[gtranslate]
Country

शराब पर सवाल मौन हैं ‘नीतीश कुमार’

पूर्ण रूप से शराबबंदी वाले बिहार में एक बार फिर जहरीली शराब का कहर बरपा है। सारण में जहरीली शराब पीने से लगभग 11 से ज्यादा लोगों  की मौत हो गई है। वहीं दो दर्जन से अधिक लोंगो की आखों की रोशनी चली गई। जिनका इलाज अभी अस्पताल में चल रहा है। लेकिन राज्य के मुखिया ‘सुशासन बाबू ‘  मौन ब्रत रहना राज्य और जनता के लिए बेहद निराशाजनक है।

राज्य में निरंतर हो रही जहरीली शराब से मौतों को लेकर नीतीश सरकार पर सवाल उठ रहे हैं कि सरकार की ओर से लगाए गए ड्रोन, हेलीकॉप्टर, सर्विलांस का क्या हुआ? इतने इंतजामों के बाद भी राज्य में शराब कैसे बेची जा रही है? 

यह पहली बार नहीं है जब बिहार में जहरीली शराब से लोगों की मौत हुई है। राज्य सरकार के आंकड़ों के मुताबिक पिछले एक वर्ष में जहरीली शराब के सेवन से करीब 173 लोगों की मौत हुई है। इन आंकड़ों को लेकर विपक्ष नीतीश सरकार पर आरोप लगा रहा है कि शराबबंदी को लेकर सरकार पूरी तरह विफल है, लेकिन सरकार इस हकीकत को स्वीकार नहीं करना चाहती है।मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार सरकार का अपना तर्क है कि जहरीली शराब से हुई मौतों को किसी भी तरह से शराबबंदी से नहीं जोड़ा जाना चाहिए।

सारण की घटना सामने आने के बाद डीएम और एसपी मामले की जांच के लिए घटनास्थल पर कैंप कर रहे हैं। जिले के डीएम राजेश मीणा ने कहा है कि पहली बार देखने पर लग रहा है कि  शराब पीने से मौत हुई है। इसके बाद कहा घटनास्थल पर मेडिकल टीम भी पहुंची हुई है। पुलिस छानबीन कर रही है। जिलाधिकारी ने आश्वासन दिया है कि इस मामले के किसी दोषी को छोड़ा नहीं जाएगा। वहीं इस घटना पर लोगों का कहना है कि एक शादी समारोह में शराब पीने की बात सामने आई है। मकेर थाने के फुलवरिया नोनिया टोली और सोनहो भाथा के लगभग पच्चीस से अधिक लोगों ने शराब पी थी।  जिनके घर में शादी थी, उन लोगों ने अपने सगे-सम्बन्धी को भोज का निमंत्रण दिया था जिस दौरान शराब पिलाई गई थी।

उधर इस मामले में पुलिस ने एक व्यक्ति को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए कई थानों की पुलिस को घटनास्थल पर भेजा गया।पुलिस, प्रशासन और उत्पाद विभाग की टीम अभी भी गांव में मौजूद है।  इस मामले में छानबीन की जा रही है। इस बीच प्रशासन ने लोगों से अपील की  है कि जिन लोगों ने शराब पी थी  वे बताएं ताकि इलाज करवाकर उनकी जान बचाई जा सके। मेडिकल टीम ग्रामीणों का हेल्थ चेकअप कर रही है। वहीं सारण में बीमार लोगों का ठीक से इलाज न होने से गुस्साए परिजनों व गांव के लोगों ने रोड जाम कर बेहतर इलाज कराने की मांग की है। एक रिपोर्ट के अनुसार, सड़क पर उतरी भीड़ ने आगजनी की और शासन प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की।

सरकार पर विपक्ष हमलावर

इस मामले के सामने आने के बाद आरजेडी  ने ट्वीट करते हुए लिखा, छपरा ज़हरीली शराब कांड में अब तक 13 लोग मारे जा चुके हैं।  वास्तविक संख्या इससे भी कहीं अधिक है! कितनों की आंखों की रोशनी जा चुकी है! इन सब की दोषी नीतीश सरकार है, जिसने शराबबंदी तो लागू की लेकिन गली-गांव में अवैध शराब बेचने वालों पर रोक लगाने में सफल नहीं हो पाई। 

इस घटना से पहले बिहार में होली के दौरान दो दिनों में तीन जिलों भागलपुर, बांका और मधेपुरा में करीब 32 लोगों की मौत हो गई थी। भागलपुर जिले में करीब 17 लोगों की मौत हो गई थी, वहीं बांका जिले में दो दिनों में लगभग 12 लोगों की मौत हो गई थी जबकि में करीब 3 लोगों की मौत हुई थी। इस घटना के समय भी मृतकों के परिजनों ने मौत की वजह जहरीली शराब बताया था।

जहरीली शराब से पहले भी हो चुकी हैं मौतें 

इस साल जनवरी महीने में बिहार में जहरीली शराब पीने से करीब 13 लोगों की जान चली गई थी। पिछले साल नवंबर महीने में मुजफ्फरपुर के कांटी प्रखंड स्थित बरियारपुर व मनिकापुर इलाके में जहरीली शराब से पांच लोगों की मौत हो चुकी है। नवंबर महीने में ही शुरुआत में जहरीली शराब पीने से गोपालगंज में 18 लोगों को मौत हो गई थी। वहीं कई लोगों के आंखों की रोशनी चली गई थी। इसी दौरान पश्चिम चंपारण में 15 लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना से पहले मुजफ्फरपुर जिले के सरैया थाना इलाके में जहरीली शराब के इस्तेमाल से पांच लोगों की मौत हो गई थी जबकि इसी जिले में इसके पीने के चलते सकरा प्रखंड में दो लोगों की मौत हो गई थी।इससे मौत का सबसे बड़ा मामला पिछले साल होली के ठीक बाद नवादा जिले में सामने आया था। यहां टाउन थाना क्षेत्र के गांवों में इसके इस्तेमाल के चलते करीब 16 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद फिर जुलाई महीने में पश्चिमी चंपारण के लौरिया में करीब इतनी ही संख्या में लोगों की मौत का मामला सामने आया था।

 मुजफ्फरपुर जिले में जहरीली शराब कांड के दौरान यह बात सामने आई थी कि बिहार के  शराब  माफिया शराब बनने में नशीली दवाओं और केमिकल इस्तेमाल करते थे। इसे पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश से लाया जाता था।इसके अलावा स्प्रिट के भी इस्तेमाल का पता चला था जो कि काफी जानलेवा होता है। इस कांड के दौरान जब शराब बनाने के दो अड्डों पर छापेमारी की गई थी तो इन अड्डो से कीटनाशक बरामद किया गया था।

5 अप्रैल 2016  में बिहार सरकार ने राज्य में शराब के निर्माण, व्यापार, भंडारण, परिवहन, बिक्री और खपत पर रोक लगाने और इसका उल्लंघन दंडनीय अपराध बनाने के लिए बिहार विधानसभा में लाया गया और इसे कानून को लागू किया था यानी बिहार में  पूर्ण शराबबंदी कानून लागू किया गया था। इस कानून से उम्मीद जताई जा रही थी कि राज्य में पूर्ण शराबबंदी होगी तो राज्य  एक आदर्श राज्य बनेगा,लेकिन आए दिन शराब कानून तोड़ने के मामले सामने आए। जिससे बिहार सरकार को केवल झटका ही नहीं लगा, बल्कि शरबबंदी कानून को लेकर अन्य राज्यों में भी सवाल खड़े होने लगे। इसके बाद वर्ष 2022 में बिहार सरकार ने शराबबंदी कानून संशोधन विधेयक में कई नियमों में बदलाव किए। नए के तहत पहली बार शराब पीकर पकड़े जाने पर 2 से 5 हजार रुपये के बीच जुर्माना देना होगा। अगर कोई जुर्माना नहीं देता है तो उसे एक महीने की जेल हो सकती है। इससे पहले  पहले जुर्माना 50 हजार था। 

 इसके बाद  शराबबंदी कानून को गलत तरीके से लागू करने को लेकर आलोचनाओं का सामना कर रही राज्य सरकार और बिहार पुलिस ने पिछले 7 महीनों में लगभग 73,000 से अधिक अपराधियों को गिरफ्तार करने का दावा किया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक,’एंटी लिकर टास्क फोर्स के एक अधिकारी का कहना है कि  विभाग ने 40,000 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है, जबकि शेष को जिला पुलिस ने गिरफ्तार किया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य में गिरफ्तार किए गए लोगों की कुल संख्या 73,413 है, जिनमें से 40,074 को  एएलटीएफ  ने पकड़ा है। सात माह की अवधि में प्रदेश के विभिन्न थानों में 52,770 प्राथमिकी दर्ज की गई है।  


‘शराबियों’ से जेल को भर रही हैं बिहार सरकार 

आंकड़ों की मानें तो एएलटीएफ की बात सच साबित होती है। क्योंकि बिहार के सभी जिलों में उत्पाद विभाग और मद्य निषेध विभाग सक्रिय है। अगर राज्य के दोनों विभाग एक्टिव नहीं होती तो हजारों गिरफ्तारियां भी नहीं होती। शारब कानून के तहद गिरफ्तार कुछ व्यक्तियों को जमानत मिली, लेकिन ज्यादातर गिरफ्तार व्यक्ति जेल भेजे गए। इस प्रक्रिया ने बिहार के जेलों को भर दिया। इससे पहले से सजा काट रहे कैदी परेशान हो गए। क्योंकी इस वजह से जेलों में क्षमता से दोगुना ज्यादा कैदी भर गए हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक,बिहार के बेउर जेल में लगभग 5500 से ज्यादा कैदी हैं। इनमें से लगभग 2100 कैदी शराब पीने के आरोप में बंद है। एक आकड़े पर नज़र डाले तो पता चलता है कि बिहार में जनवरी 2021 से अक्टूबर 2021 तक छापेमारी के दौरान बिहार में 49 हज़ार 900 लोंगो को गिरफ्तार किया था। इसमें शराब माफिया भी शामिल थे। इतना ही नहीं इस दौरान लगभग  38 लाख 72 हजार 645 लीटर अवैध शराब भी जब्त की गई थी।  जिसमें लगभग 12 लाख 93 हजार 229 लीटर देशी शराब थी। और लगभग 25 लाख 79 हजार 415 लीटर विदेशी शराब शामिल थी। बिहार पुलिस एयर उत्पाद विभाग की माने तो इस कार्रवाई के दोरान 1 हजार 590 ऐसे लोग पकड़े गए थे, जो देश के दूसरे राज्य से बिहार आकर शराब का सेवन कर रहे थे। या यंहा शारब बैच रहे थे। 


शराबबंदी मामलों के कारण लेट हो रहे हैं केस 

देश के उचतम न्यायालय ने 25 फरवरी 2022, को बिहार के शराबबंदी कानून के चलते अदालतों में बढ़ते मुकदमों पर सवाल उठाया था। न्यायालय ने  राज्य सरकार से पूछा था कि क्या कानून लागू करने से पहले यह देखा कि इसके लिए अदालती ढांचा तैयार है या नहीं? अगर ऐसा कोई अध्ययन किया था तो न्यायालय  और जजों की संख्या बढ़ाने को लेकर क्या किया ? न्यायालय  ने नीतीश सर्कार से कहा था कि राज्य में शराबबंदी कानून लागू करने के पहले  सरकार ने कोई अध्ययन किया या इसके लिए किसी तरह की तैयारी की? इस बाबत पूरी जानकारी न्यायालय  को मुहैया कराएं। इतना ही नहीं उचतम न्यायालय ने बिहार के जेल में बढ़ रहे संख्या पर भी सवाल उठाया है। इसके सतह ही कहा कि  पटना हाईकोर्ट के 26 में से 16 जज बिहार में लागू शराबबंदी कानून से जुड़े मसले ही देखने में व्यस्त हैं। तथा बिहार में निचली अदालत में भी जमानत याचिकाओं की बाढ़ आ गई। इस वजह से न्यायालय के 16 जजों को इसकी सुनवाई करनी पड़ रही है। इसके साथ यह भी चिंता जताई कि अगर जमानत याचिकाओं को खारिज किया जाता है तो जेलों में कैदियों की संख्या तेजी से बढ़ेगी। इसके बाद बिहार सरकार ने कहा था कि राज्य में शराबबंदी कानून को कड़ाई से लागू करने के लिए समीक्षा की जाएगी। तब विपक्ष ने हर बार की तरह आरोप लगाया था कि सरकार दोषियों पर कार्रवाई नहीं करती है। 

बिहार में शराबबंदी कानून पर विशेषज्ञों का कहना है कि, नीतीश कुमार की मंशा और नीति पर संदेह नहीं है। इस कानून से समाज में कुछ हद तक बदलाव देखने को मिला है। सबसे बड़ा बदलाव तो यह है कि बिहार इस कानून के आने के बाद घरेलु हिंसा में कमी आई है। लेकिन इन सब के बावदूद बिहार में शराब बिक रहा है। जो बिहार पुलिस के लिए पैसे कामने की मशीन बन गई है। पहले कानून तोड़ते पर कम पैसे लिया जाता था लेकिन अब इस कानून के तहद पकड़े जाने पर भारी जुर्माना देना पड़ता है। बिहार पुलिस पैसे कमाने के लिए कानून का दुरुपयोग कर रही है, जिसके कारण बिहार में शराबबंदी पूरी तरह से लागू नहीं हुई है।

यह भी पढ़ें: जात न पूछो साधु की

You may also like

MERA DDDD DDD DD