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तो क्या सिद्धू के लिए ‘फील्डिंग’ तैयार कर रहे केजरीवाल?

पंजाब में एक दिन पहले  दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पूर्व आईपीएस कुंवर प्रताप सिंह को आम आदमी पार्टी में शामिल करते समय पंजाब चुनाव के मद्देनजर बड़ी घोषणा की। जिसमे उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावो में सिख को ही पंजाब का मुख्यमंत्री बनाएगी। इसी के साथ ही इस बार केजरीवाल  2017 की राजनितिक गलती करते नहीं दिखाई दिए है। उस दौरान चर्चा चली थी कि दिल्ली का सीएम मनीष शिसोदिया को बनाकर केजरीवाल खुद पंजाब का मुख्यमंत्री बन सकते है। तब पार्टी का यह फार्मूला फ़ैल साबित हुआ था। हालाँकि उस दौरान पार्टी कांग्रेस के बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। तब 20 सीटें मिली थी। जबकि भाजपा को महज तीन सीटों पर ही संतोष करना पड़ा था।

 

फ़िलहाल ,  आम आदमी पार्टी के हौसले इसलिए भी बुलंद हैं। क्योंकि कुछ चुनावी सर्वे में उसे पंजाब में सबसे ज़्यादा सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है। साथ ही पार्टी ने इस बार पहले ही सिख समुदाय से मुख्यमंत्री होगा वाला दांव चलकर सही राजनीतिक चाल चल दी है। चर्चा है कि कांग्रेस मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से नाराज चल रहे नवजोत सिंह सिद्धू आम आदमी पार्टी में जा सकते है। कयास लगाए जा रहे है कि आप सिद्धू को पंजाब विधानसभा चुनावो में सीएम चेहरा घोषित कर सकती है।

 

याद रहे कि पार्टी क्रिकेटर से नेता बने नवजोत सिंह सिद्धू को पूर्व में भी केजरीवाल आप में शामिल करने के करीब पहुंच गए थे। लेकिन वह इसके बजाय कांग्रेस में लौट गए। जुलाई 2016 में सिद्धू के राज्यसभा से भाजपा का इस्तीफा देने के बाद यह उम्मीद जताई जा रही थी कि वह आप में शामिल होंगे। हालांकि आप के साथ उनकी बातचीत बीच में ही अटक गई थी। सिद्धू ने तब एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा था  कि मैं चाहता हूं कि मेरी भूमिका तय की जाए लेकिन ऐसा नहीं किया गया। मतलब यह था कि तब आप सिद्धू को सीएम चेहरा घोषित नहीं कर पाई थी।

यहां यह बताना भी जरुरी है कि 2014 के लोकसभा चुनावो में आम आदमी पार्टी को पूरे देश में सबसे ज्यादा सीट पंजाब से मिली थी। जब पार्टी के चार सांसद भगवंत मान, डा. धर्मवीर गांधी, हर‍विंदर सिंह खालसा और प्रो. साधू सिंह आप के टिकट पर पंजाब से जीतकर संसद में पहुंचे थे।  लेकिन 2019 तक आते – आते चार में से मात्र एक ही सांसद भगवंत मान पार्टी में रह गए। 2017 के विधानसभा चुनाव में पहली बार मैदान में उतरी आप पंजाब में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी थी। तब आप को पंजब की टोटल 117 सीटों में से 20 सीटें मिली थी।

 

यह भी सर्वविदित है कि आप का केंद्रीय नेतृत्व पिछले साढ़े चार वर्षों में पंजाब में पार्टी अध्यक्ष भगवंत मान को छोड़कर किसी अन्य नेता को तैयार करने में सफल नहीं रहा है। यहां तक कि संगरूर से आप के सांसद मान भी पार्टी को आगे बढ़ाने के लिए जाट या दलित चेहरों को साथ नहीं ला पाए हैं और वह आप का झंडा बुलंद रखने के लिए मुख्यत: विधायकों पर ही निर्भर रहे हैं।

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2017 के विधानसभा चुनाव में आप ने आधिकारिक तौर पर पंजाब के सीएम पद के उम्मीदवार की घोषणा नहीं की थी।  हालांकि तब उसके पास मान सबसे लोकप्रिय नेता थे।  लेकिन केजरीवाल ने उन्हें भी मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर घोषित नहीं किया। आप के एक पूर्व नेता की माने तो ऐसा इसलिए था क्योंकि यह तय किया गया था कि केजरीवाल खुद पंजाब के सीएम होंगे। इसकी घोषणा नहीं की गई थी। क्योंकि आप को यह डर भी था कि सीएम के चेहरे के तौर पर केजरीवाल को लोग खारिज कर सकते थे।

 

 गौरतलब है कि पंजाब की राजनीति में जाट सिखों का दबदबा रहा है और आम तौर पर इसमें कोई बदलाव भी नहीं होने जा रहा है। आप ने अब शायद इससे सबक सीखा है तभी तो पार्टी सयोजक अरविन्द केजरीवाल ने 2022 के चुनाव की रणभेदी के साथ ही सिख सीएम पर दांव लगाने की घोषणा कर दी है।

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