इस समय कोरोना से बचाव के लिए मास्क और कोरोना वैक्सीन को एक प्रभावी हथियार के रूप में देखा जा रहा है। कोरोना वैक्सीन सही समय पर सभी को लगाने की सलाह भी दी जा रही है। इस बीच 27 अक्टूबर, गुरुवार को एक ब्रिटिश अध्ययन में पाया गया कि कोरोना का डेल्टा वैरियंट टीकाकरण वाले लोगों से उनके करीबी संपर्कों में आसानी से फैल सकता है। एक साल तक चले अध्ययन से यह जानकारी सामने आई है।
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिटेन में 621 लोगों के एक साल के लंबे अध्ययन के बाद यह निष्कर्ष निकला है। द लैंसेट इंफेक्शियस डिजीज मेडिकल जर्नल में 27 अक्टूबर, गुरुवार को प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि इस अध्ययन में 621 लोगों को शामिल किया गया, जिनमें कोविड के हल्के लक्षण थे। अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया कि टीकाकरण के बाद भी संक्रमण का खतरा बना रहता है। अध्ययन में यह भी पाया गया कि वैक्सीन के संपर्क में आने वाले 25 फीसदी लोग कोरोना वायरस से संक्रमित थे, जबकि बिना टीकाकरण के संपर्क में आए करीब 38 फीसदी लोग संक्रमित हो गए।
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अध्ययन में कहा गया है कि जिन लोगों को टीका लगाया गया था उनमें संक्रमण के हल्के लक्षण थे, जबकि जिन लोगों को टीका नहीं लगाया गया था, उनके संपर्क में आने वाले बीमार हो गए और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। अध्ययनों से पता चला है कि केवल टीकाकरण डेल्टा-प्रकार के संक्रमण को रोक नहीं सकता है। हालांकि, टीकाकरण के बाद संक्रमण का प्रभाव कम हो जाता है और खतरनाक स्तर तक नहीं पहुंचता है। अध्ययन का नेतृत्व लंदन के इंपीरियल कॉलेज के प्रोफेसर अजीत लालवानी कर रहे हैं। इंपीरियल एपिडेमियोलॉजिस्ट नील फर्ग्यूसन का मानना है कि समय के साथ इम्यूनिटी कम हो जाती है। इसलिए कोई भी कभी भी संक्रमित हो सकता है और बूस्टर खुराक जरुरी है।