ऑस्ट्रेलिया ने इन दिनों राजनेताओं पर यौन उत्पीड़न के आरोप लग रहे हैं। बीते हफ्तों कुछ राजनेताओं पर लगे यौन शोषण के आरोपों का सिलसिला अब तक थमा नहीं है। इन्हीं आरोपों के साथ #मीटू मूवमेंट भी ऑस्ट्रेलिया में शुरू हो चुका है। एक नेता पर लगे रेप के आरोपों के बाद देशभर में प्रदर्शनों चल रहे हैं। इसी बीच देश के न्यू साउथ वेल्स के एक पुलिस कमिश्नर ने ऐसा विवादित बयान दिया जो आजकल चर्चा का विषय बना हुआ है।
बयान में पुलिस कमिश्नर ने कहा कि यौन सहमति के लिए एक एप्लीकेशन का इस्तेमाल किया जा सकता है। टॉप पुलिस ऑफिसर मिक फ़ुलर ने सेक्स को लेकर आपसी सहमति दर्ज करने के लिए एक ऐप का सुझाव लोगों के सामने रखा। इतना ही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि टेक्नोलॉजी की सहायता से हम ‘सकरात्मक सहमति’ को स्थापित कर सकते हैं।
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पुलिस कमिश्नर के इस बयान से कई लोग खफा हैं। ऑस्ट्रेलिया में पहले से ही संसद में एक नेता द्वारा एक महिला के यौन शोषण का मामला गरमाया हुआ। उस बीच पुलिस अधिकारी के इस बयान की भी जमकर आलोचना हो रही है। उनके इस प्रस्ताव को लेकर लोगों का कहना है ये एक बेहद अदूरदर्शी कदम होगा और इससे शोषण में और वृद्धि हो सकती है। साथ ही इस तरह से डेटा से सर्विलांस का खतरा भी है।
18 मार्च, गुरुवार को पुलिस मिक फ़ुलर इस ऐप का आइडिया पेश किया था और कहा था कि इसका उद्देश्य स्पष्ट सहमति के मार्ग को आसान बनाना है। मिक फ़ुलर ने कहा, ”आपका कोई बेटा या भाई हो सकता है और आपको लगता है कि यह बहुत चुनौतीपूर्ण है लेकिन ऐसा नहीं है यह ऐप सभी की सुरक्षा करेगा।” उन्होंने कहा कि स्पष्ट सहमति को सही ठहराने में यौन उत्पीड़न के अदालती मामलों में एक निरंतर समस्या रही है, और इस ऐप का रिकॉर्ड पीड़ितों के लिए बेहतर कानूनी नतीजे पाने में सहायक हो सकता है।
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फ़ुलर ने बताया कि न्यू साउथ वेल्स में पिछले साल लगभग 15,000 यौन उत्पीड़न के मामलों में से 10% से भी कम मामलों में पुलिस आरोप तय कर पाई। सिडनी के एक अख़बार द डेली टेलीग्राफ़ में उन्होंने लिखा, ”इसके लिए सकारात्मक सहमति की ज़रूरत है, आज के वक़्त में ये कैसे संभव है? एक विकल्प प्रौद्योगिकी हो सकती है।”
इस ऐप पर आपत्ति क्यों है ?
इस विषय पर महिला अधिवक्ताओं का कहना है कि इस ऐप का इस्तेमाल कई समस्याएं खड़ी कर सकता है। उन्होंने कहा कि अगर किसी ने अपना मन बदल लिया, या यह भी संभव है कि नकली सहमति प्राप्त की जा सकती है, तो राज्य की घरेलू हिंसा सेवा महिला सुरक्षा प्रमुख ने ट्वीट किया, “पीड़ित को शोषण करने वाला ऐप का उपयोग करने के लिए मजबूर कर सकता है।”
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दरअसल, यूरोपीय देश डेनमार्क में लगातार रेप की घटनाओं में तेजी को देखते हुए सेक्स को लेकर एक मोबाइल ऐप लॉन्च किया गया था। इस ऐप को लेकर चर्चा थी कि इसके द्वारा डेनमार्क के लोग सेक्स के लिए अपनी सहमति दे पाएंगे। जिसके बाद सरकार ऐप के जरिए यूजर्स के सेक्स को लेकर सहमति की जांच करेगी। केवल एक बटन दबाकर ऐप के माध्यम से यूजर सेक्स के लिए अपनी सहमति दर्ज कर सकता है। जो 24 घंटे के लिए वैध होगी । इस सहमति को यूजर कभी भी वापस भी ले सकता है। जिसके बाद डेनमार्क के लोगों ने इस पर विरोध जताया था। एक प्राइवेट कंपनी इस ऐप इसी साल की शुरुआत में लाई थी, लेकिन आम लोग और प्रेस की आलोचना से परेशान होकर इस प्रतिबंधित कर दिया गया।