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मैं न कहता तो 14 मिनट में हांगकांग का नामो-निशान मिटा देता चीन – ट्रंप

हांगकांग के मुद्दे पर दो तरफा घिरे चीन के लिए अमेरिका अब मुसीबत बनता जा रहा है। इसी बीच अमेरिका के राष्ट्रपति  डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को दावा किया कि वह न कहते तो चीनी सैनिक 14 मिनट में हांगकांग का नामो-निशान मिटा देते। अमेरिकी राष्ट्रपति ने ‘फॉक्स न्यूज’ को दिए साक्षात्कार में कहा कि चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने उनके कहने पर ही हांगकांग में चल रहे लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सेना नहीं भेजी।
उन्होंने कहा, ‘अगर मैं ऐसा न करता तो 14 मिनट में हांगकांग का नामो-निशान मिट जाता।’ ट्रंप ने कहा, ‘शी ने हांगकांग के बाहर लाखों सैनिक तैनात कर रखे हैं, वे अंदर नहीं जा रहे हैं क्योंकि मैंने उनसे कहा कि ऐसा न करें। ऐसा करना आपकी बड़ी भूल होगी।  इससे व्यापार सौदे पर बेहद नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।’
इससे पहले 21 नवंबर को अमेरिका की संसद ने प्रदर्शनकारियों के हक में एक बिल पास किया। हांगकांग में प्रदर्शनकारी लोकतांत्रिक आजादी को लेकर पिछले छह माह से आंदोलन कर रहे हैं।
 प्रदर्शनकारियों पर काबू पाने के लिए चीन का रवैया भी लगातार सख्त होता जा रहा है। इसी के चलते चीन और हांगकांग की सरकार पर अब मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप लग रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ अमेरिका लगातार प्रदर्शनकारियों के समर्थन में बयानबाजी कर रहा है।​ ​इसी कारणवश चीन और अमेरिका के बीच रिश्ते लगातार खराब हो रहे हैं। ट्रेड वार के बाद इन रिश्तों में गिरावट की यह दूसरी बड़ी वजह बना है। इस बिल को कानून बनाने के लिए जरूरी होगा कि अमेरिका का विदेश मंत्रालय हांगकांग को मिले विशेष दर्जे और व्यापार में मिली छूट की सालाना समीक्षा करे।

​​हांगकांग को यही विशेष दर्जा इसे चीन से अलग करता है। यदि इसके संवैधानिक ढांचे से किसी तरह की छेड़छाड़ होती है या इसको मिले विशेष दर्जे में बदलाव किया जाता है तो अमेरिका को हांगकांग के साथ हो रहे व्यापार पर विचार करना होगा। अमेरिकी सीनेट में पास किए गए बिल को ‘हांगकांग ह्यूमन राइट्स एंड डेमोक्रेसी एक्ट’ नाम दिया गया है। कांग्रेस में भी इसको पूरा समर्थन मिला है। इस बिल पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हस्ताक्षर के बाद यह कानून में तब्दील हो जाएगा।

जहां तक ट्रंप की बात है तो मानवाधिकार से जुड़े मामलों में वह कम ही अपनी राय व्यक्त करते हैं। इसी वजह से ट्रंप ने इस बिल पर अभी तक कोई भी बयान नहीं दिया है। हालांकि, प्रदर्शनकारियों ने अमेरिका से इस बिल को जल्द ही कानून बनाने की अपील की है।​​

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