पिछले 1 सप्ताह में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दूसरी बार पंजाब पहुंचे हैं। सबसे पहले उन्होंने आम आदमी पार्टी का पंजाब में चुनाव लड़ने का ऐलान किया। इसी के साथ ही उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी पंजाब में किसी सिख को मुख्यमंत्री बनाएगी।इस बार फिर केजरीवाल पंजाब पहुंचे। हालांकि कल उन्हें चंडीगढ़ में प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी थी। लेकिन पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर आरोप है कि उन्होंने केजरीवाल को पंजाब भवन प्रेस कॉन्फ्रेंस करने के लिए नहीं दिया। हालांकि मुख्यमंत्री के पीआरओ ने इस बात का खंडन किया।
लेकिन आज एक बार फिर केजरीवाल ने पंजाब में दिल्ली मॉडल के सहारे अपनी सरकार बनाने की घोषणा की है। इस घोषणा में दिल्ली की तरह मुद्दा बिजली का है । जिस तरह दिल्ली में फ्री बिजली दी जा रही है उसी तरह केजरीवाल ने पंजाब में ऐलान किया है कि वह यहां के बाशिंदों को 300 यूनिट बिजली फ्री देंगे। मतलब यह कि दिल्ली की 200 यूनिट से 100 यूनिट ज्यादा।
इसी के साथ ही मुख्यमंत्री केजरीवाल ने दूसरी घोषणा यह की है कि पंजाब में जितने भी घरेलू बिजली बिल बकाया है उनकी सरकार जब आएगी तो उन्हें माफ कर देगी। केजरीवाल की तीसरी घोषणा पंजाब में 24 घंटे बिजली दिए जाने की है।
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मतलब साफ है कि आम आदमी पार्टी पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले बिजली का करंट देना चाहती है। हालांकि केजरीवाल का यह करंट अगले साल होने वाले चुनाव में कितना दौड़ेगा यह तो समय ही बताएगा। लेकिन फिलहाल कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार पसोपेश में है। वह इसलिए कि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने 2017 का जब चुनाव लड़ा तो उन्होंने अपने घोषणापत्र में स्पष्ट कहा था कि वह पंजाब को बिजली मूल्यों में रियायत देंगे ।
पिछले साढे 4 साल के दौरान पंजाब में बिजली के बिलों में कैप्टन अमरिंदर सिंह कोई रियायत तो दे नहीं पाए उल्टा बिजली के दाम बढ़ाए गए। बिजली के मुद्दे पर पिछले दिनों उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को आगाह किया था।
उन्होंने कैप्टन को इस ओर इशारा करते हुए कहा था कि वह बिजली के मामले पर जो पूर्व में घोषणा पत्र जारी किया गया उस पर फैसला लें। लेकिन कैप्टन अमरिंदर सिंह अपनी ही सरकार के पूर्व मंत्री रहे नवजोत सिंह सिद्धू से आपसी लड़ाई लड़ते रहे। उनकी इसी आपसी लड़ाई के दौरान केजरीवाल ने पंजाब में फिर से चुनाव लड़ने की एंट्री मार दी है।
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ऐसा नहीं है कि केजरीवाल पंजाब में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। बल्कि 2017 में भी उनकी पार्टी पंजाब में चुनाव लड़ी थी। तब आम आदमी पार्टी को पंजाब में 20 विधानसभा सीटों पर सफलता मिली थी। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि अरविंद केजरीवाल अगर एक छोटी सी चूक नहीं करते तो शायद वह पंजाब में पहले नंबर पर होते।
हुआ यह था कि 2017 का चुनाव होने से पूर्व उनकी पार्टी की तरफ से यह चर्चा चला दी कि केजरीवाल दिल्ली को छोड़कर पंजाब का सीएम बनना चाहते हैं। तब यह चर्चा खूब चली थी कि अरविंद केजरीवाल दिल्ली में मनीष सिसोदिया को मुख्यमंत्री बनाकर खुद पंजाब का सीएम बनने का ख्वाब देख रहे हैं।
लेकिन सिख बाहुल्य पंजाब के मतदाताओं को यह रास नहीं आया। जिसके चलते आम आदमी पार्टी पंजाब में दूसरे नंबर पर रह गई। हालांकि आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लिए यह संतोषजनक रहा कि 2017 के विधानसभा चुनाव में वह राष्ट्रीय पार्टी भाजपा से ऊपर रही।
भाजपा पंजाब विधानसभा चुनाव में तीसरे नंबर पर रही थी और महज तीन ही सीटों पर जीत पाई थी । इस बार क्योंकि किसान आंदोलन चरम पर है और किसान आंदोलन की शुरुआत पंजाब से हुई है । ऐसे में संभव है कि पंजाब का किसान भाजपा विरोधी मतदान करेगा। इसके चलते पंजाब में भाजपा के लिए सत्ता के दरवाजे काफी हद तक बंद हो चुके हैं। पंजाब की लड़ाई फिलहाल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच होती दिख रही है। हालांकि इस लड़ाई में अकाली दल ने काफी पकड बना ली है। अकाली दल के किसी मेहनत का नतीजा हो सकता है कि पंजाब में मुकाबला त्रिक्रोणीय हो जाए।