चाड के राष्ट्रपति इदरिस डेबी की फ्रंट फॉर चेंज एंड कॉनकार्ड के विद्रोहियों से लड़ते हुए मृत्यु हो गई है। राष्ट्रपति की मृत्यु के बाद चाड का राजनीतिक माहौल काफी ज्यादा अस्थिर हो चुका है। एफएसीटी के लड़ाकूं राजधानी एन-जामेना में हथियारों के साथ घूम रहे है। चाड में अशांति के माहौल का असर उसके पड़ोसी देशों और अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी पर पड़ रहा है। फ्रांस से सेना का अतिरिक्त प्रशिक्षण लेने वाले इदरिस डेबी के फ्रांस के अलावा, अमेरिका, बुरकिना फासो, अल्जीरिया, नाईजीरिया, जैसे गृह युद्ध से ग्रस्त पड़ोसियों के साथ भी संबंध काफी प्रागढ़ थे।
डेबी के 37 वर्षीय बेटे महादी इदरीस डेबी, जो चाड की सेना में चार स्टार वाले जनरल के पद पर है, उसका नाम पहले ही सैन्य प्रमुख के लिए नामित किया गया था। लेकिन संवैधानिक प्रोटोकॉल के सत्ता संसद के अध्यक्ष के हाथ में होनी चाहिए थी। उन्होंने सैन्य संविधान को भी निलंबित कर दिया और सरकार और संसद को भंग कर दिया,लेकिन 18 महीने के बाद “स्वतंत्र और लोकतांत्रिक” चुनाव कराने का वादा किया। एफएसीटी समूह ने अपनी डेबी की मृत्यु के बाद सोशल मीडिया पर अपने बयान जारी किया और कहा कि चाड कोई राजशाही नहीं है। देश में सत्ता परिवर्तन का वंशवाद नहीं है। उन्होंने अपने बयान में चेतावनी देते हुए कहा कि अगर नए नेता लको हटाया नहीं गया तो अंजाम बुरा होगा।
एफएसीटी क्या है, इनके विद्रोहियों का क्या उदेश्य है?
एफएसीटी के संस्थापक का नाम है, महातम महादी अली। 1978 में जब महादी की उम्र मात्र 14 साल थी, तब से वह विद्रोही आंदोलन में शामिल हो गए थे। तब से अली चाड में विभिन्न उत्तराधिकारियों के खिलाफ विद्रोह में शामिल हो गया। जब उन्हें देश से निकाल दिया था, तब उन्होंने फ्रांस में शरण ली। जहां वह फ्रांस सोशललिस्ट पार्टी का सदस्य भी रहा। इसके अलावा महातम यूनियन फोर्स फॉर डेमोक्रेसी एंड डेवलमेंट (यूएफडीडी) संघ का भी हिस्सा रहा। यूएफडीडी संघ के नेता महातम नूरी ने विद्रोही गठबंधन का नेतृत्व किया। जो 2008 में डेबी से लगभग शीर्ष पर था। 2015 में नूरी को फ्रांस से निकाल दिया था, पंरतु बिगड़ती शारीरीक स्थिति के कारण उसकी यात्रा पर रोक लगा दी गई। महादी को लीबिया भेजा गया, मिस्त्र के संघर्षरत क्षेत्रवासियों की मांगों पर। लीबिया को पश्चिम में मिस्त्र समर्पित लीबिया डॉन गठबंधन और पूर्व में खलीफा हफ्तर के साथ गृह युद्ध में फसा हुआ था। ऐसी स्थिति में चाड दोनों तरफ से मिस्त्र और लीबिया के बीच फंस गया। चाड के सैनिक इस स्थिति में भाडे के सैनिक बन गए।
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एक बार, महादी ने देखा कि नूरी यूएफडीडी सैनिकों के बीच उतना लोकप्रिय नहीं थी, इसलिए उसने खुद को नेतृत्व संभालने की कोशिश की। यूएफडीडी केवल गोरान जनजाति के सेनानियों से बना था। लेकिन 2016 में महातम ने सैनिकों को जातीय आधार पर भड़काया। इसके बाद यूएफडीडी तीन ग्रुपों में बंट गया। यूएफडीडी में नूरी के वफादार जो शामिल थे, वो पैसों के बदले किसी के भी साथ जा सकते थे। महादी के अंडर एफएसीटी स्प्लिन्टर ग्रुप बना। तीसरा काउंसिल ऑफ मिलिट्रिरी कमांड फॉर दी सैल्वेशन ऑफ दी पब्लिक (सीसीएमएसआर) बना। इस ग्रुप में ऐसे लडाकू शामिल थे, जो एफएसीटी से अलग हुए थे। 2017 में इस समूह के राजनीतिक नेता महातम हसनी बुलम को नाइजर में गिरफ्तार किया गया था, और चाड के राष्ट्रपति इदरिस डेबी को सौंप दिया था। हफ्तर के विद्रोहियों ने 2017 में जुफरा (जुफरा या जोफ्रा लीबिया के जिलों में से एक है। यह देश के केंद्र में है। इसकी राजधानी हुन है) पर कब्जा कर लिया था, जो एफएसीटी का बेस था। एफएसीटी के लड़ाकूं पीछे नहीं हटे।
एफएसीटी का उदेश्य भी सत्ता पर नियंत्रण करना है। महादी का मानना है कि उसे महादी और गोरान जनजाति के लोगों का समर्थन प्राप्त है। राष्ट्रपति इदरिस की असमय मृत्यु के बाद उसके बेटे का नाम सैन्य प्र्मुख के रखा गया है। लेकिन दूसरी तरफ एफएसीटी समूह ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए धमकी दी है कि अगर सत्ता सहीं तरीकें से हस्तारिंत नहीं की गई तो अंजाम बुरा होगा। फ्रांस और अमेरिका ने अपील की है शांतिपूर्वक तरीके से सत्ता का हस्तारंत होना चाहिए। डेबी ज़गहवा जातीय समूह से अलग होकर, उत्तर-पूर्वी क्षेत्र एनेडी में बड़ा हुआ। डेबी 1970 के दशक की शुरुआत में सेना में शामिल हुए, उस समय चाड गृहयुद्ध की चपेट में था। चाड आर्मी ज्वॉइन करने के बाद उन्होंने सेना का अतिरिक्त प्रशिक्षण फ्रांस से प्राप्त किया। इसके बाद डेबी चाड की आर्मी के कमांडर-इन-चीफ बने, 1990 के विद्रोह का अगुवा बनकर और दो अन्य साथियों के साथ मिलकर उन्होंने चाड के सत्ताधारी नेता हिसेन हेबर को सत्ता से बाहर किया था। फरवरी 1990 में उन्होंने अधिकारिक रुप से देश के राष्ट्रपति का पदभार संभाला, इसके बाद 1996 के चुनाव में भी डेबी की जीत होती है।