मौजूदा समय ने दुनिया के कई देश भारी आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। हालात इतने खराब होने लगे हैं कि पड़ोसी देश श्रीलंका का तो दिवाला निकल चुका है वहीं इन दिनों बांग्लादेश भी आर्थिक संकट से जूझ रहा है। कोरोना और रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था उसके इतिहास के अब तक के नीचले स्तर पर चली गई है। बांग्लादेश में विदेशी मुद्रा कमी के कारण महंगाई लगातार बढ़ती जा रही है। रूस यूक्रेन युद्ध का असर इस देश की अर्थव्यवस्था पर दिखाई दे रहा है। इन दो देशों के बीच जारी युद्ध की वजह से बांग्लादेश में ऊर्जा और खाने-पीने की चीजों के दाम बढ़ रहे हैं। इसकी वजह से आवाम को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। आटा, दाल, खाने के तेल से लेकर कई खाने पीने की वस्तुओं के दाम बढ़ चुके है। इन संकटों से उभरने के लिए बांग्लादेश आईएमएफ की शरण में गया है।
खबरों के अनुसार बांग्लादेश की विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से कम होने लगा है। इस संकट से उभरने के लिए बांग्लादेश ने आधिकारिक तौर पर पत्र भेजकर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ ) से 4.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर का कर्ज मांगा है। बीते वर्ष बांग्लादेश का विदेशी मुद्रा भंडार 45.5 अरब डॉलर तक था। 20 जुलाई तक यह घटकर 37.67 अरब डॉलर पर आ गया है। बंग्लादेश के अधिकारीयों के मुताबिक 4.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर लोन में से लगभग 1.5 बिलियन ब्याज मुक्त रहेगा, और बची हुई शेष राशि से बांग्लादेश को 2 प्रतिशत के हिसाब से ब्याज देना होगा। सम्भंवना जताई जा रही है कि बंगलादेश को कर्ज से जुड़े नियमों और शर्तों पर बात करने के लिए आईएमएफ के अधिकारी सितम्बर तक बांग्लादेश का दौरा कर सकते हैं ।
गौरतलब है कि बांग्लादेश आईएमएफ से पहली बार कर्ज नहीं ले रहा। इससे पहले भी वह कई बार आईएमएफ से कर्ज ले चुका है लेकिन ये कर्ज कभी भी एक अरब डॉलर से अधिक नहीं रहा है। 2020 में आईएमएफ से 732 मिलियन अमेरिकी डॉलर लिये थे। दरअसल ,बांग्लादेश में आयात कम होता है और निर्यात ज्यादा इस लिए यहां विदेशी मुद्रा में कमी कुछ हद बनी ही रहती है।लेकिन इस बार कोरोना महामारी और रुस -यूक्रेन युद्ध चलते बांग्लादेश आर्थिक संकट के चपेट में आ चुका है। बांग्लादेश के वित्त मंत्री एएचएम मुस्तफ़ा कमाल ने हाल ही में कहा था कि हम पैसे मांगेंगे, लेकिन हमने यह नहीं कहा कि हमें कितनी धनराशि की जरूरत है। आईएमएफ किन शर्तों पर यह धनराशि देना चाहेंगे, हमारी नजर इस पर है। अगर हमें कम ब्याज दर पर कर्ज़ मिलता है, तो उस स्थिति में, हम इस पर विचार कर करेंगे ।
अर्थशास्त्रियों के अनुसार बांग्लादेश का कर्ज लेने का यह सही समय है। बांग्लादेश के व्यापार घाटे में चल रहे हैं। अभी इस घाटे से उभर पाने की उम्मीद नहीं दिखाई दे रही है।तो वहीं विदेशी मुद्रा के कारण देश आयात नहीं कर पा रहा। अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल और गैस, मशीनरी और कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। विदेशी मुद्रा की जरूरत से ज्यादा कमी होने की वजह से आयतों के भुगतान पर काफी दबाव पड़ रहा है। आर्थिक संकट के इन दबावों से निकलने के लिए ही सरकार ने आईएमएफ के अधिकारियों से संपर्क किया है। बीते वर्ष जुलाई से इस वर्ष मई के बीच बांग्लादेश का आयात 81.5 अरब डॉलर रहा जो एक साल पहले की तुलना में 39 फीसदी ज्यादा है।बांग्लादेश का विदेशी कर्ज जीडीपी पर 21.8 फीसदी तक बढ़ गया है और आयतों पर 44 फीसदी तक खर्च बढ़ा है। अर्थशास्त्री देबप्रिया भट्टाचार्य के अनुसार ऐसी स्थति में बांग्लादेश का आईएमएफ में जाना तार्किक और सही कदम है। श्रीलंका ने आईएमएफ में जाने में बहुत देरी की थी, जिस वजह से उसका ये हाल हुआ। भट्टाचार्य के मुताबिक अगर कर्ज मिल जाता है, तो इसका प्रयोग मुख्य रूप से इस समय विदेशी लेनदेन में बड़े घाटों को पूरा करने के लिए किया जाएगा।