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चीन में ‘डेल्टा वेरिएंट’ का प्रकोप; नागरिकों पर लगा प्रतिबंध, ड्रोन भी तैनात

कोरोना पर नियंत्रण हासिल कर चुके चीन में एक बार फिर कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या में इजाफा हो रहा है। यहां ग्वांगझू में प्रशासन ने पीड़ितों की संख्या बढ़ने पर अपने घरों से बेवजह बाहर जाने वाले नागरिकों की निगरानी के लिए 60 ड्रोन तैनात किए हैं।

चीन ने स्थानीय स्तर पर कोरोना संक्रमण पर काफी नियंत्रण हासिल कर लिया है। हालांकि, ग्वांगझू में कोरोना वायरस संक्रमण की सूचना मिली है। वैज्ञानिकों का कहना है कि चीन में फैलने वाला कोरोना वायरस डेल्टा वेरिएंट है। हालांकि चीनी वैज्ञानिकों का कहना है कि यह भारत में मिलने वाले वेरिएंट से अलग है और खतरनाक है।

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न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, चीनी डॉक्टरों के अनुसार, डेल्टा संस्करण तेजी से फैल रहा है और इससे कोरोना पीड़ितों की स्थिति बिगड़ रही है। ग्वांगझू में सन यात-सेन विश्वविद्यालय में क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के निदेशक गुआन जियांगडोंग ने कहा कि कोरोना का अनुभव करने के तीन से चार दिनों के भीतर 12 प्रतिशत रोगी गंभीर हो गए थे।

पिछले कुछ दिनों से ग्वांगझू में कोरोना डॉयड्स पाए गए हैं। पिछले कुछ दिनों में नए स्ट्रेन से प्रभावित लोगों की संख्या बढ़कर 100 हो गई है। पीड़ितों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने तत्काल कदम उठाना शुरू कर दिया है। पुलिस ने कैमरा ड्रोन की मदद से शहर में निगरानी शुरू कर दी है। पुलिस ने बिना मास्क के घर से बाहर निकलने वालों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी है। साथ ही प्रशासन ने शहर और उसके आसपास के नागरिकों को सूबे से बाहर नहीं निकलने का निर्देश दिया है। प्रशासन ने सिनेमाघरों और अन्य मनोरंजन स्थलों को भी बंद कर दिया है।

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एक साल से भी ज्यादा का समय बीत चुका है, लेकिन दुनियाभर में कोरोना संक्रमण से हालात अब भी नाजुक बने हुए हैं। अभी तक इस वायरस की चपेट में करोड़ों लोग आ चुके हैं, जबकि लाखों लोगों की जानें चली गई हैं। बावजूद इसके कोरोना वायरस की उत्पत्ति कहां से हुई, इसका पता अभी तक नहीं चल पाया है। हालांकि इस बारे में विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक जांच टीम के विशेषज्ञों की राय है कि इस घातक विषाणु के स्रोत का अब तक पता नहीं चला है और इन अनसुलझे सवालों के जवाब पाने के लिए आगे और अध्ययन की जरूरत है।

इसके बाद से दुनिया के कई देशों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन पर सवाल भी खड़े किए। इस सबके बीच कुछ दिन पहले एक नए अध्ययन में दावे के साथ कहा गया है कि कोरोना वायरस चीन के वुहान की लैब से फैला है, जिस पर दुनिया को शक है, लेकिन अब अमेरिकी लैब की एक रिपोर्ट ने इस पर मुहर भी लगा दी है। दुनिया इस समय कोरोना वायरस से जूझ रही है जिसका कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। चीन से फैले इस वायरस से चीन में ही अब तक लगभग हजारों लोगों की मौत हो गई है।

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आज जब एशिया के एक देश चीन के एक शहर वुहान से कोरोना नामक वायरस का संक्रमण देखते-ही-देखते पूरी दुनिया में अपने पैर पसार चुका है तो निश्चित ही वैश्वीकरण के इस दौर में इस प्रकार की घटनाएं हमें ग्लोबलाइजेशन के दूसरे डरावने पहलू से रूबरू कराती हैं, क्योंकि आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि कोरोना वायरस के संक्रमण से विश्वभर में अब तक लाखों मौतें हो चुकी हैं और करोड़ों लोग इसकी चपेट में हैं।

जबकि आशंका है कि यथार्थ इससे ज्यादा भयावह हो सकता है, लेकिन यहां बात केवल विश्व भर में लोगों के जीवन और स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान तक ही सीमित नहीं है, बल्कि पहले से मंदी झेल रहे विश्व में इसका नकारात्मक प्रभाव चीन समेत उन सभी देशों की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा है जो चीन से व्यापार करते हैं इनमें भारत भी शामिल है।

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