[gtranslate]
world

हड़ताल पर कपड़ा मजदूर

बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था का एक बडा हिस्सा वहां के कपड़ा उद्योग पर निर्भर करता है। लेकिन महंगाई से परेशान होकर हजारों कपड़ा मजदूर सड़क पर आ गए हैं । 7 नवंबर को ढाका में तंग आकर कपड़ा मजदूरों ने प्रदर्शन करते हुए एक बस को आग लगा दी। बढ़ते प्रदर्शन को रोकने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक इस प्रदर्शन की मुख्य वजह कपड़ा मजदूरों को दिया जाने वाला कम वेतन है। बांग्लादेश के मजदूरों का कहना है कि जो वेतन उन्हें दिया जाता है उससे उनकी जरूरते पूरी नहीं हो पाती। विरोध प्रदर्शन से पहले मजदूरों ने अधिकारीयों से वेतन बढ़ाने की मांग की थी। लेकिन अधिकारीयों ने मजदूरों की इस मांग को पूरा नहीं किया । जिसके विरोध में करीब दस हजार मजदूर कारखाने से निकल प्रदर्शन करने के लिए मजबूर हो गए।

बांग्लादेश के मजदूरों की हालत खराब

 

बांग्लादेश के करीब तीन हजार पांच सौ कपड़ा फैक्टरियां ,अंतराष्ट्रीय स्तर की कंपनियों लीवाइज, जारा और एचएंडएम जैसी बड़ी कंपनियों के लिए कपड़े बनाती हैं। लेकिन बांग्लादेश में इन अंतराष्ट्रीय कंपनी के लिए काम करने वाले करीब चालीस लाख मजुदरों की हालत बेहद खराब है। उनमें से कई न्यूनतम वेतन नौ हजार पर गुजारा करने के लिए मजबूर है। डीडब्ल्यू की एक रिपोर्ट अनुसार बांग्लादेश गारमेंट एंड इंडस्ट्रियल वर्कर्स फेडरेशन की अध्यक्ष कल्पना अख्तर का कहना है कि महामारी के बाद आयी महंगाई की वजह सेमजदूरों का जीवन मुश्किल हो गया है। ऐसे में महंगाई से निपटने के लिए लोग अपनी जरूरी खर्चों में कमी कर रहे हैं। यहां तक की वो भोजन में भी कमी कर रहे हैं।

इसलिए मजदूर ऐसे वेतन की मांग कर रहे हैं जिससे उनका गुजारा हो सके। ढाका के डेली स्टार अखबार के मुताबिक अक्टूबर में देश में महंगाई दर में एक बार फिर उछाल आया और उसे काबू में करने के लिए सरकार के बार- बार दिए वादों के बावजूद 9.93 प्रतिशत पर पहुंच गई। सेंटर फॉर पॉलिसी डायलॉग की एक रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार कंबोडिया, चीन, भारत, इंडोनेशिया विएतनाम जैसे कपड़े बनाने वाले देशों के मुकाबले बांग्लादेश के कपड़ा मजदूरों को सबसे कम न्यूनतम वेतन मिलता है। बांग्लादेश इंस्टिट्यूट फॉर लेबर स्टडीज (बीआइएलएस) के विस्तृत अध्ययनों ने दिखाया है कि मजदूरों को गरीबी रेखा से ऊपर रहने के लिए कम से कम 23,000 टाका चाहिए। इसी वेतन की मांग के लिए कपड़ा मजदूरों द्वारा प्रदर्शन किया गया।

वेतन की समीक्षा कपड़ा उद्योग के लिए अनिवार्य

 

हर पांच सालों में वेतन की समीक्षा करना कपड़ा उद्योग के लिए कानूनी रूप से अनिवार्य है। वर्ष 2023 में पिछली समीक्षा के पांच साल पूरे हो रहे हैं। क्लीन क्लोथ्स कैंपेन की जन संपर्क संयोजक बोगु गोज का कहना है कि इससे कम वेतन मजदूरों को और पांच सालों के लिए गरीबी के चक्र में फंसा कर रख देगा और उसकी वजह से उनके परिवारों में कुपोषण, ऋण और बाल मजदूरी और बढ़ जाएगी।

फैक्ट्रियों के प्रतिनिधियों और मजदूर यूनियनों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय फैशन कंपनियां समस्या के समाधान में मदद कर सकती हैं। बोगु गोज का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय ब्रांडों, और विशेष रूप से न्यूनतम वेतन के लिए प्रतिबद्ध एसओएस, एचएंडएम और यूनिक्लो जैसे ब्रांडों, को 23,000 टाका की मांग का समर्थन करना चाहिए।  मौजूदा वेतन से मजदूर न खुद को पोषित खाना खा सकते हैं न अपने परिवार को खिला सकते हैं।  वो मजदूर जो अंतरष्ट्रीय कंपनियों के लिए कपडे बनाते हैं उनके न्यूनतम वेतन को बढ़ाने में इन कंपनियों की भूमिका है।

 

यह भी पढ़ें : आइएमएफ की शरण में बांग्लादेश

You may also like

MERA DDDD DDD DD