।

वैसे किसी भी नेता के निधन के बाद उसका शव पार्टी मुख्यालय में आम कार्यकर्ताओं के दर्शन के लिए रखने का रिवाज था।ऐसे में  PV Narasimha Rao के परिजनों को इस बात की उम्मीद भी नहीं थी कि ऐसा भी हो सकता है। करीब आधे घंटे तक शव को ले जा रही तोप गाड़ी बाहर खड़ी रही और फिर यह एयरपोर्ट के लिए रवाना हो गयी।

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