अपने लोकतांत्रिक अधिकार और निर्वाचित को सरकार को बहाल करने की मांग को लेकर म्यांमार में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे आंदोलनकारियों पर सेना की क्रूरता जारी है। म्यांमार की जनता करीब एक महीने से सेना के चंगुल से खुद को आजाद करवाने के लिए जद्दोजहद में लगी है। लेकिन सेना के चंगुल से आजादी तो नहीं लोगों को मौत जरूर मिल रही है। सेना की कार्रवाई में अब तक 70 से अधिक प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई है। वहीं, हिरासत में करीब 1500 लोगों को लिया गया है। जनता तो त्राहि-त्राहि कर ही रही है लेकिन अब देश के पुलिसकर्मी भी नाराज हैं। अपने लोगों पर गोलियां बरसाना उन्हें बुरा लग रहा है। लेकिन अपने से बड़े अधिकारियों के आदेश का पालन करने को वह विवश हैं। गौरतलब है कि इसी से आहत 19 पुलिसकर्मी भारत की सीमा में पहुंच आए थे।
लेकिन अब म्यांमार से कोई भी भारत में प्रवेश नहीं कर सकता है क्योंकि 12 मार्च, शुक्रवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से पड़ोसी देश म्यांमार की सीमा से सटे चार पूर्वोत्तर राज्यों मिजोरम, मणिपुर, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश को घुसपैठ की घटनाओं को लेकर सावधान रहने की हिदायत दी गई है और कानून कार्रवाई भी बिना किसी बाधा के करने के निर्देश दिए गए हैं।
भारत आने वाले ‘शरणार्थी’ नहीं
केंद्र ने आदेश दिया है कि म्यांमार से आ रहे अवैध माइग्रेंट्स को कुछ स्थानों पर ही रोक लिया जाए। उनकी बायोग्राफिक और बायोमेट्रिक जानकारी ली जाए। साथ ही निर्देश दिया गया है कि कोई भी केंद्र शासित प्रदेश राज्य किसी विदेशी को ‘शरणार्थी’ नहीं घोषित कर सकता है। क्योंकि भारत संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी कन्वेन्शन 1951 और 1967 प्रोटोकॉल में शामिल नहीं है।
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WION की रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्वोत्तर से लगी सीमा से इन पुलिस कर्मियों ने भारत में प्रवेश किया था। एक स्थानीय अधिकारी द्वारा नाम ना छापने की शर्त पर बताया गया कि म्यांमार पुलिस के जवान उत्तर-पूर्वी राज्य मिजोरम के चंफई और सेरछिप जिले में पहुंचे थे। लेकिन यह सभी निहत्थे पकड़े गए इनके पास कोई हथियार नहीं पाया गया था। भारत और म्यांमार की 1643 किमी सीमा जुड़ी हुई है। म्यांमार के लोग आंग सान सू की की चुनी हुई सरकार को बहाल करने की मांग को लेकर सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं।
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अमेरिका ने कहा-हम म्यांमार के लोगों को देंगे TPS
वहीं दूसरी और अमेरिका की ओर से म्यांमार निवासियों को बाइडन प्रशासन अस्थायी तौर पर रहने की अनुमति देगा। अमेरिका की तरफ से म्यांमार के लिए यह नवीनतम प्रतिक्रिया है।
गृह मंत्रालय के सचिव एलेजांद्रो मयूरकास द्वारा कहा गया कि सैन्य तख्तापलट के चलते कई म्यांमार नागरिकों को सेना की बर्बरता सहनी पड़ रही है। एक बयान जारी करके मयूरकास ने बताया कि पिछले महीने सैन्य तख्तापलट के कारण देश में असाधारण परिस्थितियों पर विचार करने के बाद टीपीएस (TPS) के लिए म्यांमार को भी नामित करने का निर्णय लिया गया है।