कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ मध्य प्रदेश से राजस्थान में प्रवेश कर गई है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आज 5 दिसंबर को राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के गढ़ झालरापाटन से अपनी यात्रा की शुरुआत कि है,तो दूसरी तरफ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट को एकजुट कर सियासी संदेश दिया है।
दरअसल राज्य में ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का आगाज भाजपा की दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के विधानसभा क्षेत्र झालरापाटन से किया है। इस तरह से कांग्रेस ने वसुंधरा के गढ़ से पदयात्रा कर साफ सियासी संदेश देने की कोशिश की है। झालावाड़ इलाका पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का गढ़ माना जाता है।गौरतलब है कि पिछले 9 लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को हार ही मिली है। इसमें 5 बार पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और 4 बार से उनके पुत्र दुष्यंत सिंह से हार का सामना करना पड़ा है। वसुंधरा राजे अभी झालरापाटन से विधायक भी हैं। पिछले 4 दशकों में 2009 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस राजस्थान में 25 में से 21 सीटें जीत शानदार प्रदर्शन किया था। भाजपा तब केवल 4 सीटें जीत पाई थी, उनमें से 1 सीट झालावाड़-बारां थी। इसलिए प्रदेश में राहुल की पदयात्रा के ऐतिहासिक होने का दावा किया जा रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यात्रा के दौरान होने वाली सभाओं में राहुल गांधी वसुंधरा राजे और भाजपा को घेरते नजर आएंगे ताकि 2023 के विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए कांग्रेस को राज्य में मजबूती मिल सके। कहा जा रहा है कि यह भारत जोड़ो यात्रा राजस्थान की सात जिलों की 18 विधानसभा सीटों को कवर करेगी, लेकिन कांग्रेस उसके जरिए पूरे प्रदेश के सियासी समीकरण को साधना चाहती है। यात्रा राजस्थान के जिस रास्ते से गुजर रही है वहां की ज्यादातर विधानसभा सीटों पर गुर्जर और मीणा समाज इन सभी सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं । इसलिए यात्रा के राजस्थान में एंट्री से पहले ही सचिन पायलट को मनाया गया है। साथ ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के संग उनके सारे गिले-शिकवे दूर कराए गए हैं। मुख्यमंत्री गहलोत और सचिन पायलट ने एक साथ राहुल गांधी और भारत जोड़ो यात्रा की अगुवाई की है। इतना ही नहीं राहुल गांधी का सहरिया नृत्य के साथ स्वागत किया गया है। राहुल गांधी ने सचिन पायलट और अशोक गहलोत का हाथ पकड़ कर नांच भी किया है। यह कांग्रेस के लिए बहुत अहम माना जा रहा है। क्योंकि दोनों ही नेताओं के बीच पिछले ढाई साल से सियासी घमासान चल रहा था । कुछ दिन पहले गहलोत के सचिन पायलट के द्वारा साल 2020 में की गई बगावत को गद्दारी का नाम दिए जाने के बाद यह लड़ाई फिर तेज हो गई थी। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने इंदौर में ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान कहा था कि अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों ही कांग्रेस के लिए जरुरी हैं। राहुल गांधी ने गहलोत और पायलट का हाथ पकड़ कर यह संदेश देने की कोशिश की थी कि राजस्थान कांग्रेस में अब पूरी तरह से डैमेज कंट्रोल कर लिया गया है।
कांग्रेस की यह यात्रा पहली बार कांग्रेस शासित राज्य में पहुंची है,जहां यह यात्रा 8 दिनों तक राजस्थान में रहेगी। देशभर में अब तक हुई भारत जोड़ो यात्रा के मुकाबले राहुल गांधी राजस्थान में ज्यादा चलेंगे। यह बात इसलिए कही जा रही, क्योंकि राहुल गांधी अब तक जहां औसतन रोजाना 25 से 30 किलोमीटर का सफर तय कर रहे थे। वहीं,अब राजस्थान में औसतन 35 किलोमीटर चलेंगे। राजस्थान में यात्रा के दौरान कुछ दिन तो ऐसे भी हैं, जहां एक दिन में 35 से 40 किलोमीटर भी यात्रा कर सकते हैं। राजस्थान में यात्रा झालावाड़ की झालरापाटन, कोटा की रामगंज मंडी, लाडपुरा, कोटा उत्तर और दक्षिण कोटा सीट से गुजरेगी।
इसके बाद यह यात्रा बूंदी जिले की केशोरायपाटन से होते हुए टोंक जिले में प्रवेश करेगी। इस दौरान यात्रा देवली और उनियारा विधानसभा क्षेत्र से गुजरेगी। सवाई माधोपुर विधानसभा इलाके से बामनवास और लालसोट और दौसा में प्रवेश करेगी। दौसा, लालसोट, सिकराय और बांदीकुई विधानसभा क्षेत्र से होते हुए अलवर पहुंचेगी। अलवर जिले की अलवर ग्रामीण, अलवर रामगढ़, राजगढ़ और लक्ष्मणगढ़ विधानसभा होते हुए राहुल की पदयात्रा हरियाणा राज्य में प्रवेश करेगी। ऐसे में देखना है कि राहुल की भारत जोड़ो यात्रा को जिस तरह से साउथ के राज्यों और महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश में देखने को मिला था, क्या वैसा ही उत्साह रहता है या फिर उससे ज्यादा देखने को मिलता है।