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अरविंद बनाम संजय सिंह, राघव चड्डा, दिलीप पाण्डेय…

दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के सर्वेसर्वा अरविंद केजरीवाल ने भारतीय राजनीति में अपनी पहचान एक बागी तेवरों वाले राजनेता के बतौर स्थापित की थी। पहली बार 2013 में दिल्ली की सत्ता पर काबिज केजरीवाल ने केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस संग पहले ही दिन से मोर्चा खोल लिया था। 2015 में दोबारा सत्ता संभालने के बाद भी उनके बागी तेवर बने रहे। दिल्ली के उपराज्यपाल और केंद्र सरकार संग उनकी पटरी कभी नहीं बैठी। हालात इतने खराब हो गए कि एक तरफ दिल्ली के नौकरशाहों ने केजरीवाल सरकार संग असहयोग का एलान कर डाला तो दूसरी तरफ राज्य सरकार के अधिकारों को लेकर केजरीवाल सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचे। 2020 में सत्ता में एक बार फिर वापस लौटे केजरीवाल के बागी तेवर हवा हो चुके हैं। बात-बात में मोदी और भाजपा को कोसने वाले केजरीवाल ने अब मानो हथियार डाल दिए हैं। न तो दिल्ली के उपराज्यपाल को लेकर इन दिनों वे मुखर हो रहे हैं, न ही पीएम मोदी पर कोई टिप्पणी वे इन दिनों कर रहे हैं।

 

पार्टी सूत्रों की मानें तो ‘आप’ के कई वरिष्ठ नेता केजरीवाल के इस रूप पर खासे चिंतित हैं। इन नेताओं का मानना है कि केजरीवाल धीरे-धीरे सत्ता परस्त होते जा रहे हैं। 18 मई को पार्टी के सांसद सांसद संजय सिंह पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा के साथ राजघाट पर लॉकडाउन के दौरान परेशान मजदूरों के मुद्दे को लेकर धरने पर बैठे। इन नेताओं के साथ तिमारपुर से पार्टी के विधायक दिलीप पाण्डे भी शामिल थे। केंद्र सरकार को इन नेताओं ने मजदूरों की दुर्दशा के लिए जिम्मेदार मानते हुए जमकर कोसा। केजरीवाल को अपने साथियों का यह रवैया इतना नागवार गुजरा कि उन्होंने मीडिया संग बातचीत करते हुए कह डाला कि कोरोना महामारी के समय इस प्रकार की राजनीति करना ठीक नहीं।

इतना ही नहीं पार्टी प्रवक्ता राघव चड्डा के उस बयान से भी केजरीवाल ने दूरी बना डाली जिसमें चड्डा ने मजदूरों के पलायन की तुलना 1947 में हुए बंटवारे की परिस्थितियों से करते हुए केंद्र सरकार के मिसमैनेजमेंट पर निशाना साधा था। केजरीवाल ने एक तरह से केंद्र सरकार का बचाव करते हुए कहा कि इस प्रकार के बयान नहीं दिए जाने चाहिए। कोई भी सरकार कितना भी काम करे, कुछ न कुछ छूट जाता है। अगर 100 काम करेंगे तब भी लोग 10-20 उन कामों को लेकर आलोचना करेगी ही जो सही तरीके से नहीं हो पाए। खबर है क अपने नेता के इन बयानों से पार्टी के भीतर खासी बेचैनी है। खबर यह भी है कि एक बड़े नेता इन दिनों आप विधायकों की बढ़ती नजदीकी से आप संयोजक न केवल बेचैन और चिंतित हैं, बल्कि इस नेता के पर कतरने की तैयारी में भी जुट गए हैं। इस सबके बीच पार्टी सूत्रों का दावा है कि राज्यसभा सांसद संजय सिंह मजदूरों की दुर्दशा को मुद्दा बना केंद्र सरकार पर बड़ा हमला बोलने की रणनीति बना रहे हैं। विपक्षी नेताओं संग संजय सिंह इस मुद्दे पर लगातार सपंर्क बनाए हुए हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या केजरीवाल अपने विश्वस्त साथी संजय सिंह के बगावती तेवरों पर लगाम डाल पाएंगे? सवाल यह भी उठता है कि सत्ता विरोधी तेवरों के लिए जाने जाते रहे संजय सिंह लगाम स्वीकारेंगे या फिर…

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