कहते हैं भीड़ का कोई चेहरा नहीं होता है, न ही दिमाग होता है। ये भीड़ कभी-कभी इतनी हिंसक हो जाती है कि इससे बच पाना नामुकिन हो जाता है। भीड़ का ऐसा व्यवहार जो एक इंसान को मौत के घाट उतार देता है वाकई में अचंभित करता है। अंग्रेज़ी के दो शब्द मॉब और लिंचिंग ने लोगो के दिलों दिमाग में अपना ग़हरा असर छोड़ा है जिसने पूरी दुनिया को अपनी गिरफ्त में ले लिया है। जो दुनिया के लिए एक चिंतनीय मुद्दा भी बनता जा रहा है। ये मुद्दा है मॉब लिंचिंग जिसकी चर्चा एक बार फिर होने लगी है।
दरअसल, कानून की गैर-मौजूदगी लोगों को भीड़ में अपराध करने की मानसिकता को बढ़ावा दे रही है। जिसको मद्देनजर रखते हुए आज अमेरिकी संसद के दोनों सदनों से पास हुए लिंचिंग बिल पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन द्वारा हस्ताक्षर कर दिए गए हैं। 122 साल के इंतजार के बाद अब अमेरिका में मॉब लिंचिंग पर कार्रवाई हो सकेगी।
इस कानून का नाम एमेट टिल एन्टी लिंचिंग एक्ट रखा गया है। कानून बनने के उपरांत अब अमेरिका में अगर किसी व्यक्ति को पीट-पीट कर मार डाला जाता है तो लिंचिंग कानून के अनुसार, दोषी को अधिकतम 30 साल की कैद का प्रावधान है।
122 साल का इंतजार !
अमेरिका में बने एन्टी लिंचिंग कानून की कहानी बेहद दिलचस्प है क्योंकि ये कानून एक झटके में ही अपने स्वरूप में नहीं आया है। इस कानून के लिए अमेरिका ने 122 साल तक प्रतीक्षा की है। जिसके बाद आज 30 मार्च, 2021 को यह कानून बन पाया है। पहली बार अमेरिका में वर्ष 1900 में एन्टी-लिंचिंग बिल नार्थ कैरोलिना से रिपब्लिकन पार्टी सांसद जॉर्ज हेनरी व्हाइट की ओर से पेश किया गया था। उस समय वह अकेले अश्वेत सांसद थे। वो इसे पास कराने में असफल रहे। इतना ही नहीं उसके बाद भी अमेरिका की संसद में लिंचिंग के खिलाफ बिल लगभग 200 बार पेश किया गया लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी।
अमेरिका में साल 2020 में निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में एंटी-लिंचिंग बिल पास हुआ था, लेकिन एक बार फिर इसे ऊपरी सदन सीनेट से पास नहीं होने दिया गया। आखिरकार लंबे इंतजार के बाद इस बिल को अमेरिका के निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव ने 28 फरवरी 2022 को फिर से पास कर दिया, जिसमें 422 सांसदों ने एंटी-लिंचिंग बिल के पक्ष में वोट किया और 3 ने इसका विरोध किया। फिर इसी महीने 7 मार्च को अमेरिकी उच्च सदन सीनेट ने आखिरकार बिल को सर्वसम्मति से पारित कर दिया। जिसके बाद आज राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद बिल ने कानून का रूप ले लिया।
अमेरिका में 122 साल के इंतजार और 200 कोशिशों के बाद लिंचिंग रोधी कानून बनने की कहानी इस कानून के नाम की तरह ही दिलचस्प है। इस एंटी-लिंचिंग कानून का नाम एम्मेट टिल एंटी-लिंचिंग एक्ट रखा गया है। दरअसल एम्मेट टिल अमेरिका की 14 साल का अश्वेत बच्चा था जिसकी साल 1955 में बेरहमी से हत्या कर दी गई थी।
बिल को उसका नाम कैसे मिला?
24 अगस्त 1955 को एम्मेट टिल नाम का एक 14 वर्षीय लड़का, जो शिकागो से मिसिसिपी अपने रिश्तेदारों के घर घूमने आया था, अपने रिश्तेदार के साथ पास के एक किराना स्टोर पर सामान लेने गया था। एम्मेट टिल पर किराने की दुकान पर काम करने वाली एक श्वेत महिला कैरोलिन ब्रायंट को छेड़ने का आरोप था। एफबीआई (संघीय जांच ब्यूरो) के अनुसार, घटना के चार दिन बाद, 28 अगस्त, 1955 को कैरोलिन ब्रायंट के पति रॉय ब्रायंट और रॉय के सौतेले भाई जेडब्ल्यू मिलम ने 14 वर्षीय एम्मेट टिल को उसके रिश्तेदारों के घर से अपहरण कर लिया। मध्य रात्रि में। फिर वह उसे एक कोठरी की तरह किसी जगह ले गया, पहले उसे बुरी तरह पीटा, फिर उसके सिर पर गोली मार दी और फिर उसके गले में एक पंखा और एक तेज तार बांध दिया और एम्मेट को नदी में फेंक दिया। एम्मेट टिल की हत्या इतनी क्रूर थी कि जब उनके शरीर को अंतिम संस्कार में ताबूत में रखा गया, तो उनका चेहरा पूरी तरह से विकृत हो गया था।
एम्मेट टिल की हत्या करने वाले रॉय ब्रायंट और जेडब्ल्यू मिलम पर हत्या का मुकदमा चलाया गया था, लेकिन दोनों को सितंबर 1955 में एक अमेरिकी अदालत ने रिहा कर दिया था। रॉय और मिलम की रिहाई का आदेश देने वाले न्यायाधीशों की जूरी में सभी श्वेत न्यायाधीश थे। हालांकि, 1956 में अमेरिका की “लुक मैगज़ीन” को दिए एक साक्षात्कार में, रॉय और मिलम दोनों ने स्वीकार किया कि उन्होंने एम्मेट टिल को मार डाला था।
वर्ष 2004 में एफबीआई अमेरिकी जांच एजेंसी ने 49 साल बाद एम्मेट टिल हत्या मामले की फिर से जांच शुरू की, लेकिन तब तक रॉय और मिलम दोनों की मृत्यु हो चुकी थी। हालांकि एफबीआई इस बार जांच करना चाहती थी कि क्या टिल की हत्या में रॉय और मिलम के अलावा कोई और शामिल था, लेकिन वर्ष 2007 में एफबीआई ने सबूतों के अभाव में फाइल को बंद कर दिया। साल 2017 में अमेरिकी कानून मंत्रालय ने नए सबूतों के आधार पर मामले को फिर से खोल दिया लेकिन दिसंबर 2021 में फिर से बंद कर दिया गया।