दो वक्त की रोटी के लिए आदमी दिन-रात काम करता है। वह खून-पसीना बहाता है ताकि उसे और उसके परिवार को सिर्फ दो वक्त की रोटी मिल सके। लेकिन अब यह रोटी कुछ ही सालों में खत्म होने वाली है और दुनिया में खाने का ऐसा संकट आने वाला है कि इंसान के लिए 1 वक्त का भी खाना मुश्किल हो जाएगा, 2 वक्त के लिए छोड़ दें। हो सकता है कि करोड़ों रुपये बीत जाने के बाद भी कोई व्यक्ति खाना न खरीद पाए। पिछले महीने एक रिपोर्ट सामने आई थी। जिसके अनुसार आने वाले 27 वर्षों में यानी वर्ष 2050 तक दुनियाभर में परंपरागत खाना समाप्त हो जाएगा।
हम सभी जानते हैं कि चींटी जैसे छोटे-छोटे जीव भी बुरे वक्त के लिए एक-एक दाना इकट्ठा कर भोजन संग्रह करते हैं। लेकिन दूसरी तरफ इंसान हैं कि हर दिन भोजन की बर्बादी करते रहते हैं। लेकिन अगर हम रिपोर्ट के संभावित खतरे को समझें तो हमें अभी से इसके लिए तैयार होना होगा और भोजन की बर्बादी बंद करनी होगी। रिपोर्ट के अनुसार आने वाले दिनों में स्थितियां भयावह हो सकती हैं।
इस रिपोर्ट के बाद अब वैज्ञानिकों द्वारा खाने का एक मेन्यू तैयार किया है। जिसमें उस दौरान आपकी थाली में क्या क्या होगा इसकी एक सूची बनाई गई है। वैज्ञानिकों के अनुसार, लोगों के पास तब बहुत ही सीमित खाद्य पदार्थ रह जाएंगे। वैज्ञानिकों ने एक सूची तैयार की है जो 2050 तक मेनू में हो सकते हैं। भविष्य में आप केले की तरह ही दिखने वाले इथियोपियन केले से नाश्ता कर सकते हैं या पांडनस के पेड़ के फल से नाश्ता कर सकते हैं। इसी तरह बीन्स, कई फलीदार सब्जियां और जंगली अनाज।
अनाज सामाजिक और आर्थिक आंकड़ों पर नजर रखने वाली संस्था द वर्ल्ड काउंट की रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया में ऐसा खाद्य संकट आने वाला है । साल 2050 तक पूरी दुनिया में अनाज खत्म हो जाएगा। वर्ल्ड काउंट ने अपनी वेबसाइट पर अनाज के अंत की उलटी गिनती भी लगाई है। इस उलटी गिनती के मुताबिक धरती को अनाज खत्म होने में अब 27 साल बाकी हैं।
द वर्ल्ड काउंट ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि साल 2050 तक दुनिया की आबादी एक हजार करोड़ को पार कर जाएगी। ऐसे में वर्ष 2050 में भोजन की मांग वर्ष 2017 की तुलना में 70 प्रतिशत अधिक बढ़ जाएगी। रिपोर्ट में बताया गया है कि पृथ्वी हर साल 7500 मिलियन टन उपजाऊ मिट्टी खो रही है। दुनिया में पिछले 40 सालों में कुल जमीन का एक तिहाई हिस्सा कम हो गया है। साथ ही भोजन की मांग इतनी बढ़ गई है कि अगले 40 वर्षों में पृथ्वी के लोगों की खाद्य जरूरतों को पूरा करने के लिए इतना अनाज पैदा करना होगा जितना पिछले 8 हजार वर्षों में नहीं किया गया था। यानी एक तरफ दुनिया में हर साल उपजाऊ जमीन कम होती जा रही है। अगर ऐसा हो रहा है तो जनसंख्या लगातार बढ़ रही है।
अनाज खत्म होने पर मांस एक विकल्प नहीं
द वर्ल्ड काउंट की रिपोर्ट के अनुसार, अनाज खत्म होने पर मांस खाना कोई विकल्प नहीं है क्योंकि मांस बनाने के लिए मकई की तुलना में 75 गुना अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है, जिसका उत्पादन करना एक असंभव कार्य है। वर्ल्ड काउंट ने अपनी रिपोर्ट में भविष्यवाणी की है कि आज की तुलना में वर्ष 2030 तक चावल की कीमत 130 प्रतिशत और मक्का की कीमत 180 प्रतिशत बढ़ जाएगी और आज दुनिया जिस कगार पर खड़ी है, उसमें भविष्य में भोजन पानी पर जंग हो सकती है।
द वर्ल्ड काउंट ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि आज के समय में जिस तरह से इंसान अपने स्वार्थ के लिए धरती का इस्तेमाल कर रहा है, साल 2030 के बाद हर व्यक्ति की खाने-पीने की जरूरतों को पूरा करने के लिए दो धरती की जरूरत पड़ेगी। क्योंकि आज के समय में मनुष्य ने पृथ्वी का 75 प्रतिशत भाग शोषण कर लिया है। एक तरफ जहां धरती पर अनाज का संकट गहराता जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ हम और आप खाना बर्बाद करने से नहीं कतरा रहे हैं।
पिछले साल संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी संयुक्त राष्ट्र खाद्य अपशिष्ट सूचकांक रिपोर्ट 2021 के अनुसार, 2019 में दुनिया भर में 93 मिलियन टन से अधिक भोजन बर्बाद हुआ, जो कुल उपलब्ध भोजन का 17 प्रतिशत था। संयुक्त राष्ट्र खाद्य अपशिष्ट सूचकांक रिपोर्ट 2021 के अनुसार, दुनिया में हर व्यक्ति हर साल 121 किलो भोजन बर्बाद करता है।