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पंजाब कांग्रेस में झगड़े के चलते बड़ा फैसला लेने के मूड में पार्टी आलाकमान

 तमाम कोशिशों के बावजूद पंजाब कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई थमने के बजाए बढ़ती ही जा रही है। राज्य में पार्टी के प्रभारी हरीश रावत द्वारा किये गए सुलह के प्रयास विफल हुए हैं। ऐसे में संकेत मिल रहे हैं कि पार्टी आलाकमान पंजाब को लेकर कोई  बड़ा कदम उठाया जा सकता है। दरअसल , राज्य के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिध्दू  के बीच काफी समय से चल रही नोक – झोंक  बढ़ती ही जा रही है।

 

 


कैप्टन विरोधी गुट को पार् प्रभारी हरीश रावत ने कड़ा झटका दिया

 

 

पंजाब कांग्रेस में अंतर्कलह के बीच कैप्टन विरोधी गुट को पार्टी प्रभारी हरीश रावत ने कड़ा झटका दिया है।  इसके बावजूद बागी मंत्री बैकफुट पर आने को तैयार नहीं हैं। पंजाब के बागी मंत्री और उनके साथ आए कई विधायक अब भी अपनी जिद  पर अड़े हैं। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ बगावत करने वाले चार मंत्री और कुछ विधायक अब कांग्रेस आलाकमान से मिलेंगे और अपनी बात रखेंगे। दूसरी ओर बताया जाता है कि आलाकमान का सिद्धू गुट और बागी नेताओं पर रुख कड़ा हो गया है।आलाकमान पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की कार्यप्रणाली और बयानों से नाराज है। ऐसे में संकेत मिल रहे हैं कि पार्टी नेतृत्त्व द्वारा पंजाब को लेकर कोई बड़ा कदम उठाया जा सकता है।

 

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पंजाब में सिध्दू गुट अपनी ताकत का अहसास करने की कोई कोशिश नहीं छोड़ रहा है,लेकिन राज्य में कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत ने कैप्टन को 2022 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का चेहरा बता कर विरोध का झंडा बुलंद करने वाले विधायकों की सारी हेकड़ी  निकाल दी ।

पहले यह जानकारी सामने आई कि फिलहाल सिध्दू गुट के विधायकों ने दिल्ली जाने का विचार छोड़ दिया है, लेकिन बाद में राजिंदर सिंह बाजवा ने साफ किया कि उनके रुख में कोई बदलाव नहीं आया है।रावत से मिले शिष्टमंडल की अगुवाई कर रहे कैबिनेट मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा ने कहा, ‘हमारी पंजाब प्रभारी हरीश रावत के साथ मीटिंग हो गई है। हमने उन्हें सारी बात बता दी है। अब दिल्ली में हाईकमान के सामने भी सारी जानकारी रखेंगे।’

हरीश रावत के स्टैंड के बाद अब विरोधियों के स्वर धीमे पड़ने लगे हैं। मुख्यमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने वाली बैठक में शामिल बलुआणा के विधायक नत्थु राम का कहना है कि वह पार्टी के साथ खड़े हैं। पार्टी जो फैसला करेगी वह उन्हें स्वीकार है। इससे पहले छह विधायक और एक पूर्व विधायक भी मुख्यमंत्री को बदलने  की मांग से खुद को अलग कर चुके हैं। नत्थू राम ने कहा, ‘हाईकमान जो फैसला करेगा वह उन्हें स्वीकार है। कैप्टन वरिष्ठ नेता हैं। विधायकों के कुछ गिले-शिकवे हैं। मुख्यमंत्री को उन्हें बैठा कर सुलझा देना चाहिए।’

 

31 विधायकों के समर्थन के दावे संग रावत से मिलने पहुंचे थे बाजवा व अन्य नेता

 

गौरतलब है कि 24 अगस्त को राजिंदर सिंह बाजवा के घर पर चार मंत्रियों और करीब दो दर्जन विधायकों की बैठक हुई थी। इसके बाद मंत्रियों राजिंदर सिंह बाजवा, चरणजीत सिंह चन्नी, सुखजिंदर सिंह रंधावा और पार्टी महासचिव परगट सिंह ने मीडिया के सामने दावा किया था कि बैठक में सभी विधायकों ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व पर अविश्वास जाहिर किया है। इसलिए हम हाईकमान से मिलकर मुख्यमंत्री को बदलने की मांग करेंगे।

इसके बाद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने चारों मंत्रियों व कुछ विधायकों के साथ चंडीगढ़ स्थित कांग्रेस भवन में अलग से बैठक की थी। इसमें सिद्धू ने विधायकों को विश्वास दिलाया था कि वह उनकी बात हाईकमान तक पहुंचाएंगे। हालांकि रात को छह विधायकों व एक पूर्व विधायक ने संयुक्त बयान जारी कर कहा था कि वह कैप्टन के साथ हैं।

 

खुद को अगला मुख्यमंत्री का उम्मीदवार मान रहे थे बाजवा, रंधावा और चन्नी

 

जानकारी के अनुसार चारों कैबिनेट मंत्री कैप्टन का विकल्प लेकर भी पहुंचे थे। इस विकल्प में बाजवा खुद और दो अन्य में रंधावा और चन्नी शामिल थे। जानकारी के अनुसार रावत ने बैठक में चारों मंत्रियों को स्पष्ट रूप से कह दिया कि मुख्यमंत्री नहीं बदले जाएंगे। जहां तक बेअदबी और अन्य कामों की बात है वह हाईकमान देख लेगी। उनकी बातों को हाईकमान तक पहुंचा दिया जाएगा। रावत के स्टैंड के बाद मंत्रियों ने दिल्ली जाने की योजना को त्याग दिया। जबकि पूर्व योजना अनुसार रावत से मिलने के बाद मंत्री दिल्ली जाने वाले थे।

रावत के स्टैंड की प्रतिक्रिया न सिर्फ कैप्टन के खेमे में दिखाई दी बल्कि मंगलवार को कैप्टन के विरोध में हुए बैठक में शामिल वाले विधायकों के खेमे में भी देखी गई। कैप्टन ने अपने फेसबुक पेज पर 2022 का चुनाव उनके नेतृत्व में लड़े जाने की घोषणा का धन्यवाद भी किया।

 

कैप्टन ने किया रावत का धन्यवाद

 

रावत के स्टैंड पर कैप्टन ने अपने फेसबुक पेज पर 2022 का विधानसभा चुनाव उनके नेतृत्व में लड़े जाने की घोषणा का धन्यवाद किया। इसी तरह  प्रदेश प्रभारी के रुख के बाद बगावत करने वाले विधायक भी पसोपेश में पड़ गए हैं कि भविष्य में वह क्या रणनीति अपनाएं।  कांग्रेस कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत में परगट सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री को बदलना ही नहीं, बल्कि असली बात यह है कि मुद्दे हल होने चाहिए।

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