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सऊदी की आर्थिक ताकत से घबराया अमेरिका, खशोगी हत्याकांड के दोषी MBS पर प्रतिबंध से इनकार

26 फरवरी को अमेरिका ने वाशिंगटन पोस्ट के स्वतंत्र पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या पर इंटेलिजेंस रिपोर्ट को जारी किया तो सऊदी और अमेरिका के रिश्तों में कड़वाहट पैदा हो गई। दोनों के रिश्ते में खटास इसलिए आई क्योंकि अमेरिका ने जो रिपोर्ट जारी की उसमें सीधे-सीधे हत्या का आरोपी कोई और नहीं खुद सऊदी के प्रिंस MBS हैं। जो बाइडेन प्रशासन की ओर से सार्वजानिक रूप से सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (MBS) को खशोगी की हत्या का दोषी ठहराया गया।

रिपोर्ट में कहा गया है कि MBS द्वारा तुर्की के इस्तांबुल में एक ऑपरेशन की मंजूरी दी गई। ऑपरेशन में पत्रकार जमाल खशोगी को पकड़कर मौत की घाट उतारने का आदेश दिया गया था।  हालांकि, रिपोर्ट जारी करने के बाद से बाइडेन प्रशासन ने अब इस मामले पर अपने पैर पीछे खींच लिए हैं।

विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने सोमवार को वाशिंगटन में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “हम अमेरिका के सऊदी संबंधों को ठीक करने के लिए काम कर रहे हैं।”

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गौरतलब है कि जब अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव अपने चरम पर थे तो बाइडेन ने अपने चुनावी कैंपेन के दौरान सऊदी अरब पर जमकर हमले किए गए थे। उन्होंने इस दौरान मोहम्मद बिन सलमान को खशोगी की हत्या के लिए भी दोषी ठहरा दिया। लेकिन अब जब उनके पास अवसर है तो बाइडेन इसे हल्के में ही निपटा देना चाहते हैं। अमेरिका ने आसान रास्ता अपनाते हुए कुछ सऊदी अधिकारियों पर प्रतिबंध लगा दिए हैं।

अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट की ओर से 26 फरवरी को 76 सऊदी अधिकारियों पर सैंक्शन या प्रतिबंध लगा दिए गए। आरोप लगाया गया है कि इन्होंने एक्टिविस्ट्स और पत्रकारों को परेशान करने का प्रयास किया। लेकिन सऊदी प्रिंस पर कोई कार्रवाई नहीं की ऐसे में उन पर सवाल उठने लगे हैं।

किस दुविधा में हैं बाइडेन?

सवाल उठ भी रहे हैं कि जब अमेरिका के पास साक्ष्य हैं कि MBS आरोपी हैं तो फिर उन पर कार्रवाई से अमेरिका का इंकार क्यों ? ऐसे कई सवाल उनके आलोचक ही नहीं बल्कि समर्थको के बीच भी घूम रहे हैं। धीरे- धीरे अब बाइडेन पर MBS के खिलाफ कार्रवाई करने का दबाव बनता जा रहा है। पत्रकार जमाल खशोगी की मंगेतर ने भी MBS के खिलाफ सजा की मांग की है और इस बीच MBS पर प्रतिबंध की मांग उठने लगी है।

हालांकि, अभी सऊदी से रिश्ते बिगाड़ लेना अमेरिका के लिए नुकसानदायक हो सकता है इसे अमेरिका भलीभांति समझता है। क्योंकि MBS का पद तो रक्षा मंत्री का है लेकिन वास्तव में तो मोहम्मद बिन सलमान ही सऊदी के शासक माने जाते हैं।

बिडेन के आगमन के बाद ‘सऊदी के साथ संबंधों को ठीक करने’ के नाम पर कहा गया था कि अब अमेरिकी राष्ट्रपति अपने समकक्ष के साथ वार्ता करेंगे। मतलब कि अब बिडेन केवल किंग सलमान के साथ चर्चा करेंगे। इसे एमबीएस पर कार्रवाई की शुरुआत के रूप में देखा गया था।

आर्थिक रूप से ताकतवर है सऊदी

बाइडेन द्वारा MBS पर कोई कार्रवाई न करने का एक महत्वपूर्ण कारण यह भी है कि अमेरिका को मिडिल ईस्ट का सबसे ताकतवर और विश्वसनीय सहयोगी को बचाए रखना है। लेकिन दूसरी तरफ कार्रवाई न करने पर निंदा का सामना भी भारी पद सकता है। जिसके कारण अमेरिका बेहद ही नाजुक स्थिति में आ चुका है। अमेरिका और सऊदी अरब के रिश्तों का आधार ऑयल, काउंटर-टेररिज्म और आपसी हित हैं। बाइडेन ही नहीं किसी भी अमेरिकी राष्ट्रपति के लिए आसान नहीं है कि सऊदी के क्राउन प्रिंस पर प्रतिबंध लगा पाए।

बाइडेन के हाथ शायद कूटनीति के चलते बंधे हुए हैं और अब वो बेहद ही संशय की स्थिति में हैं। कूटनीतिक रूप से सऊदी अमेरिका के लिए कितना अहम है ये तो चुनावी कैंपेन में MBS को खशोगी की हत्या का जिम्मेदार कह देने के बाद भी राष्ट्रपति बन जाने क्राउन प्रिंस पर प्रतिबंध नहीं लगाना स्पष्ट कर देता है।

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