सैन्य तख्तापलट के बाद से म्यांमार में लोकतंत्र के लिए चल रहा आंदोलन अब और तेज हो गया है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग द्वारा जानकारी दी गई कि सेना ने रविवार, 28 फरवरी को प्रदर्शनकारियों पर अंधाधुंध गोलीबारी की। गोलीबारी में अठारह लोग मारे गए और 30 घायल हो गए। कई लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है।
म्यांमार में लोगों का आंदोलन पिछले एक महीने से चल रहा है और इस बीच सेना ने 28 फरवरी, रविवार को भारी बल प्रयोग कर अपनी क्रूरता का परिचय दिया। बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया, आंसू गैस के गोले दागे गए और गोलियां चलाई गईं। मानवाधिकार आयोग के अनुसार, सेना ने यंगून, डेवी, मांडले, मयक, बागो और पोक्कू में प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाईं। सैनिकों ने प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस और ग्रेनेड का इस्तेमाल किया। आयोग के प्रवक्ता रवीना शामदासानी ने कहा, “हम प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी की निंदा करते हैं और सेना से शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ बल प्रयोग नहीं करने का अनुरोध करते हैं।”
Secretary-General @antonioguterres strongly condemns violent crackdown in #Myanmar, calling use of lethal force against peaceful protestors and arbitrary arrests "unacceptable."https://t.co/j0BfRNWQCS
— UN Spokesperson (@UN_Spokesperson) February 28, 2021
पिछले एक महीने से म्यांमार के लोग आंग सान सू की की चुनी हुई सरकार को बहाल करने की मांग को लेकर सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। इस दौरान रविवार को सुरक्षा बलों द्वारा बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया ।
म्यांमार में सेना के समर्थन में सड़कों पर उतरे हजारों लोग
स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, दवे के अपेक्षाकृत छोटे शहर में आंदोलन के दौरान तीन लोग मारे गए। हालांकि, भ्रम की स्थिति और आधिकारिक जानकारी की कमी के कारण मौतों की पुष्टि नहीं की जा सकी। गौरतलब है कि म्यांमार में सेना ने 1 फरवरी को विद्रोह कर तख्तापलट कर दिया। इसलिए, पांच दशकों के सैन्य शासन के बाद म्यांमार का लोकतंत्र एक बार फिर टूटने की कगार पर है।