दो दिन से ऑस्ट्रेलियन अख़बार ‘फाइनेंशियल रिव्यू’ का वह पेज वायरल हो रहा है, जिसमे कार्टूनिस्ट डेविड रो ने एक कार्टून के जरिए देश के प्रधानमंत्री मोदी को व्यंगचित्र के जरिए दिखाया है। इस व्यंगचित्र में भारत देश को हाथी की तरह विशाल दिखाया गया है। यह हाथी मरने वाली हालत में जमीन पर पड़ा है। जिसकी पीठ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक माहराज की तरह विराजमान है। प्रधानमंत्री मोदी मरणाशन हालत में पड़े हाथी की पीठ पर लाल गद्दी वाला आसन लगाकर बैठे हुए हैं। उनके सिर पर पगड़ी है।
जबकि मोदी के एक हाथ में माइक है तो उनका दूसरा हाथ जनता का अभिवादन करता हुआ प्रतीत हो रहा है। इसे देखकर लग रहा है कि वह भाषण देने वाली स्थिति में हैं। डेविड रो का यह व्यंगचित्र सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। विदेशी मीडिया का अकेला यह एक मामला नहीं है जिसमे भारत में दिनों दिन भयानक रूप में सामने आ रही कोरोना महामारी पर मोदी सरकार को घेरा गया है। बल्कि आस्ट्रेलियन अखबार के अलावा विदेशी मीडिया के कई प्रतिष्ठानों ने अपने अपने समाचार पत्रों में वह सच लिखा है जिसको गोदी मीडिया दिखाने से गुरेज करता रहा है।
पहले बात करते है ब्रिटेन के प्रमुख अखबार ‘द गार्जियन’ की। ‘द गार्जियन’ ने भारत में कोरोना महामारी की दूसरी लहर में पैदा हुए भयानक हालात को लेकर प्रधानमंत्री मोदी को घेरा है। 23 अप्रैल के अपने अंक में द गार्जियन ने लिखा है कि भारतीय प्रधानमंत्री के अति आत्मविश्वास ओवर कॉन्फिडेंस ( अति आत्मविश्वास ) से देश में जानलेवा कोविड-19 की दूसरी लहर रिकॉर्ड स्तर पर फैली है। इसके चलते लोग अब सबसे बुरे हाल में जी रहे हैं। अस्पतालों में ऑक्सीजन और बेड दोनों नहीं है। 6 हफ्ते पहले उन्होंने भारत को ‘वर्ल्ड फार्मेसी’ घोषित कर दिया था। जबकि भारत में 1% आबादी का भी वैक्सीनेशन नहीं हुआ था।
इसके अलावा अमेरिकी अखबार ‘द वाशिंगटन पोस्ट’ ने अपने 24 अप्रैल के एडिसन में लिखा है कि भारत में कोरोना की दूसरी लहर की सबसे बड़ी वजह पाबंदियों में जल्द राहत मिलना है। इससे लोगों ने महामारी को हल्के में लिया। ‘द वाशिंगटन पोस्ट’ लिखता है कि कुंभ मेला और क्रिकेट स्टेडियम जैसे कार्यकर्मो में दर्शकों की भारी भीड़ इसके उदाहरण हैं। एक जगह पर महामारी का खतरा मतलब सभी के लिए खतरा है। कोरोना का नया वैरिएंट और भी ज्यादा खतरनाक है।
अमेरिका के ही दूसरे अखबार ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने भारत में फ़ैल रहे कोरोना बीमारी के संबंध में लिखा। ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने 25 अप्रैल को लिखा कि साल भर पहले दुनिया का सबसे सख्त लॉकडाउन लगाकर कोरोना पर काफी हद तक काबू पाने वाला भारत इस बार इसमें सफल नहीं हो रहा है। भारत में कोरोना एक्सपर्ट्स के द्वारा दी गयी चेतावनी की अनदेखी की गई। जिसके फलस्वरूप आज कोरोना के मामले बेकाबू हो गए हैं। अस्पतालों में बेड नहीं है। भारत के प्रमुख राज्यों में लॉकडाउन लग गया है। सरकार के गलत फैसलों और आने वाले मुसीबत की अनदेखी करने से भारत दुनिया में सबसे बुरी स्थिति में आ गया है। जो कोरोना को मात देने में एक सफल उदाहरण बन सकता था।
जबकि ‘टाइम मैगजीन’ ने 23 अप्रैल को राणा अय्यूब के लेख में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कोरोना की लड़ाई में असफल पीएम बताया गया। लेख में राणा अय्यूब के द्वारा सवाल किया गया है कि कैसे इस साल कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते तैयारी नहीं की गई। प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए कहा गया कि जिम्मेदारी उसके पास है, जिसने सभी सावधानियों को नजरअंदाज किया। जिम्मेदारी उस मंत्रिमंडल के पास है, जिसने प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ में कहा कि देश में कोरोना के खिलाफ उन्होंने सफल लड़ाई लड़ी। यहां तक कि टेस्टिंग धीमी हो गई। लोगों में भयानक वायरस के लिए ज्यादा भय नहीं रहा।
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उधर , ‘बीबीसी’ ने अपने इंग्लिश वर्जन में कहा है कि कोरोना के रिकॉर्ड मामलों से भारत की चिकित्सा प्रणाली पर बुरा असर पड़ा है। लोगों को इलाज के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन नहीं है। कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी की वजह कोरोना नियमो में ढलाई, मास्क पर सख्ती नहीं होना और कुंभ मेले में लाखों लोगों की उपस्थिति रही।