[gtranslate]
Country Poltics

UP के डॉक्टरों की इस अपील पर सुनवाई करने से SC ने किया इनकार

सर्वोत्तम न्यायालय ने बीते मंगलवार यानी कि 8 जून को उत्तर प्रदेश के कुछ डॉक्टरों की याचिका पर विचार करने से मना कर दिया।दरअसल डॉक्टरों ने याचिका दायर कर राज्य के बाहर पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा कोर्स की पढ़ाई के लिए राज्य को एनओसी (नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट) देने का निर्देश देने की गुहार लगाई थी। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ,’यह नीतिगत मामला है और फिलहाल हम इसमें दखल नहीं दे सकते।’

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश नवीन सिन्हा और न्यायधीश दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने इस याचिका में पाया कि याचिकाकर्ता डॉक्टरों ने न सिर्फ एनओसी की गुहार लगाई है बल्कि इसके साथ-साथ पॉलिसी को चुनौती दी है।

Read Also : अनाथ बच्चों के मामले पर दिल्ली और पश्चिम बंगाल सरकार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार

उत्तर प्रदेश सरकार ने जारी की थी अधिसूचना

 

दरअसल पिछले छह मई को कोरोना की दूसरी लहर के मद्देनजर उत्तर प्रदेश सरकार ने अधिसूचना जारी कर यह कहा था कि राज्य में कार्यरत डॉक्टर फिलहाल राज्य के बाहर आगे की पढ़ाई के लिए स्टडी लीव नहीं ले सकते। कोर्ट की पीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ दवे से कहा कि वह हाईकोर्ट में राज्य सरकार की इस नीति को चुनौती दे सकते हैं। पीठ ने कहा कि अगर याचिका दायर की गई तो हम हाईकोर्ट से अनुरोध करते हैं कि इसका जल्द निपटारा किया जाए।

याचिकाकर्ता डॉक्टर एम्स में पढ़ाई के लिए एनओसी की मांग कर रहे थे

 

इस याचिका की सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश की ओर से पेश एडिशनल एडवोकेट जनरल गरिमा प्रसाद ने पीठ से कहा कि ,”कोरोना की स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार ने डॉक्टरों को बाहर जाकर पढ़ाई करने पर रोक लगाई है। राज्य सरकार का मानना है कि अभी डॉक्टरों की राज्य में बेहद आवश्यकता है। ”

Read Also : अनलॉक होते ही बढ़े कोरोना के मामले 

सुप्रीम कोर्ट से मिली इस निराशा के बाद उत्तर प्रदेश के ये डॉक्टर अब मुख्यमंत्री का दरवाजा खटखटाएंगे। देखना यह होगा कि राज्य सरकार की पॉलिसी इस पर कोई लिबरल तरीका अपनाएगी या सर्वोच्च न्यायालय की तरह ही यहां से भी डॉक्टरों के हाथों निराशा ही हाथ लगेगी।

You may also like

MERA DDDD DDD DD