सूडान में कई दिनों से लोग लोकतंत्र की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। हाल ही में देश की राजधानी खार्तूम की सड़कों पर हजारों लोगों ने प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने असैन्य सरकार की मांग की और सेना जनरलों पर लोकतंत्र के हस्तांतरण में बाधा डालने का आरोप लगाया। प्रदर्शन को रोकने के लिए सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले दागे।
सूडान में वर्ष 2019 से एक अंतरिम संयुक्त नागरिक-सैन्य सरकार का शासन है। लंबे समय से निरंकुश उमर अल-बशीर के शासन के खिलाफ चार महीने के व्यापक विरोध के बाद उन्हें सेना ने सत्ता से बेदखल कर दिया। अल-बशीर को बेदखल किए जाने के महीनों बाद सत्तारूढ़ जनरलों ने विरोध आंदोलन का प्रतिनिधित्व करने वाले नागरिकों के साथ सत्ता साझा करने पर सहमति व्यक्त की।
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शुक्रवार, 1 अक्टूबर को हजारों की भीड़ ने राष्ट्रीय झंडा लहराते हुए नारे लगाए ‘सेना सूडान की सेना है, बुरहान की सेना नहीं’ और कहा कि हम यहां तख्तापलट को रोकने और असैन्य शासन की मांग को लेकर इकठ्ठा हुए हैं। हम सेना को अपनी क्रांति और अधिकारों को नियंत्रित करने की अनुमति नहीं देते हैं। पिछले हफ्ते तख्तापलट के प्रयास के बाद नागरिक अधिकारियो ने सैन्य नेताओं पर अपनी सीमाओं को पार करने का आरोप लगाया है। जबकि जनरलो ने अर्थव्यवस्था और राजनीतिक प्रक्रिया के नागरिकों के अधिकारों पर प्रतिबंध लगाने की बात को खंडन किया है। उन्होंने कहा कि सेना का अपमान किया गया है। जिस कारण प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए आंसू गैस का सहारा लिया गया।
इसको स्पष्ट करते हुए प्रधानमंत्री अब्दुल्लाह हमदोक ने घटना के बाद कहा कि उनके लिए ”लोकतंत्र” ही सबसे पहली प्राथमिकता है। वह लोकतान्त्रिक मुद्दों को लेकर निजी कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
दक्षिण सूडान दुनिया के सबसे नए देशों में से एक है यह अफ्रीका महाद्वीप के केंद्र में स्थित है। इसकी सीमा छः देशों से सटी है। एक समय में यह हाथी के दांत और प्रकृति से प्राप्त तेल से भरपूर देश था। जिस कारण इसमें विकास भी ज्यादा हुआ। लेकिन विकास सिर्फ उत्तरी सूडान तक सिमट कर रह गया। दक्षिण सूडान तक नहीं पंहुचा। सूडान एक बेहद गरीब देश है। जिसमें रहने वाले लोगों की स्थिति इतनी खराब है कि वहां के लोगों को अपने भोजन के लिए भी बहुत संघर्ष करना पड़ता है। इसके बाद भी वह अपने भोजन के लिए भी पर्याप्त साधन की आपूर्ति से जूझ रहे हैं। जिस कारण सूडान की जनता अधिकतम प्रदर्शन का मार्ग अपना लेती है।
सूडान में लम्बे समय से चले आ रहे संघर्ष, जातीय हिंसा और नागरिकों पर हो रहे अत्याचारों के कारण लगभग तीन लाख 80 हज़ार लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि 40 लाख लोग अपने घरों से पलायन कर चुके हैं। विश्व के इस नवीनतम देश ने न केवल हिंसा और संघर्ष के दौर देखे हैं। बार-बार आती बाढ़, सूखा पड़ना, कम बारिश और प्राकृतिक आपदाओं का आना यहाँ की जलवायु परिवर्तन का ही नतीजा है। जिन कारणों से सूडान देश में रह रहे लोग अपने जीवन को जीने के लिए रोज़ नयी जंग करते हैं। और न जाने कितने ही लोगों ने इन जंगो में अपनी जाने गंवा दी हैं।
वर्ष 2019 में देश के 61 प्रतिशत लोग भुखमरी की चपेट में आए थे। जिनमें से लगभग 4 लाख लोगों की मौत हो गई थी। उस वक्त आए आर्थिक संकट के कारण भी काफी लोगों को जान गंवानी पड़ी थी। आर्थिक संकट के कारण महीनों के विरोध प्रदर्शन के चलते अप्रैल 2019 में सेना ने अल-बशीर को सत्ता से हटा दिया था। जिसे लेकर आज तक प्रदर्शन जारी है। प्रदर्शन में हर बार सेना द्वारा प्रदर्शनकारियों पर बर्बरता की जाती है। जो सूडान के लोगों के बढ़ते गुस्से का मुख्य कारण है।
वर्ष 2021 में भी 45 लाख बच्चे खाने की आपूर्ति के कारण कुपोषण का शिकार हो गए थे। जिनको तत्काल सहायता की ज़रूरत होने पर भी सरकार द्वारा कोई मदद नहीं की गई और अंत में लाखों बच्चो की मौत हो गई थी।