‘सोशल मीडिया’ इस नाम से पूरी दुनिया वाकिफ है, क्योंकि अब ‘सोशल मीडिया’ छोटा बच्चा हो या कोई बड़ा सबके दिनचर्या का अहम हिस्सा बन चुका है। युवाओं के लिए तो सोशल मीडिया आज की प्राथमिकता बन गया है। कहीं न कहीं डिजिटल प्लेटफॉर्म ने हमारी जिंदगी में अघोषित कब्ज़ा कर लिया है। सोशल मीडिया ने आम आदमी की जिंदगी में गहरी जड़ें जमा ली हैं। इसकी हानि है तो कई लाभ भी हैं इनके जरिए हम अपने से जुड़ी कोई भी चीज एक दूसरे के बीच शेयर कर सकते हैं।
इसका दायरा इतना बढ़ चुका है कि भारत में अब कंपनियां अपने कर्मचारियों के सोशल मीडिया एकाउंट्स की गहनता से पड़ताल करने लगी हैं।
दरअसल, भारतीय कंपनियां अब नौकरी मांगने वाले और करने वाले कर्मचारियों की सोशल मीडिया प्रोफाइल को देखने लगी हैं। जिसका एक बहुत बड़ा असर उन लोगों पर पड़ता नजर आने लगा है जो राजनीतिक मुद्दों पर सक्रिय रहते हैं। ऐसे कर्मचारियों की नौकरी पाने की संभावनाओं पर गहरा असर देखा जाने लगा है। नौकरी करने वालों के साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा है।
देखा जा रहा है कि देश में नौकरीपेशा तबका जो राजनीतिक और धार्मिक मुद्दों पर बेबाक अपनी राय रखता था वो अब किसी भी मुद्दे पर टिप्पणी करने से बच रहा है। खासकर सत्ता में आसीन भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ। बात सिर्फ इतनी नहीं है कि कंपनी सोशल मीडिया अकाउंट्स को खंगाल रही है। कंपनियां अपने कर्मचारियों के सोशल मीडिया खाते को लिंक्डिन खाते से मैच करती हैं, यह जानने के लिए कि कहीं कर्मचारी अपनी नौकरी को लेकर सोशल मीडिया पर हवा-हवाई बातें तो नहीं कर रहा है।
धीरे-धीरे सोशल मीडिया एक ऐसा स्थान बनाता जा रहा है जिसके चलते जॉब में भर्ती लेने से पूर्व हर व्यक्ति की पोस्ट को देखा जा रहा है। पोस्ट की सामग्री देखी जा रही है। वह आगे कहते हैं कि कुछ कंपनियों के पास अब उनके एचआर मैनुअल के हिस्से के रूप में सोशल मीडिया पॉलिसी उपलब्ध है। सिंह के अनुसार, “सोशल मीडिया पॉलिसी में ये उल्लेखित है कि यदि किसी कर्मचारी की ओर से कंपनी का किसी पोस्ट में विशेष रूप से नाम लिया जाता है। उस पोस्ट को देखते हुए उसे गंभीरता से लिया जाएगा।”
—सिंपली एचआर सॉल्यूशंस के मैनेजिंग पार्टनर रजनीश सिंह
ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को सोशल मीडिया पर हुए कदाचार के लिए बर्खास्त तक कर दिया गया है।”
बढ़ रहे हैं मामले !
वर्ष 2019 में मैकफी की ओर से किए गए सर्वे में ये खुलासा हुआ है कि 21 प्रतिशत भारतीय ऐसे लोगों को जानते थे जिनकी पोस्ट का असर उनकी जॉब पर पड़ता था। ये सर्वे 1 हजार लोगों पर किया गया था। वहीं 25.7 प्रतिशत भारतीयों ने अपने वर्तमान कार्यस्थल के बारे में नकारात्मक सामग्री पोस्ट करने की बात को स्वीकारा है। 21 प्रतिशत भारतीयों को ये डर था कि उनकी सोशल मीडिया सामग्री उनके करियर की संभावनाओं को नकारात्मक रूप से प्रभावित करेगी।
सोशल मीडिया द्वारा सोशल मीडिया पर दबाव भी बनाया जाता है। भ्रष्टाचार, सरकार की नाकामी जैसे मामले को सोशल मीडिया पर उजागर करने के बाद तो सरकार पर दवाब बनता है। भारत के युवा ट्विटर पर बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर चर्चा करते हैं और सरकार से सवाल करते हैं। लेकिन वही व्यक्ति अगर नौकरी के लिए इंटरव्यू देने जाता है तो उसके द्वारा सोशल मीडिया कॉमेंट्स और शेयर उसे परेशानी में भी डाल सकते हैं।इस आधुनिक युग में सोशल मीडिया से सूचना क्रांति आ चुकी है। लेकिन अभी भी सोशल मीडिया सवालों के घेरे में है।