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जानिए रेबेका जॉन के बारे में, जिन्होंने प्रिया रमानी को दिलाया इंसाफ

पत्रकार प्रिया रमानी की वकील रेबेका जॉन ने दिल्ली कोर्ट में 17 फरवरी को जो जीत दर्ज की उसकी तारीफ़ हर कोई कर रहा है। बकौल रेबेका,”यह मेरे जीवन के सबसे प्रमुख केसों में से एक है। यहां मैं और प्रिया दोनों ही इस बात को जानते थे कि हमारी लड़ाई जिससे है वो बड़ा रसूक वाला है, उसकी पहुंच और पकड़ हर जगह हैं। उस ताकतवर के सामने हमारे पास जो कुछ था वह था ‘सच’।” प्रिया ने कहा, ‘ये जीत उन सबकी है जिन्होंने मी टू अभियान में अपनी आवाज़ उठाई।’

प्रिया रमानी ने वर्ष 2018 में पूर्व केंद्रीय मंत्री एम जे अकबर पर यह आरोप लगाया था कि उन्होंने करीब 20 साल पहले उनके साथ गलत आचरण किया था। उस वक्त प्रिया एक पत्रकार थीं और अकबर ‘ एशियन ऐज’ अखबार के सम्पादक।

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इसके बाद तो पूरे देश में हैशटैग मी टू का मूवमेंट ही चल पड़ा। आन्दोलन इतना तेज हुआ कि एम जे अकबर को 17 अक्टूबर 2018 में केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था। अकबर ने इससे पहले एक कोर्ट ट्रायल में यह भी कहा था कि,’प्रिया ने उनके ख़िलाफ़ मीडिया का दुरुपयोग किया, मेरे लिए अभद्र शब्दों का इस्तेमाल कर उन्होंने उनकी मानहानि की और उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया।’

अकबर ने अन्य महिलाओं द्वारा उनके ख़िलाफ़ मी टू के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था और प्रिया के खिलाफ भारतीय दंड सहिता की धारा 499 के तहत मामला दर्ज करा दिया था। साल 2018 से लेकर 2021 तक चले इस केस में अब फैसला आ गया है।

अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट, रवीन्द्र कुमार पांडे ने इस पर फैसला सुनाते हुए कहा कि, “उनके (रमानी) खिलाफ कोई भी आरोप साबित नहीं किया का सका।जिस देश में महिलाओं के सम्मान के बारे में रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्य लिखे गए, वहां महिलाओं के खिलाफ अपराध होना शर्मनाक है।”

आइये जानते हैं, कौन है ‘रेबेका जॉन’ जिन्होंने इस कानूनी लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाया

वरिष्ठ अधिवक्ता रेबेका जॉन , दिल्ली यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई करने के बाद वर्ष 1988 में बार काउंसिल ऑफ इंडिया की सदस्य बनीं।

अपने शानदार वकालत के सफर की वजह से वह वर्ष 2013 की पहली महिला अधिवक्ता बनीं जिन्हें दिल्ली हाइकोर्ट द्वारा क्रिमिनल साइड की सीनियर कॉउन्सिल के तौर पर नियुक्त किया गया।

उन्होंने अभी तक के अपने वकालत के सफर में कई ऐसे बड़े केसों को भी जीता जिस पर मीडिया की पूरी नजर रही।वे केस सिर्फ राष्ट्रीय मीडिया में ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर की मीडिया में भी छाए रहे।

साल 2010 में उन्होंने 1984 के सिख दंगों में पीड़ित परिवारों के केस लड़ा जिनके लोग इस दंगे में मारे गए थे, उन्होंने यह केस कांग्रेस के एक चर्चित नेता जगदीश टाइटलर के ख़िलाफ़ लड़ा था, जिन पर यह आरोप था कि इस दंगे में वो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए थे।

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वर्ष 2015 में रेबेका ने 1987 में हुए हाशिमपुरा जनसंहार में पीड़ित परिवारों का भी केस लड़ा। वर्ष 2012 में उन्होंने कोबाड गांधी के लिए भी केस लड़ा था, वे एक कम्युनिस्ट थे, उन पर यूएपीए(अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट) के तहत कई आरोप लगे थे। उन्होंने भारतीय क्रिकेटर एस श्रीसन्त की ओर से भी केस लड़ा था ,उन पर इंडियन प्रीमियर लीग के दौर स्पॉट फिक्सिंग करने का आरोप था।

वर्ष 2017 में जॉन ने राजनीति से जुड़े कनिमोझी करुनानिधि और संजय चन्द्रा के लिए भी कोर्ट में केस लड़ा, उन पर 2G स्पेक्ट्रम में घोटाला करने के आरोप लगे थे। वर्ष 2016 में उन्होंने विद्यार्थी एवं नेता कन्हैया कुमार को भी कोर्ट में रिप्रेजेंट किया था। ऐसे कई केस हैं जिनको रेबेका ने सिर्फ कोर्ट में प्रेजेंट ही नहीं किया बल्कि अपनी जीत भी दर्ज कराई। वर्तमान में वे 2020 में हुए दिल्ली दंगों पर आधारित एक केस को भी कोर्ट में पेश कर रही हैं।

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