ऑस्ट्रेलिया में बीते दिनों कुछ राजनेताओं पर लगे यौन शोषण के आरोप का मामला अब बड़े आंदोलन का रूप लेने लगा है। ताज़ा मामलों से लेकर दशकों पुराने मामले को दुनिया के सामने रखने वाला #मीटू मूवमेंट अब ऑस्ट्रेलिया में फैलने लगा है। एक नेता पर लगे रेप के आरोपों को ऑस्ट्रेलिया के पीएम मॉरिसन द्वारा किसी तरह ठंडा करने की कोशिश की गई लेकिन उनकी ये कोशिश कामयाब नहीं हुई। उसी का नतीजा है कि इस मामले पर देशभर में प्रदर्शनों की तैयारी चल रही है।
देश के महिला संगठनों द्वारा एलान किया गया है कि 15 मार्च से वह देशभर में विरोध प्रदर्शन करेंगे। साथ ही संसद को एक मांग पत्र भी दिया जाएगा। इस मांग पत्र में मांग की जाएगी कि सांसदों और उनके सभी कर्मचारियों पर लगाए गए यौन उत्पीड़न के सभी मामलों की निष्पक्ष जांच की जाए।
पीएम मॉरिसन ने अटार्नी जनरल से लिया इस्तीफा
देश के अटार्नी जनरल क्रिश्चियन पोर्टर को पिछले हफ्ते रेप के आरोप के चलते अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। इस्तीफे का कारण था कि उन्होंने वर्ष 1988 में एक16 वर्षीय लड़की का रेप किया था। पिछले साल रेप पीड़िता की 49 वर्ष की आयु में मौत हो गई थी। लेकिन पीड़िता ने मरने से पहले प्रधानमंत्री कार्यालय और दो महिला राजनेताओं को गुप्त रूप से अपनी शिकायत लिखित रूप में भेज दी थी। पीड़िता का कोई बयान नहीं लिया जा सका। पुलिस ने मामले से पल्ला झाड़ते हुए कह दिया था कि कोई सबूत नहीं मिला है इसलिए हम इस मामले को यही बंद कर रहे हैं। लेकिन जनता में इस मामले को लेकर कोई शोर न हो इसलिए प्रधानमंत्री मॉरिसन ने अटार्नी जनरल को पद से हटा दिया। साथ ही उन्होंने इस मामले की स्वतंत्र जांच कराने से इनकार कर दिया।
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लैंगिक समानता हो कायम
नेता के इस्तीफे के बाद भी जनता आक्रोशित है और देश में लोग कह रहे हैं कि ये मामला यही खत्म नहीं होने वाला है। महिला संगठनों की ओर से ढांचागत बदलाव लाने की मांग की जा रही है, जिससे स्कूल, कार्य स्थलों, न्याय व्यवस्था जैसे तमाम क्षेत्रों में जेंडर (लैंगिक) समानता स्थापित हो सके। 15 मार्च की रैली की आयोजकों में से एक जेनी हेंड्री ने कहा-हम नहीं चाहते कि एक और रिपोर्ट जारी हो। हम अभी बदलाव चाहते हैं। हेंड्री 58 साल की हैं। उन्होंने कहा- इस उम्र में कोई विरोध जताने के लिए सड़कों पर नहीं उतरना चाहता, लेकिन देश में जब ऐसी घटनाएं हो रही हैं, तो हमें सड़कों पर उतरना होगा।
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फेसबुक पेज ‘मार्च 4 जस्टिस’ से जुड़े 22 हजार लोग
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, आंदोलन को तेज करने के लिए बनाए गए फेसबुक पेज ‘मार्च 4 जस्टिस’ से अब तक 22 हजार से अधिक लोग जुड़े हैं। ऑस्ट्रेलिया के मूल निवासी तो इस आंदोलन से जुड़ ही रहे हैं साथ विदेशों में रहने वाले ऑस्ट्रेलियाई भी इस मुहिम में अपना योगदान दे रहे हैं।
कुछ विश्लेषकों का मानना है कि नेता पर लगे आरोपों के बाद से जो माहौल बन गया है उसने ऑस्ट्रेलिया में #मीटू मूवमेंट की नींव रख दी है। कई और महिलाओं ने अटार्नी जनरल को लेकर उठे विवाद के बाद अपनी कहानियां भी देश के सामने उजागर की हैं।
रक्षा मंत्रालय में दुष्कर्म का आरोप
लिबरल पार्टी के पूर्व कर्मचारी ब्रिटनी हिगिंस ने कुछ दिन पहले आरोप लगाया कि वर्ष 2019 में रक्षा मंत्रालय के कार्यालय में उनके साथ रेप को अंजाम दिया गया था। किया गया। हिगिन्स ने कहा कि उन्हें सामने आकर अपनी बात कहने की प्रेरणा यौन उत्पीड़न की पूर्व पीड़िता ग्रेस टेम से मिली टेम को इस साल जनवरी में वुमन ऑफ द ईयर घोषित किया गया था। टेम ने सभी महिलाओं से अपील की कि वे दुनिया को अपने साथ हुई ज्यादतियों की कहानियां सुनाएं। इस साहस के लिए उन्हें यह सम्मान मिला।
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मॉरिसन की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल
प्रधानमंत्री मॉरिसन ने हिगिन्स के आरोप के बाद इस घटना की जांच कराने का आश्वासन दिया है। उन्होंने विश्वास दिलाया है कि संसद की कार्य संस्कृति में परिवर्तन किया जाएगा। लेकिन इस मामले में मॉरिसन की कार्य प्रणाली पर सवाल खड़े हो गए हैं। मॉरिसन ने सार्वजनिक रूप से यह कहा था कि इस मामले में उनके रुख को उनकी पत्नी जेनी से प्रभावित किया। जेनी ने उनसे एक पिता की जगह पर खुद को रखकर सोचने को कहा कि अगर उनकी बेटी के साथ ऐसा कुछ घटित हो तो आप पर क्या प्रभाव पड़ेगा। इस पर, एक महिला रिपोर्टर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में मॉरिसन से सवाल किया कि अगर किसी पुरुष की पत्नी और बेटियां नहीं हैं, तो वह सहानुभूतिपूर्ण निष्कर्ष पर नहीं पहुंचेगा?
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पिछले एक पखवाड़े में सामने आए ऐसे मामलों के बाद ऑस्ट्रेलियाई राजनीतिक संस्कृति पर सवाल उठने लगे हैं। इसमें राजनेताओं द्वारा महिला विरोधी बयान देना भी शामिल है। राजनीतिक सलाहकार द्वारा बलात्कार की शिकार एक महिला ने बताया कि वह सामने आई है, ताकि इस बदसूरत संस्कृति को उजागर किया जा सके। वहीं, पिछले हफ्ते पीएम मॉरिसन ने कहा, मुझे लगता है कि हमारी संसद और कार्यस्थल की संस्कृति में समस्या है, जिस पर हमें काम करना है। साथ ही आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए लोगों की ओर से दबाव बनाया जा रहा है।