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बिहार की राजनीति से वास्ता रखने वालों का मानना है कि जद(यू)-भाजपा गठबंधन भीतर सब कुछ सामान्य नहीं चल रहा है। कहा-सुना जा रहा है कि भाजपा और जद(यू) के सुरताल एक बार फिर से बिगड़ने लगे है। नीतीश कुमार का पैगासस जासूसी मामले को लेकर दिया गया बयान भाजपा नेतृत्व को रास नहीं आया है। इतना ही नहीं जाति आधारित जनसंख्या को लेकर भी नीतीश कुमार का राजनीतिक स्टैंड भाजपा को अखर रहा है। सूत्रों की माने तो गत् सप्ताह प्रधानमंत्री मोदी संग बिहार के प्रतिनिधिमंडल की बैठक दौरान भी रिश्तों में आ रही ठण्डक का असर देखने को मिला। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के संग बिहार के सभी राजनीतिक दलों के नेताओं का प्रतिनिधिमंडल इस मुद्दे पर पीएम संग मिला जरूर लेकिन उसे कुछ हासिल नहीं हुआ। खबर जोरों पर है कि पीएम कार्यालय ने जानबूझ कर इस प्रतिनिधिमंडल संग पीएम की मुलाकात को कोई तव्वज्जो नहीं दी। न तो पीएमओ द्वारा कोई बयान इस बाबत जारी किया गया, न ही सोशल मीडिया में कोई तस्वीर शेयर की गई। गौरतलब है कि पीएमओ नियमित तौर पर पीएम से मुलाकात करने वालों की बाबत जानकारी सोशल मीडिया में जारी करता है। खास मुलाकातों को पीएम के निजी ट्वीटर हैंडल एवं फेसबुक तक में शेयर किया जाता है। बिहार के प्रतिनिधिमंडल संग मुलाकात को लेकिन पीएम ने पूरी तरह ब्लैक आउट कर स्पष्ट संकेत दे डाले हैं कि जद(यू) और भाजपा के रिश्तों में तल्खी बढ़ रही है। पटना के सत्ता गलियारों में बड़ी चर्चा है कि सीएम नीतीश कुमार और लालू यादव परिवार में लालू के जमानत पर बाहर आने बाद नजदीकियां बढ़ी हैं। कहा तो यहां तक जा रहा है कि यदि संबंध ज्यादा बिगड़े तो नीतीश कुमार एक बार फिर से राजद संग गठबंधन कर सरकार बना सकते हैं।

 

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