भारत – चीन दोनों देशों के बीच काफी समय से सीमा विवाद को लेकर तनाव जारी है। इस बीच अब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ताकतवर टेबल पर भारत की मौजूदगी भी चीन को खटक रही है। पिछले हफ्ते ही संयुक्त राष्ट्र से भारत के लिए अच्छी खबर आई थी कि अगले वर्ष भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नहीं बल्कि संयुक्त राष्ट्र की तीन महत्वपूर्ण समितियों की अध्यक्षता करेगा । इन समितियों में तालिबान प्रतिबंध समिति, आतंकवाद-रोधी समिति 2022 के लिए और लीबिया प्रतिबंध समिति शामिल थी । लेकिन इस बीच चालबाज चीन अलग-अलग तरीकों से संयुक्त राष्ट्र में भारत की राह में रोड़ा खड़ा करने का प्रयास कर रहा है।
दरअसल, चीन ने अलकायदा प्रतिबंध कमेटी की अध्यक्षता की राह में रोड़ा किया है। सूत्रों की मानें तो चीन ने आतंकियों को प्रतिबंधित सूची में डालने वाली अलकायदा सेंक्शन कमेटी की अध्यक्षता पर अड़ंगा लगाया है । हालांकि, पिछले हफ्ते ही सुरक्षा परिषद में भारत आतंकवाद निरोधक मामलों और लीबिया व तालिबान संबंधी मसलों की कमेटी की अध्यक्षता हासिल कर चुका है।
दरअसल, सुरक्षा परिषद में सदस्य देशों के लिए क्रमिक अध्यक्षता का प्रावधान है। साथ ही परिषद के तहत काम करने वाली अलग -अलग कमेटियों में अस्थाई सदस्यों को भी अगुवाई का मौका दिया जाता है। चीन अकेला ऐसा देश था जिसने अलकायदा कमेटी में भारत की अध्यक्षता के प्रस्ताव का विरोध किया। बीते दिनों जब भारत के आतंकवाद विरोधी मामलों को देखने वाली और आतंकवादियों व आतंकी संगठनों पर प्रतिबंध तय करने वाली अल कायदा सेंक्शन कमेटी की अध्यक्षता का मामला आया तो चीन ने अड़ंगा लगाया।
ऐसे में अध्यक्षता नॉर्वे को दी गई। हालांकि भारत आतंकवाद निरोधक मामलों सम्बन्धी समिति की अध्यक्षता करेगा। चीनी विरोध के कारण का यह पहला मौका है जब सुरक्षा परिषद की तालिबान व अल कायदा संबंधी उप समितियों की अध्यक्षता अलग-अलग देशों के पास होगी। हालांकि उम्मीद की जा रही है कि अगले साल भारत के पास अल-कायदा संबंधी प्रतिबंध समिति की अगुवाई आ सकती है।
इससे पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यूएनएससी में बीते 1 जनवरी 2021 को दो साल की अवधि के लिए भारत की सदस्यता ग्रहण करने के बाद पहली बार यूएन को संबोधित किया। अपने पहले संबोधन में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दुनिया से आतंकवाद के खिलाफ बिना किसी किंतु-परन्तु के निर्णायक कार्रवाई का आह्वान किया है।यूएन में अपने संबोधन के दौरान जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस
की जरूरत है। एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में संयुक्त र प्रणाली के लिए आतंकवाद के खतरे को संबोधित करने और प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए आठ सूत्रीय एजेंडा दिया। चीन के नाम का उल्लेख किए बिना उन्होंने कहा कि किसी कारण के बिना आतंकवादी सूची को बाधित करने और रोकने की प्रथा समाप्त होनी चाहिए। यह केवल हमारी सामूहिक विश्वसनीयता को नष्ट करती है।गौरतलब है कि बीजिंग ने मसूद अजहर को 10 साल के लिए अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी के रूप में सूचीबद्ध करने की राह में रोड़ा अटकाया था।