म्यांमार में राजनीतिक तख्तापलट के बाद से ही सेना द्वारा प्रदर्शनकारियों पर बर्बरता की तस्वीरें आनी शुरू हो गई हैं। लेकिन आंदोलनकारी सेना की इस बर्बरता के आगे घुटने टेकने को तैयार नहीं हैं। लागातार नेशनल लीग आफ डेमोक्रेसी की नेता आंग सान सू की की रिहाई की मांग उठ रही है। अब भी सेना की क्रूरता जारी है। इसी बीच अब म्यांमार की सेना ने देश के नागरिकों से प्रदर्शन और विरोध का अधिकार भी छीन लिया है। सेना ने म्यांमार के लोगों की अभिव्यक्ति की आजादी पर अंकुश लगा दिया है। अब अगर कोई सेना के विरोध में आवाज उठाएगा तो उसे मौत की नींद सुला दिया जाएगा।
सेना ने एलान किया है कि अब अगर कोई सेना के खिलाफ बोलेगा तो उसे देशद्रोह करार दिया जाएगा। इतना ही नहीं 15 दिन के अंदर ही मौत की सजा सुना दी जाएगी। जिस पर भी देशद्रोह लगाया जाएगा वो कोर्ट की मदद भी नहीं ले सकता। प्रदर्शनकारियों को म्यांमार की सेना हर तरह से यातना दे रही है। हिरासत में लिए गए लोगों की मौत तक की खबरें सामने आ रही हैं। ऐसे में यूनाइटेड नेशंस के रिपोर्टर ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि लोगों को अंधाधुंध जानबूझकर गोलियां मारी जा रही हैं और म्यांमार में अब अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को हस्तक्षेप करना चाहिए। अब तक म्यांमार में सेना की क्रूरता के चलते लगभग 149 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।
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म्यांमार के सेनाध्यक्ष सीनियर जनरल मिन ऑन्ग लाइंग की ओर से फरमान जारी किया गया है कि प्रदर्शनकारियों को देशद्रोह करार देने के 15 दिनों के अंदर अंदर ही फांसी दे दी जाएगी। यानि, किसी व्यक्ति को अगर सेना फांसी की सजा सुनाती है, तो उसे 15 दिनों के अंदर मौत की घाट उतार दिया जाएगा। सेना के स्वामित्व वाले क्वाडो न्यूज़ चैनल द्वारा एक रिपोर्ट में बताया गया है कि सेना अब यंगून कोर्ट से देश का शासन चलाएगी और इसी कोर्ट से विरोध करने वाले लोगों को मौत की सजा भी सुनाएगी।
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यूनाइटेड नेशंस की रिपोर्ट के मुताबिक अब तक म्यांमार की सेना ने 2084 लोगों को हिरासत में लिया है और वहीं कस्टडी में 5 लोगों की अब तक मौत हो चुकी है। इसी बीच यूनाइटेड नेशंस का बड़ा बयान सामने आया है। जिसमें यूएन ने कहा है कि म्यांमार की सेना द्वारा मानवाधिकारों का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है। यूएन चीफ एंटोनियो गुटेरस ने कहा है कि म्यांमार सेना को संयम बरतना चाहिए। सेना की हिंसक कार्रवाई निंदनीय है।