यदि वैश्विक नजरिए से देखा जाए और रिपोर्ट के आंकड़ों पर नजर घुमाई जाए तो महिलाओं को पुरुषों की तुलना में सिर्फ तीन-चौथाई कानूनी अधिकार प्राप्त हैं। हालांकि कोरोना संकट से त्रस्त देशों ने इस समय महिलाओं के जीवन यापन पर पड़े प्रभावों के बाद भी अपने कानूनों में बदलाव किया है। लगभग 23 देशों ने वर्ष 2021 में कोरोना से बेहाल होने पर भी महिलाओं की स्थिति में सुधार की ओर कदम बढ़ाया है। दुनिया के केवल 12 देशों में लैंगिक बराबरी क़ानूनी रूप से लागू है।
वीमेन, बिजनेस एंड द लॉ 2022 मैगजीन द्वारा कुल 190 देशों में कानूनों और नियमों का गहन अध्ययन किया जाता है। इसमें महिलाओं की आर्थिक भागदारी को प्रभावित करने वाले 8 क्षेत्र- गतिशीलता, काम करने की जगह, आय, शादी, अभिभावकता, उद्यमिता, संपत्ति और पेंशन आते हैं। जारी डेटा वैश्विक लैंगिक समानता के लिए लक्ष्य और मापे जाने लायक बेंचमार्क ऑफर करता है।
वीमेन, बिजनेस एंड द लॉ इंडेक्स के अनुसार सबसे अधिक सुधार वर्ष 2021 में मिडिल ईस्ट और नॉर्थ अफ्रीका और सब-सहारन अफ्रीका क्षेत्रों में हुआ है, हालांकि वे पूरी दुनिया के अन्य हिस्सों के मुकाबले काफी पीछे हैं। गैबोन अपने सिविल कोड में किए गए बड़े बदलावों और महिलाओं के खिलाफ हिंसा का खात्मा कानून लागू किए जाने के कारण सबसे अलग दिखता है। 2020 में गैबोन का स्कोर 57.5 था, जो 2021 में बढ़कर 82.5 हो गया
वैश्विक तौर पर सबसे ज्यादा सुधार अभिभावकता, आय और वर्कप्लेस इंडिकेटर्स में किए गए। कई सुधार दफ्तर में सेक्शुअल हैरसमेंट से बचाव के खिलाफ, लैंगिक भेद खत्म करने, नए पेरेंट्स के लिए पेड लीव बढ़ाने पर और महिलाओं के लिए नौकरी पर लगी रोक के खिलाफ थे।आय और अभिभावकता इंडिकेटर्स को इंडेक्स में सबसे कम औसत प्राप्त हुआ है, लेकिन पिछले साल की तुलना में दोनों इंडिकेटर्स 0.9 और 0.7 अंकों की बढ़ोतरी के साथ 68.7 और 55.6 के औसत स्कोर पर पहुंच गए। अभिभावकता इंडिकेटर में हुई वृद्धि के पीछे सबसे बड़ी वजह पैटरनिटी लीव और शेयर की जाने वाली पेरेंटल लीव रहीं, लेकिन कम अंक यह साबित करता है कि इस क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता है।