पड़ोसी देश पकिस्तान जहां आर्थिक संकट का सामना कर रहा है वहीं पकिस्तान से ही अलग हुआ बांग्लादेश शेख हसीना के नेतृत्व में दक्षिण एशिया में बड़ी आर्थिक ताकत बनकर उभर रहा है। दरअसल बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने पिछले दिनों देश के सबसे लंबे रेल-रोड पुल का उद्घाटन किया है। पाकिस्तान की क्रूरता से आजाद होने के बाद बांग्लादेश में यह अब तक का सबसे बड़ा इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट है। चीन की मदद से बनाए गए इस विशाल पुल से शेख हसीना ने न केवल अपने विरोधियों को चित किया , बल्कि अगले साल होने वाले आम चुनाव से पहले बड़ी लकीर खींच दी है । यही नहीं हसीना ने इस सफल प्रोजेक्ट से अमेरिका को भी बड़ा संदेश दे दिया है जो उनका लगातार इस प्रोजेक्ट का विरोध करता रहा है।
गौरतलब है कि बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना इस पुल को बनाने के लिए विश्व बैंक से आर्थिक मदद मांगी। इस बीच खबरें आईं कि शेख हसीना का लंबे समय से विरोध कर रहे अमेरिका ने विश्व बैंक पर दबाव डाला कि वह पद्मा ब्रिज प्रोजेक्ट से हट जाए। पाकिस्तान से आजादी के समय ही शेख हसीना के पिता शेख मुजीब का अमेरिका ने विरोध किया था। तभी से दोनों के बीच यह दुश्मनी चली आ रही थी।
अमेरिका से झटका मिलने के बाद बांग्लादेश की प्रधानमंत्री ने चीन से मदद ली और चीन की कंपनी ने इस विशाल पुल को सफलतापूर्वक बनाकर बांग्लादेशी प्रधानमंत्री के सपने को पूरा कर दिखाया। चीन की सरकारी मीडिया ने इसे चीनी कंपनी चाइना रेलवे मेजर ब्रिज इंजीनियरिंग ग्रुप की सफलता बताया और कहा कि बेल्ट एंड रोड परियोजना के साथ यह चीन की छवि को मजबूत करेगा। इस पुल का निर्माण साल 2015 में शुरू हुआ था और अब जाकर पूरा हुआ है। यह पुल राजधानी ढाका से 40 किमी की दूरी पर स्थित है। यह पुल देश के दक्षिणी पश्चिमी इलाके को राजधानी ढाका से रेल और रोड के जरिए जोड़ता है। शेख हसीना के लिए यह पुल बहुत महत्ब्पूर्ण है क्योंकि वर्ष 2023 में होने वाले चुनाव के लिए एक बड़े सफलता के प्रतीक के रूप में बनकर उभरा है।
विपक्ष के विरोध और विरोधियों को जबरन हिरासत में रखने के आरोप के बाद भी उनके विरोधी भी मानते हैं कि प्रधानमंत्री शेख हसीना के 13 साल के शासन के दौरान आर्थिक और मानवीय विकास के मोर्चे पर देश ने शानदार प्रगति की है। वहीं प्रधानमंत्री के लिए यह पुल महान गौरव का पल है और उनके शानदार नेतृत्व का एक और प्रमाण है। अमेरिकी दबाव में विश्वबैंक के इस परियोजन से हाथ खींच लेने के बाद यह शेख हसीना ही थीं जिन्होंने अपने संसाधनों से ही इस परियोजना को पूरा करने का फैसला किया। तब विश्व बैंक ने आरोप लगाया था कि इस परियोजना में भ्रष्टाचार के विश्सनीय सबूत मिले हैं जिसे बाद में कनाडा की एक अदालत ने खारिज कर दिया। हाल ही में शेख हसीना ने कहा था, ‘मैं महान बंगबंधु (शेख मुजीबुर रहमान) की बेटी हूं। मैं वह करके दिखाती हूं जो वादा करती हूं। एक रिपोर्ट के मुताबिक,उनका इशारा अपनी विरोधी खालिदा जिया की ओर था जिन्होंने उस समय कहा था कि यह पद्मा ब्रिज प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो पाएगा।
क्या पद्मा ब्रिज से बदल जाएगी बांग्लादेश की किस्मत?
बांग्लादेश के विशेषज्ञों का मानना है कि पद्मा ब्रिज के बनने से अब राजधानी ढाका का सभी दक्षिणी जिलों और देश के दूसरे बंदरगाह मोंगला से कनेक्शन हो जाएगा। इससे देश की सालाना जीडीपी में 1.2 प्रतिशत की वृद्धि होगी। अनुमान है कि इस पुल के बनने से अब बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था में 10 अरब डॉलर जुड़ जाएगा। बांग्लादेश में अब दो विशालकाय नदियों पद्मा और जमुना पर पुल बन गया है जिससे पूरा देश एकीकृत और कनेक्टेड इकॉनमी बन गया है। इस पुल के नहीं रहने पर हर साल बड़ी संख्या में लोग पद्मा नदी में डूबकर मर जाते थे। अब इससे बड़ी राहत मिलेगी। इससे पहले साल 1996 में सत्ता में आने के बाद शेख हसीना ने जमुना नदी पर बन रहे पुल को पूरा कराया था।
विशेषज्ञों के मुताबिक इस पुल के बनने से अब दक्षिण एशिया के पूरे पूर्वी हिस्से में ग्रोथ को बढ़ावा मिलेगा। शेख हसीना ने इस पुल को बनाने का सपना साल 2001 में ही देखा था और उसे अपनी पार्टी के घोषणपत्र में शामिल किया था। शेख हसीना ने जब इस प्रॉजेक्ट को खुद से पूरा करने का प्रण किया तो उसे कई लोगों ने पागलपन करार दिया था लेकिन उन्होंने यह कर दिखाया। यही वजह है कि बांग्लादेश में भारतीय उच्चायुक्त विक्रम दोरईस्वामी ने हाल ही में इसे ‘शेख हसीना का असाधारण साहस और ईमानदारी करार दिया था। पश्चिमी देशों के एजेंडे पर चलने वाले एनजीओ शेख हसीना के खिलाफ अभियान चला रहे थे, लेकिन बांग्लादेशी पीएम इससे दबाव में नहीं आईं। उन्होंने इस्लामिक विपक्षी दलों के आगे नहीं झुकने का फैसला किया और इस पुल को पूरा किया। शेख हसीना के प्रयास हैं कि बांग्लादेश में करोड़ों लोग गरीबी से बाहर निकल आए हैं और देश की अर्थव्यवस्था को गति मिल रही है।
इस पद्मा ब्रिज के बनने का सबसे बड़ा फायदा भारत को होने जा रहा है। इस पुल के बनने से अब कोलकाता से ढाका के बीच की दूरी आधी हो गई है। यही नहीं अब बांग्लादेश के रास्ते भारत के पूर्वोत्तर के राज्यों तक जाने का रास्ता भी बहुत कम हो गया है। विश्व बैंक का अनुमान है कि इस पुल के बन जाने से बांग्लादेश और भारत को राष्ट्रीय आय में 8 से 10 फीसदी की वृद्धि होगी और निर्यात भी 182 से 297 फीसदी तक बढ़ जाएगा। बढ़े व्यापार से भारत के अलावा नेपाल, भूटान और म्यांमार को भी बड़ा फायदा होने जा रहा है। पद्मा ब्रिज एशियाई हाइवे का अभिन्न हिस्सा होगा।