महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद को लेकर सियासी संग्राम जारी है। शिवसेना और बीजेपी अपने-अपने जिद पर कायम है, इसी का नतीजा है कि अभी तक सरकार गठन नहीं हो सका है। महाराष्ट्र में जो इस समय हो रहा है वो शायद भारत में पहले कभी नहीं हुआ. बहुमत नहीं होने पर राजनैतिक दल किसी तरह दूसरे दलों से जोड़तोड़ करके सरकार बनाने की कोशिश करते हैं भले ही वो विचारधारा के स्तर में एक दूसरे से कितने भी अलग हों एक दूसरे के कितने भी बड़े विरोधी रहे हों लेकिन यहां तो सहयोगी ही आपस में भिड़े हुए हैं. महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए 9 नवंबर तक की डेडलाइन है।
महाराष्ट्र में भाजपा अपनी सहयोगी शिवसेना को किसी भी सूरत में मुख्यमंत्री का पद नहीं देगी। पार्टी शिवसेना को अधिक से अधिक डिप्टी सीएम और मंत्रिमंडल में 40 फीसदी हिस्सेदारी देने पर ही सहमत होगी। अगर शिवसेना सीएम बनाने की शर्त और 50-50 फार्मूले पर अड़ी रही तो राज्य में नई सरकार के गठन में देरी होना तय है। दोनों दलों के बीच आज यानी बुधवार को नई सरकार के गठन पर बातचीत हो सकती है। हालांकि यह तय नहीं है कि इस दौरान शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के सामने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह होंगे या कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा।
महाराष्ट्र में कुछ भी असंभव नहीं
दरअसल विधानसभा चुनाव का परिणाम आने के बाद शिवसेना सरकार के गठन में 50-50 (कार्यकाल का आधा-आधा बंटवारा) फार्मूले को लागू कराने पर अड़ी हुई है। शिवसेना चाहती है कि इस फार्मूले के तहत पहला कार्यकाल उसके हिस्से आए और उसे अपना सीएम बनाने का मौका मिले। इस संदर्भ में तीखी बयानबाजी के बावजूद भाजपा अपनी सहयोगी को ज्यादा भाव देने के मूड में नहीं है। पार्टी के रणनीतिकारों को लगता है कि शिवसेना दबाव की राजनीति के तहत डिप्टी सीएम के साथ आधे मंत्रिमंडल में नेतृत्व और कुछ मंत्रालय चाहती है। क्योंकि भाजपा के इतर शिवसेना का एनसीपी और कांग्रेस के साथ सरकार बनाने का रास्ता इतना भी आसान नहीं है।महाराष्ट्र की राजनीति से जुड़े एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक सीएम पद देने का सवाल ही नहीं है। अगर शिवसेना को डिप्टी सीएम का पद मिलेगा तो उसे मंत्रिमंडल में अधिक से अधिक 40 फीसदी की हिस्सेदारी दी जाएगी।अगर फिर भी शिवसेना सीएम पद के लिए अड़ी रही तो राज्य में सरकार के गठन में और देरी होना तय है। क्योंकि भाजपा सीएम और कार्यकाल का आधा-आधा बंटवारे की शर्त को किसी कीमत पर स्वीकार नहीं करेगी।
हालाकि महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर जारी गतिविरोध के बीच शिवसेना नेता संजय राउत ने एक बार फिर दोहराया कि राज्य का अगला मुख्यमंत्री उनकी पार्टी से ही बनेगा। वहीं एनसीपी ने भी शिवसेना के सामने एनडीए से बाहर निकलने की शर्त रख दी है। एनसीपी प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा है कि अगर भाजपा शिवसेना को मुख्यमंत्री पद नहीं देती है तो विकल्प तलाशा जा सकता है,लेकिन इसके लिए शिवसेना को भाजपा और एनडीए का साथ छोड़ना होगा। इस बीच भाजपा ने शिवसेना के साथ चल रहे दंगल को सुलझाने का संकेत दिया है। भाजपा नेता सुधीर मुनगंटीवार ने कहा है कि किसी भी समय सरकार गठन को लेकर सुखद खबर आ सकती है।