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दीपावली उपहार के जरिए चुनाव प्रचार में जुटी भाजपा 

उत्तर प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी भाजपा जहां दस  महीनों से नए कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के निशाने पर है वहीं बढ़ती महंगाई को लेकर जनता को राहत देने में असमर्थ दिखाई दे रही है। ऐसे में कुछ ही महीनों में उत्तर प्रदेश सहित  पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश सबसे अहम राज्य है।  इसके लिए प्रदेश में  भाजपा ने अपने तीस लाख बूथ कार्यकर्ताओं को दीपावली के उपहार भेज  खुद को बूथ स्तर तक मजबूत करने की कोशिशें तेज कर दी हैं।

 

वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने बूथ प्रबंधन पर जोर दिया था और बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं के घर जाकर, भोजन करके एक परिवारिक माहौल बनाने की कोशिश की थी। अमित शाह ने प्रदेश के हर क्षेत्र में बूथ स्तर के सम्मेलनों को भी संबोधित किया। इस दौरान पार्टी ने बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को दीपावली का उपहार भेजा है। दरअसल , कल 29 अक्टूबर को  केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह की लखनऊ में सभा आयोजित की गई है।

उपहार के पैकेट में कमल दीपक
राज्य में एक लाख 63 हजार बूथ हैं और भाजपा ने डेढ़ लाख से अधिक बूथों पर 20-20 सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। राज्य में भाजपा के 30 लाख से अधिक बूथ स्तर के कार्यकर्ता हैं। पार्टी ने बूथ कमेटी के सभी सदस्यों को उपहार भेजा है। उपहार के पैकेट में तोरण द्वार और कमल दीपक है। कमल दीपक मिट्टी का दीया है जो भाजपा के चुनाव चिह्न कमल के आकार का है।

भाजपा के प्रदेश इकाई के उपाध्यक्ष और विधान परिषद सदस्य विजय बहादुर पाठक ने  कहा कि हम सब एक साथ काम करते हैं और बूथ कार्यकर्ता भाजपा परिवार की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी है। दीपावली पर उपहार देने की परंपरा रही है इसलिए पार्टी ने 30 लाख से अधिक बूथ कार्यकर्ताओं को दीपावली का उपहार भेजा है।

पार्टी का पूरा ध्यान 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव पर है और चुनाव चिह्न जन-जन के बीच ले जाना स्वाभाविक प्रक्रिया है। कमल का दीपक जलेगा तो न केवल अंधेरा मिटेगा बल्कि यह विश्वास भी मजबूत होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ  की सरकारों ने विकास योजनाओं की जो कड़ी शुरू की है, उस श्रृंखला को और आगे बढ़ा ,तेजी से पूरा किया जाएगा।

भारतीय जनता पार्टी ने 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले तत्कालीन समाजवादी पार्टी की सरकार के खिलाफ परिवर्तन की मुहिम शुरू की और राज्य में चारों दिशाओं से परिवर्तन यात्राएं निकालकर अपना संकल्प दोहराया था। उत्तर प्रदेश की 403 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा और सहयोगी दलों को 325 सीटों पर जीत मिली। इस जीत के पीछे भाजपा के बूथ प्रबंधन की रणनीति को ही राजनीतिक विश्लेषकों ने सबसे कारगर माना था।

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