ईरान में हिजाब विवाद अभी थमा नहीं है। एक बार हिजाब विवाद का मुद्दा ईरान में उठ खडा हुआ है। ईरान की मॉरल पुलिस महिलाओं को हिजाब पहनने के लिए दबाव बना रही है। जिससे महिलाओं पर सख्ती शुरु हो गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार करीब दस महीने बाद मोरैलिटी पुलिस फिर सड़कों पर उत्तर आई है। दरअसल बीते वर्ष सितंबर महीने में हिजाब विरोधी प्रदर्शनों के दौरान महसा अमीनी की मौत के बाद मोरैलिटी पुलिस काे हटा लिया गया था। लेकिन एक फिर अब 16 जुलाई को जनरल सईद मुंतजिर उल महदी ने कहा कि मौरेलिटी पुलिस बिना हिजाब वाली महिलाओं को फिर से पकड़ रही है।
ईरान में मोरैलिटी पुलिस की वापसी के बाद ही सोशल मीडिया पर ऐसी कई वीडियो आई हैं जिसमें ईरानी पुलिस की क्रूरता देखी गई है। साराह रावियानी नाम की एक एक्टिविस्ट ने भी मोरैलिटी पुलिस की वापसी का एक वीडियो शेयर किया है। जिसमें कुछ लोग एक महिला को जबरन गाड़ी में बिठाते हैं। महिला के विरोध करने पर उसे लात मारी जा रही हैं। मोरैलिटी पुलिस अब केवल महिलाओं को ही नहीं बल्कि पुरुषों के कपडे पहनने के ढंग पर भी नजर रखेगी। एक्शन से पूर्व लोगों को चेतावनी दी जाएगी। इसके बाद यदि वे नहीं माने तो उनपर कार्यवाही की जाएगी।
अधिकारियों ने एंटरटेनमेंट वाली जगहों पर नजर रखना शुरू कर दिया है। ईरान की मोरैलिटी पुलिस गाड़ियों से पब्लिक प्लेस में पैट्रोलिंग करेगी। पट्रोलिंग एक हथियारबंद गस्ती टुकड़ी है जो दिए हुए इलाके में गश्त करके , दिए हुए टास्क को पूरा करती है। ईरान में इसका इस्तेमाल इसलिए किया जाएगा ताकि उन औरतों पर नजर रखी जा सके जिन्होंने हिजाब नहीं पहना है। इससे पहले हिजाब नियम लागू करने में नाकाम रहे दर्जनों कैफे, रेस्तरां और अन्य कारोबार को ईरानी सरकार द्वारा बंद करा दिया गया था।
वहीं कुछ दिन पहले ही ईरान में महिलाओं के ड्रेस कोड को लेकर एक नया कानून बनाया गया था। अगर वो हिजाब नहीं पहनेंगी तो उन्हें 49 लाख रुपए तक का जुर्माना देना पड़ सकता है। ईरान के सांसद हुसैनी जलाली ने इसका दावा किया था। गौरतलब है कि महसा अमीनी की मौत के बाद हुए प्रदर्शनों को ईरानी सरकार द्वारा द्वारा कुचल दिया गया था। जिसमें 500 प्रदर्शनकारी मारे गए थे।