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सरकार ने जारी किया विशेष सत्र का एजेंडा

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केंद्र सरकार द्वारा 18 से 22 सितम्बर तक बुलाया गया संसद का विशेष सत्र लगातार चर्चा विषय बना हुआ है। इसको लेकर विपक्षी पार्टी और राजनीतिक विश्लेषक सवाल कर रहे थे कि आखिर इस विशेष सत्र का उद्देश्य क्या है? इसी बीच केंद्र सरकार ने विशेष सत्र का एजेंडा जारी कर दिया है। सरकार का कहना है कि इस दौरान राज्यसभा में 75 सालों की संसदीय यात्रा, उपलब्धियां, अनुभव और सीख पर चर्चा होगी। इसके अलावा चार बिल भी पेश किए जाएंगे। इससे एक दिन पहले 17 सितम्बर को पीएम मोदी नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे इसी दिन सर्वदलीय बैठक भी बुलाई गई है। इसमें लोकसभा स्पीकर ओम बिरला विशेष सत्र को सुचारु रूप से चलाने के लिए विपक्षी दलों से सहयोग की मांग कर सकते हैं।

 

ये विधेयक होंगे पेश

 

एडवोकेट संशोधन विधेयक 2023 : इस बिल को केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल इससे पहले मानसून सत्र में पेश कर चुके हैं। जहां इस पर चर्चा की जानी थी। इस बिल में अपनी उपयोगिता खो चुके सभी अप्रचलित कानूनों को या फिर स्वतंत्रता से पहले के अधिनियमों को निरस्त करने के लिए केंद्र सरकार लोकसभा में पेश करेगी। इस विधेयक के माध्यम से लीगल प्रैक्टिशनर्स एक्ट, 1879 को निरस्त किया जाना है और अधिवक्ता अधिनियम, 1961 में संसोधन किया जाना है।

प्रेस और आवधिक पंजीकरण विधेयक, 2023 : सरकार ने प्रेस और आवधिक पंजीकरण विधेयक को मानसून सत्र के दौरान ही राज्यसभा से पास करा लिया था। अगर यह बिल लोकसभा से पास हो जाता है तो इस बिल के लागू होने के बाद डिजिटल मीडिया, रेग्युलेशन के दायरे में आएगा। इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य समाज में पारदर्शिता लाना है। बिल के पास होने के बाद किसी व्यक्ति के लिए भी करना आसान हो सकता है। इसके लिए आप जिला कलेक्टर के पास आवेदन कर सकते हैं। कुल मिलाकर इस बिल से समाचार पत्रों और पत्रिकाओं के लिए पंजीकरण प्रक्रिया आसान हो जाएगी।

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डाकघर विधेयक, 2023 : यह विधेयक दस अगस्त 2023 को राज्यसभा में पेश किया गया था। यह विधेयक साल 1898 में बने पुराने अधिनियम के स्थान पर लाया जायेगा। जिसके माध्यम से डाक घर को पत्र भेजने, पत्र प्राप्त करने, एकत्र करने, और वितरित करने जैसी आकस्मिक सेवाओं के विशेषाधिकार को खत्म किया जायेगा। साथ ही इसके तहत डाकघर खुद का विशिष्ट डाक टिकट जारी कर सकेंगे। सिर्फ उन्ही के पास ऐसा करने का विशेषाधिकार होगा।

मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त विधेयक, 2023 : केंद्र सरकार ने मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव करने के उद्देश्य से मानसून सत्र में यह विधेयक पेश किया था। जिसके माध्यम से सरकार कह रही है कि संविधान के अनुच्छेद 324 में कोई संसदीय कानून नहीं था, इसलिए सरकार अब इस समस्या को खत्म करने के लिए इस विधेयक का निर्माण कर रही है। हालाकिं यह विधेयक विवादस्पद बना हुआ है।

 

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