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ईरान में चुनाव नहीं लड़ पाएंगे प्रगतिवादी

ईरान में सरकारी चेतावनी के बाद भी महिलाएं बिना हिजाब के घूम रही हैं। महसा अमीनी की मौत के बाद से ही महिलाओं को हिजाब पहनने के लिए विवश किया जा रहा है। हाल ही में बिना हिजाब वाली तीन लड़कियों को गिरफ्तार किया गया था। जिसके बाद उसमें से एक की मौत हो गई। वहीं सरकार हिजाब विरोध प्रदर्शन को रोकने के लिए कई कदम उठा रही है। ईरान में प्रगतिवादी लोग जो समाज सुधार के प्रयासों में लगे हैं और सरकार का विरोध कर रहे हैं। वे अब चुनाव नहीं लड सकते ।

ईरान में आम चुनाव होने वाले हैं। ईरान के प्रगतिशील नेता इस चुनाव में हिस्सा लेने के लिए पसोपेश में हैं। लेकिन मीडिया रिपोर्टस के अनुसार  प्रगतिशील नेताओं का फरवरी महीने में होने वाले चुनाव में हिस्सा ले पाना संभव नही हैं। दरअसल गार्जियन काउंसिल उन लोगों की उम्मीदवारी को आयोग्य कर देगा जिन्होंने हिजाब के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया या इसके खिलाफ किसी भी तरह की आवाज उठाई। हालांकि प्रगतिवादियों की तरफ से कोई भी सरगर्मी दिखाई नहीं दी है। ऐसे में प्रगतिवादियों को डर है कि कहीं रूढ़ीवादी उनकी उम्मीदवारी को खत्म न कर दें। ईरान की गार्जियन काउंसिल यह तय करती है कि कौन चुनाव लड़ेगा और कौ नही।

महसा अमीनी की मौत के बाद से कई शहरों में हिजाब के खिलाफ बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन हुए हैं। हजारों महिलाओं ने हिजाब पहनने से इंकार कर दिया है। ईरान की कई महिलाओं द्वारा मोरैलिटी पुलिस पर यातना, यौन शोशण, बालात्कार और पिटाई समेत कई आरोप लगाए गए हैं। हिजाब विरोध प्रदर्शन के बाद उम्मीद जताई जा रही थी कि मोरैलिटी पुलिस को भंग कर दिया जाएगा। लेकिन एक बार फिर मोरैलिटी पुलिस को दोबारा सड़कों पर उतारी गई है।

गौरतलब है कि ईरान में हिजाब के खिलाफ हुए प्रदर्शन का कुछ खास फर्क नहीं पड़ा है। सरकार ने एक बार फिर मोरैलिटी पुलिस को सड़कों पर उतार दिया है। इससे पहले सितंबर 2022 में महसा अमीनी की हिजाब के चलते पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी। इसके बाद ईरान में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे। इसके बाद ईरान सरकार ने 10 महीनों के लिए मौरैलिटी पुलिस की गतिविधियों को रोक दिया था। इसलिए कहा जा रहा है कि इससे महिलाओं पर और अत्याचार बढेंगे ।

 

ईरान की सड़कों पर लौटी क्रूर मॉरल पुलिस

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