हांगकांग में हुए जिला परिषद के चुनावों में चीनी समर्थक नेताओं की करारी हार को बीजिंग सहन नहीं कर पा रहा है तो वहीं हांगकांग में चुनावी नतीजे घोषित होने के बाद से लोगों के बीच जश्न का माहौल है। चीनी मीडिया का कहना है कि लोकतंत्र समर्थकों को जीत इसलिए मिली, क्योंकि लोगों के बीच उनका डर था। चीन की सरकारी न्यूज एजेंसी शिन्हुआ ने कहा है कि मतदान दंगाइयों की भेंट चढ़ गया।
दरअसल, हांगकांग में 24 नवंबर को वोटिंग के लिए भारी संख्या में लोग घरों से बाहर निकलकर केंद्र तक पहुंचे। मतदान खत्म होने तक (8.30 बजे) रिकॉर्ड 66.5 फीसदी वोटिंग हुई जो चीन के लिए शुभ संकेत नहीं हैं। इन चुनावों में लोकतंत्र समर्थक प्रत्याशियों को जबर्दस्त जीत हासिल हुई और ये नतीजे चीन समर्थक शासन के लिए काफी चुभने वाले साबित हुए हैं।
हांगकांग में हुए निकाय चुनावों में लोकतंत्र समर्थक आंदोलनकारियों को लोगों का जबर्दस्त समर्थन मिला है। चीनी मीडिया ने चुनाव में जीतने वालों का कोई जिक्र नहीं किया। इनमें सरकारी प्रसारणकर्ता सीसीटीवी और कम्युनिस्ट पार्टी का मुखपत्र ‘पीपुल्स डेली’ भी शामिल था। पीपुल्स डेली ने कहा, ‘सामाजिक अशांति ने चुनावी प्रक्रिया को गंभीर रूप से बाधित किया।’
हांगकांग की मुख्य कार्यकारी कैरी लाम ने जिला परिषद के चुनावों में मिली हार पर पहली बार प्रतिक्रिया दी है। लैम ने कहा कि सरकार के खिलाफ लोगों में काफी अंसतोष था और यही स्थानीय चुनाव में हार की वजह बनी। साथ ही उन्होंने पांच महीने से हांगकांग में चल रहे सरकारी विरोधी प्रदर्शन में लोकतंत्र समर्थक आंदोलनकारियों को किसी तरह की रियायत देने से इनकार कर दिया।
चीन ने हांगकांग पर लाए गए विधेयक को लेकर बीजिंग में अमेरिकी राजदूत टेरी ब्रेनस्टेड को एक बार फिर तलब किया है। चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि उपमंत्री झेंग झेगुआंग ने ‘हांगकांग मानवाधिकार व लोकतंत्र विधेयक’ को लेकर अमेरिकी राजदूत के समक्ष आपत्ति दर्ज कराई। झेगुआंग ने चेताया कि अमेरिका को सभी तरह के परिणामों को भुगतने के लिए तैयार रहना होगा।
पिछले कई महीनों से हांगकांग अशांत है। जब से हांगकांग को चीन को सौंपा गया तब से अब तक जिला परिषद चुनाव के इतिहास में इस बार सबसे ज्यादा मतदान हुआ है। 2015 में हुए चुनाव में 47 फीसदी वोटिंग हुई थी। विरोध प्रदर्शन के बावजूद चुनाव के दौरान कहीं से कोई अप्रिय घटना की सूचना नहीं है।