म्यांमार में राजनीतिक तख्तापलट के बाद से ही सेना द्वारा प्रदर्शनकारियों पर बर्बरता की तस्वीरें आनी शुरू हो गई हैं। लेकिन आंदोलनकारी सेना की इस बर्बरता के आगे घुटने टेकने को तैयार नहीं हैं। लागातार नेशनल लीग आफ डेमोक्रेसी की नेता आंग सान सू की की रिहाई की मांग उठ रही है। अब भी सेना की क्रूरता जारी है।
इसी बीच अब म्यांमार की सेना ने देश के नागरिकों से प्रदर्शन और विरोध का अधिकार भी छीन लिया है। सेना ने म्यांमार के लोगों की अभिव्यक्ति की आजादी पर अंकुश लगा दिया है। अब अगर कोई सेना के विरोध में आवाज उठाएगा तो उसे मौत की नींद सुला दिया जाएगा। बावजूद इसके अभी भी म्यांमार में विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला जारी है।
इसी क्रम में 21 मार्च को तख्तापलट के विरोध में सविज्ञा आंदोलन की तर्ज पर देश के सभी डॉक्टर्स और हेल्थ वर्कर्स द्वारा मांडले शहर में प्रदर्शन किया गया। हालांकि सेना ने इन पर कोई कार्रवाई नहीं की है। लेकिन दूसरे हिस्सों में सेना की बर्बरता जारी रही। जिसमें एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई। म्यांमार के शहर मांडले की सड़को पर करीब 100 डॉक्टरों, नर्सों, मेडिकल छात्रों और फार्मसिस्टों ने सफेद कोट पहने सैन्य तख्तापलट के विरोध में नारेबाजी की।
म्यांमार में अब विद्रोह माना जाएगा देशद्रोह, 15 दिनों में मौत की सजा
गौरतलब है कि सेना के सत्ता हथियाने के बाद से ही मांडले विरोध के केंद्र में रूप में उभर गया है। 21 मार्च को शहर के कुछ इंजीनियरों ने भी विरोध जताया। उनके द्वारा सेना के खिलाफ लिखे नारों की तख्तियों को एक लाइन में सड़कों पर लगा दिया गया। तख्तियों के अलावा कोई भी प्रदर्शनकारी वहां मौजूद नहीं रहा। इस तरीके को ‘नो-ह्यूमन स्ट्राइक’ कहा जाता है।
वहीं, रविवार को प्रदर्शनकारियों पर की गई कार्रवाई का एक वीडियो वायरल हो रहा है। वीडियो में यह देखा जा सकता है कि सुरक्षा बल मोटरसाइकिल सवार को गोली मार रहे हैं। सविनय अवज्ञा आंदोलन के माध्यम से, लोगों द्वारा चुनी गई सरकार को बहाल करने और म्यांमार को लोकतंत्र की ओर ले जाने की मांग है। इसके तहत बड़ी संख्या में बहिष्कार, हड़ताल और अन्य तरीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है। हाल के दिनों में, प्रदर्शनकारियों पर सेना की कार्रवाई के कारण, सड़क प्रदर्शनों में कमी आई है।