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मनरेगा के तहत काम मांगने वाले परिवारों की बढ़ी संख्या

देश में कोरोना काल के दौरान लाखों लोगों की नौकरिया कोरोना की भेट चढ़ गई,इसके वजह से लोगों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। इसका सबसे ज्यादा असर मज़दूरी करने वाले मज़दूरों पर पड़ा है तो वही अब एक रिपोर्ट यह बताती है कि मनरेगा के तहत काम करने वाले लोगों की संख्या बढ़ी है। यह संख्या बढ़ना किस और इशारा करती है।

 

 दरअसल, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत गर्मिणो को एक वर्ष में 100 दिन का रोजगार का गारंटी देती है। लेकिन इस मई में मनरेगा ने एक नया रिकॉर्ड बनाया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक,मनरेगा के तहत काम मांगने की संख्या 3 .07 करोड़ तक पहुंच गई जो योजना की शुरुआत के बाद से सबसे अधिक संख्या है। पिछले महीने परिवारों द्वारा की गई काम की यह मांग, महामारी से पहले के वर्षो (2015-2019) के दौरान 5 वर्ष के औसत से 43 प्रतिशत अधिक है। आज ग्रामीण परिवार में उस नौकरी के लिए लाइन में लगा है जिसमे मज़दूरी के रूप में बहुत कम भुगतान किया जाता है। अकुशल पुरुष श्रमिकों के लिए औसत दैनिक वेतन 337 रुपये की तुलना में प्रति दिन लगभग 209 रुपये ही मिलते हैं।

मनरेगा में काम की बढ़ती मांग ग्रामीण भारत के लिए गंभीर संकट का संकेत है। आंकड़े बताते हैं कि उनके पास ऐसी पर्याप्त नौकरियां नहीं हैं जो भोजन की बढ़ती कीमतों के बीच उनकी खाने की जरूरतों को भी पूरा कर सकें। मुद्रास्फीति के लिए समायोजित गैर-कृषि ग्रामीण मजदूरी, जनवरी 2022 ’ के आकड़ें और भी निराशाजनक हैं जो भीतरी इलाकों में आजीविका संकट का संकेत देते नजर आ रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने वालों मज़दूरों की संख्या बढ़ने के साथ -साथ ग्रामीण क्षेत्रों में श्रम की मांग में बढ़ोतरी का संकेत दे सकती है।वास्तविकता यह है कि देश में काम ना होने के कारण प्रवासी श्रमिकों का बड़ा हिस्सा शहर से वापस लौट रहे है।

 इस योजना पर नज़र रखने वाले विशेषज्ञों कहना है कि ग्रामीण इलाको में मनरेगा के तहत सबसे ज्यादा गर्मीं महिलाए काम करती है लेकिन अब ऐसा लगता है कि ग्रामीण पुरुष भी इस लाइन में है।  इस वर्ष के मई और अप्रैल में इस योजना के तहत सबसे ज्यादा काम माँगा गया है।

गौरतलब है कि लगभग 3.7 करोड़ परिवार ने मांग की है। इसका मतलब साफ नज़र आ रहा है कि भारत में मज़दूरों का बहुत बुरा हाल है। मुंबई स्थित स्वतंत्र निकाय सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी कि रिपोर्ट भी यही कहती है कि भारत की बेरोजगारी दर बहुत कम है।

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