ईरान में महिला अधिकारों के सरकार द्वारा किये जा रहे उलंघन और बढ़ते प्रदर्शन के चलते देश विदशों में ईरान की कड़ी आलोचना की जा रही है। ईरान में हिजाब को लेकर शुरू हुआ विवाद अब हिंसक रूप ले चुका है। 22 वर्षीय महसा अमीनी की मौत के बाद से ही देश में हालात बेकाबू हो गए हैं। ऐसे में संयुक्त राष्ट्र ने ईरान को महिला अधिकार निकाय से बाहर कर ईरान को तगड़ा झटका दिया है। गौरतलब है कि यूएन में यह प्रस्ताव अमेरिका द्वारा लाया गया था। जिसमें आठ देशों ने ईरान के खिलाफ वोटिंग की इसके अलावा भारत समेत 16 देशों ने इससे दूरी बनाए रखी । भारत ने मामले में तटस्थता की नीति अपनाई।
गौरतलब है कि पिछले महीने अमेरिका ने स्पष्ट कर दिया था कि ईरान में महिलाओं पर हो रहे अत्याचार को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। इसलिए उसे संयुक्त राष्ट्र के महिलाओं से जुड़े वैश्विक निकाय से बाहर करने की कोशिश की जाएगी। अमेरिका ने ईरान पर आरोप लगाते हुए कहा है कि महिलाओं के मानवाधिकारों को लगातार कुचला जा रहा है, उन्हें लगातार कमजोर करने का काम हो रहा है। इन तर्को को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ ने अमेरिका द्वारा लाए गए इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया है। जिस पर 14 दिसम्बर को इस इस मुद्दे पर वोटिंग भी की गई है। जिसके बाद यह प्रस्ताव पारित कर ईरान को बाहर किया गया।
यूएन द्वारा लिए गए इस फैसले को अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने ऐतिहासिक बताया है। जेक सुलिवन के मुताबिक महिलाओं का ईरान में जो दमन हो रहा है, ये वोटिंग उसका जवाब है, ईरान के हर कदम के लिए उसकी जवाबदेही तय की जाएगी। गौरतलब है कि 22 वर्षीय ईरान की महसा अमीनी को ठीक तरह से हिजाब न पहनने की वजह से मॉरैलिटी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। पुलिस हिरासत में ही महसा अमीनी की मौत हो गई। इसके चलते मॉरैलिटी पुलिस पर अमीनी की मौत का आरोप लगाया गया। जिसके बाद देशभर में सरकार और हिजाब के विरोध में प्रदर्शन होने लगे। जिसमें महिलाओं सहित छात्र – छात्रों ने बढ़चढ़कर प्रदर्शन में भाग लिया है।