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जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में गरमाई यूपी की राजनीति 

अगले साल यानी कुछ ही महीनों के भीतर पांच राज्यों  उत्तर प्रदेश ,उत्तराखण्ड ,पंजाब,मणिपुर और गोवा में  विधानसभा चुनाव होने हैं। इन राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल मार्च से अप्रैल के बीच  समाप्त होने वाला है। इनसे पहले उत्तर प्रदेश में इन दिनों विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल कहे जाने वाले जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव को लेकर राजनीति गरमाई हुई है। राज्य की सत्ताधारी पार्टी भाजपा और समाजवादी पार्टी  के बीच आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गया है।

समाजवादी पार्टी के प्रमुख एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जहां चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी पर ‘अलोकतांत्रिक हथकंडा अपनाने का आरोप लगाया, वहीं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने पलटवार करते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी में जहां परिवार ही पार्टी तथा सरकार रही हो, उसके प्रमुख अखिलेश यादव का लोकतांत्रिक मूल्यों की दुहाई देना शोभा नहीं देता है।

इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री  अखिलेश यादव ने एक बयान में भाजपा पर आरोप लगाया था कि  जिस तरह से जिलों में पंचायत अध्यक्षों के नामांकन अलोकतांत्रिक तरीके से रोके हैं, उससे चुनाव की निष्पक्षता एवं पवित्रता नष्ट हुई है, यह लोकतंत्र की हत्या की साजिश है।

 उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में जिला पंचायत अध्यक्ष के पदों के निर्वाचन के लिए 26 जून को सभी 75 जिलों में उम्मीदवारों ने अपना नामांकन पत्र दाखिल किया। हालांकि, 18 जिलों में एक ही उम्मीदवार के मैदान में होने से उनका निर्विरोध चुना जाना तय है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्वाचन क्षेत्र गोरखपुर में भी जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में भाजपा उम्मीदवार के मुकाबले दूसरा कोई उम्मीदवार न होने से उनका निर्विरोध चुना जाना तय है। राज्य निर्वाचन आयुक्त मनोज कुमार ने बताया कि 29 जून तक उम्मीदवार अपना नामांकन वापस ले सकते हैं।  तीन जुलाई को पूर्वाह्न 11 बजे से अपराह्न तीन बजे तक मतदान तथा उसके बाद मतगणना होगी।

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अखिलेश यादव ने आरोप लगाया, वाराणसी एवं गोरखपुर में जिला पंचायत सदस्यों के चुनाव में भाजपा बुरी तरह पराजित हुई थी, ऐसे में उनके अध्यक्षों का निर्विरोध निर्वाचन एक चमत्कार से कम नहीं। धन बल-छल बल और सत्ता बल का ऐसा अनैतिक खेल सत्ता लोलुप भाजपा ने खेलकर साबित कर दिया है कि वह जनादेश का सम्मान नहीं करती है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, कोविड-19 महामारी के समय अपने घरों में बैठकर सोशल मीडिया पर झूठ और भ्रम फैला कर प्रदेशवासियों को डराने वाले लोग आपदा के समय जनता से दूर रहे और अब जब वे पंचायत चुनावों में भी करारी हार के करीब हैं तो अनर्गल प्रलाप कर रहे हैं। सिंह ने आरोप लगाया, सपा की कार्य संस्कृति अराजकता, गुंडागर्दी, राजनीतिक अपराधीकरण तथा भ्रष्टाचार की रही है, उसके राजनीतिक मूल्यों में जातिवाद, परिवारवाद तथा तुष्टीकरण समाहित है। उन्होंने निजी हितों की पूर्ति के लिए संवैधानिक संस्थाओं पर भी हमला करने में तनिक संकोच नहीं किया और अब जब वही संस्थाएं संविधान की परिधि में काम कर रही हैं तो आज सपा प्रमुख विचलित हो रहे हैं।

गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम ने शनिवार 26 जून  को 11 जिलों के पार्टी अध्यक्षों को पद से हटा दिया। सपा द्वारा जारी बयान के मुताबिक गोरखपुर, मुरादाबाद, झांसी, आगरा, गौतम बुद्ध नगर, मऊ, बलरामपुर, श्रावस्ती, भदोही, गोंडा व ललितपुर के पार्टी जिला अध्यक्षों को हटाया गया है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक यह वह जिले हैं जहां सपा प्रत्याशी अपना नामांकन दाखिल नहीं कर पाए थे।

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