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कुढ़नी में कहीं फंस न जाए तेजस्वी-नीतीश की नाव

बिहार में कुढ़नी विधानसभा उपचुनाव का सियासी खेल दिलचस्प बना हुआ है। सुबह से वोटिंग जारी है मोकामा और गोपालगंज उपचुनाव का मुकाबला टाई होने के बाद कुढ़नी विधानसभा उपचुनाव भाजपा और महागठबंधन के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है। वहीं इस चुनाव में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन और विकासशील इंसान पार्टी भी ताल ठोक रही है।दोनों पार्टियों के उम्मीदवार उतारने से मुकाबला दिलचस्प हो गया है। कुढ़नी विधानसभा से राष्ट्रीय जनता दल के विधायक ‘अनिल साहनी’ को एमपी-एमएलए न्यायालय ने अयोग्य ठहराए था इसके बाद ही उपचुनाव हो रहे हैं। यहां प्रयोग के तौर पर राष्ट्रीय जनता दल के बजाय जनता दल यूनाइटेड ने अपना उम्मीदवार मैदान में उतारा है।जदयू ने मनोज कुशवाहा को टिकट दिया है। वहीं भाजपा ने एक बार फिर केदार प्रसाद गुप्ता को मैदान में उतारा है,इन्होंने 2020 के चुनाव में आरजेडी उम्मीदवार को कड़ी टक्कर दी थी। राजद उम्मीदवार ने मात्र 712 वोटों से जीत हासिल की थी।इस उपचुनाव में जहां सत्तारूढ़ महागठबंधन के सामने इस सीट को बचाने की चुनौती है,तो वहीं भाजपा पिछले चुनाव में हार का बदला लेना चाहेगी।

 

बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के कुढ़नी विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या 3,11,728 है। जिनमें 1,64,474,पुरुष 1,46,507, महिला ,6 थर्ड जेंडर और 741 सेवा निर्वाचन मतदाता हैं । यह इलाका ग्रामीण क्षेत्र में आता है,जहां कुल मिलाकर 3 लाख 11 हजार 728 मतदाता हैं । इस इलाके की जातीय समीकरण की बात करें तो पहले नंबर पर लगभग 40 हजार मतदाताओं के साथ कुशवाहा जाति के वोटर हैं। इसी को ध्यान में रखकर जेडीयू ने मनोज कुमार सिंह उर्फ मनोज कुशवाहा को अपना प्रत्याशी बनाया है।दूसरे नंबर पर वैश्य समाज के लोग आते हैं, जिनकी संख्या करीब 33 हजार के आसपास है। इसी के चलते भाजपा ने केदार गुप्ता को एक बार फिर से अपना प्रत्याशी बनाया है। इसके अलावा 25 हज़ार मतदाताओं के साथ सहनी समाज तीसरे नंबर पर आता है, जिनके सहारे मुकेश सहनी अपनी ‘नाव ‘ को पार लगाना चाहते हैं ,इसके लिए बाकायदा उन्होंने स्वर्ण समाज से नीलाभ कुमार को प्रत्याशी के तौर पर उतारा है। चौथे नंबर पर करीब 23 हज़ार मतदाताओं के साथ यादव समाज के लोग हैं। इसके अलावा कुर्मी जाति के लोग भी अच्छी खासी संख्या में हैं। वहीं अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति मतदाताओं की संख्या लगभग 19 प्रतिशत है, जिन पर चिराग पासवान की नजर है और वह अपने कार्यकर्ताओं को इन्हीं वोटरों को एकजुट कर भाजपा को वोट डायवर्ट करने को लेकर क्षेत्र में सक्रिय हैं। कुढ़नी सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या भी लगभग 22 हज़ार के आसपास है, जिसपर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन ने पूर्व जिला पार्षद मुर्तजा अंसारी को प्रत्याशी के तौर पर उतारा है।इस विधानसभा क्षेत्र में अगड़ी जाति के करीब 45 हज़ार मतदाता हैं, जिनकी नाराजगी को भाजपा को दूर करना है। अगर आरजेडी का उम्मीदवार होता तो भाजपा की मुश्किलें बढ़ सकती थी, लेकिन नीतीश कुमार या फिर मुकेश सहनी के साथ अगड़ी जाति के वोटर जाएंगे तो यह मुकाबला देखना दिलच्सप माना जा रहा है,यहां सभी राजनीतिक दल जातीय समीकरण के सहारे जीत दर्ज करना चाह रहे हैं ।राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि इस विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम और वीआईपी की उम्मीदवारी भाजपा और महागठबंधन का खेल बिगाड़ सकती है। इस सीट पर पिछले चुनाव में सिर्फ 712 वोट से जीत हुई थी। इस चुनाव में भाजपा के केदार गुप्ता,आरजेडी के अनिल साहनी से सिर्फ 712 वोटों से हारे थे। इससे पहले साल 2015 के विधानसभा चुनाव में केदार 11570 वोटों से जीते थे। तब उनका सीधा मुकाबला मनोज कुशवाहा से हुआ था। इस उपचुनाव में भी एक बार फिर दोनों आमने-सामने हैं।

 

कौन किसके वोटों में लगाएगा सेंध?

बिहार में जाति के आधार पर सभी राजनीतिक दलों के अपने-अपने वोटर्स हैं, जिसमें सभी सेंध लगाने की कोशिश कर रहे हैं। विकासशील इंसान पार्टी का निलाभ कुमार को टिकट देना भाजपा से भूमिहार मतों को काटने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है तो भाजपा इसी को कारण बनाकर सहनी मतों पर डोरे डाल रही है। जदयू की नजर कुर्मी-कुशवाहा और यादव-मुस्लिम समीकरण पर है,लेकिन एआईएमआईएम के प्रत्याशी उतारने से एक बार फिर मुस्लिम वोटर्स बंट सकते हैं, जिससे नुकसान महागठबंधन को हो सकता है। गोपालगंज उपचुनाव में यही महागठबंधन की हार का कारण बना था। पिछले चुनावों पर नजर डालें तो 2015 में भाजपा के केदार प्रसाद गुप्ता ने जदयू उम्मीदवार मनोज कुशवाहा को पटखनी दी थी। तब जदयू और राजद ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। केदार प्रसाद गुप्ता को जहां 73,227 वोट मिले थे, वहीं मनोज कुशवाहा को 61,657 वोट मिले थे। हालांकि इस सीट पर साल 2005 से ही मनोज कुशवाहा ही जीत दर्ज करते रहे हैं। वहीं 2020 आते-आते फिर सियासी समीकरण बदल गया। भाजपा और जदयू ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा। भाजपा ने अपने सीटिंग विधायक केदार प्रसाद गुप्ता को उम्मीदवार बनाया था,लेकिन वो राजद उम्मीदवार अनिल साहनी से चुनाव हार गए,जीत हार का फासला महज 712 वोटों का रहा था। अनिल साहनी को 78,549 वोट मिले थे,जबकि केदार प्रसाद गुप्ता को 77,837 वोट मिले थे। 2015 की तरह इस बार फिर जदयू और राजद साथ है. प्रदेश में महागठबंधन की सरकार है,जबकि भाजपा अकेले चुनावी मैदान में ताल ठोक रही है। हालांकि कहा जा रहा है कि एआईएमआईएम और वीआईपी वोट कटवा साबित हो सकती है, जिसका फायदा भाजपा को मिल सकता है। गोपालगंज में हार के बाद कुढ़नी विधानसभा उपचुनाव नीतीश-तेजस्वी के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। देखना होगा कि इस बार बाजी कौन मारता है।

 

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