उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश में महिला सुरक्षा के कसीदे पढ़ते थकते नहीं है। वर्ष 2017 में सत्ता पर काबिज होने के बाद से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार जीरो टॉलरेंस, न्यूनतम अपराध और बेहतर कानून व्यवस्था का दावा करते रहे हैं। लेकिन प्रदेश की जमीनी हकीकत कुछ और ही है। आज भी उत्तर प्रदेश महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में टॉप राज्यों में शामिल है। अपराध का ताजा घटना जालौन जिले से सामने आया है, जहां बन्दूक की नोक पर एक ‘नाबालिग दलित लड़की के साथ कथित गैंगरेप किया गया है। पुलिस इस मामले में खुद एक्शन लेने की बजाय समझौता करने का दबाव बनाने को लेकर सवालों के घेरे में है।
दरअसल, उत्तर प्रदेश महिला सुरक्षा के मामले में हमेशा सवालों के घेरे में रहती है। वर्ष 2020 की हाथरस की घटना तो सबको याद ही होगा। जब एक कथित बलात्कार का मामला सामने आया था, जो कि पूरे देश में चर्चा का विषय बना था। 4 सितंबर 2020 को उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में 4 आरोपियों ने कथित तौर पर, दलित समुदाय की एक लड़की का बलात्कार करके हत्या का प्रयास किया था। जिसके बाद पीड़िता को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां 29 सितंबर को उसने दम तोड़ दिया था। पीड़िता की मौत के बाद, इस बात की चर्चा भी हुई कि प्रदेश की पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए, आधी रात को ही शव को जला दिया था। इस ख़बर के फैलने के बाद, मामले ने ज़बरदस्त तूल पकड़ लिया और देश के कई राजनेताओं की भी इसमें एंट्री हुई। इस दौरान, हाथरस को पूरी तरह से छावनी में बदल दिया गया था। यहां तक, कि स्थानीय लोगों को भी अपना पहचान पत्र दिखा कर प्रवेश लेना पड़ रहा था। मामले को बढ़ता देखकर, इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई थी.इसके बाद सीबीआई ने पीड़ित युवती के बयान को आधार बनाकर, चार आरोपियों को हिरासत में लिया था। आज भी मामला कोर्ट में चल रहा है। उत्तर प्रदेश की पुलिस कहती है कि ‘सुरक्षा आपकी, संकल्प हमारा’ इसके बावजूद उन पर पीड़ित को प्रताड़ित करने का आरोप लगते रहे है। यहाँ तक कि मामले को दबाने का भी आरोप लगते है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तो कई बार फटकार लगाया है।
क्या है पूरा मामला?
एक रिपोर्ट के मुताबिक, मुताबिक मामला जालौन कोतवाली क्षेत्र के व्यासपुरा गांव का है। यहां दलित नाबालिग पीड़िता शाम को अपने ही मोहल्ले की एक दुकान पर सामान लेने गई थी। वहां पहले से ही मौजूद गांव के ही दो युवक मलखान और जीतू ने उसे इशारा कर अपने पास बुलाया। जिसके बाद आरोपियों ने पीड़िता को पास बुलाकर उसे बन्दूक की नोक पर सुनसान इलाके में ले गए और वहां कथित तौर पर उसका रेप किया। इसके बाद युवकों ने लड़की को धमकाया कि अगर उसने इस बारे में पुलिस को बताया तो वे उसके घरवालों को मार डालेंगे। घर आने के बाद लड़की ने अपने घरवालों को घटना की जानकारी दी।लड़की के पिता को जब इस बारे में पता चला तो वो फ़ौरन इसकी शिकायत दर्ज़ करवाने पुलिस स्टेशन पहुंचे। पिता का आरोप है कि तुरंत कोई एक्शन लेने की बजाय पुलिस ने उन पर समझौता करने का दबाव बनाया। घटना के एक दिन बाद तक कोई एक्शन नहीं लिया गया। पुलिस के इस रवैये से परेशान होकर पीड़िता ने जालौन पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर पूरे मामले की जानकारी दी और आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक,इस पर अपर पुलिस अधीक्षक असीम चौधरी ने मीडिया से बातचीत करने के दौरान कहा है कि,जालौन कोतवाली क्षेत्र में एक मामला आया है। एक लड़की ने शिकायती पत्र दिया है। जांच की जा रही है और 164 के बयान लिए जा रहे हैं। मेडिकल परीक्षण कराया गया है। इसके बाद जो तथ्य सामने निकलकर आएंगे उसके आधार पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
वर्ष 2022 यूपी विधानसभा चुनाव की रैलियों में सीएम योगी के साथ-साथ पीएम नरेंद्र मोदी भी महिला सुरक्षा के कसीदे पढ़ते नज़र आ रहे थे। हालांकि सरकारी संस्था राष्ट्रीय महिला आयोग के मुताबिक वर्ष 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश से रिपोर्ट हुए, जो कुल शिकायतों का आधा से ज्यादा का आंकड़ा है। आयोग की हालिया जारी रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 30 हजार से ज्यादा मामले सामने आए। जिसमें सबसे अधिक 15,828 शिकायत यूपी से थीं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की मानें तो महिलाओं के खिलाफ सबसे ज्यादा क्राइम में भी उत्तर प्रदेश टॉप पर है। यहां वर्ष 2020 में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध के 49,385 मामले दर्ज कराये गए थे। देश में रेप के मामले में भी उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर है। यानी राजस्थान के बाद उत्तर प्रदेश ही वो राज्य है जहां महिलाएं सबसे अधिक बलात्कार का शिकार हो रही हैं। देश में वर्ष 2020 के दौरान बलात्कार के कुल 28046 केस दर्ज किए गए, जिसमें से उत्तर प्रदेश में कुल इतने 2,769 मामले दर्ज हुए।
गौरतलब है कि देश में दलितों पर हर चौथा अपराध उत्तर प्रदेश में होता है। एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में वर्ष 2017 में दलितों के खिलाफ अपराध का आंकड़ा 11,444 था, जो 2019 में बढ़कर 11,829 हो गया। यानी देश में दलितों के खिलाफ होने वाले अपराधों में उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी 25.8% है। वहीं वर्ष 2020 के आंकड़े देखें तो, देश में दलितों के खिलाफ अपराध के कुल 50,291 मामले दर्ज हुए, जिसमें से अकेले सिर्फ उत्तर प्रदेश में 12,714 मामले दर्ज हुए। यानी दलित उत्पीड़न में प्रदेश पूरे देश में अव्वल पर है। बहरहाल, सीएम योगी आदित्यनाथ की ‘ठोक दो’ की नीति, ‘न्यूनतम अपराध’ के दावे और उत्तम प्रदेश के दावों से इतर प्रदेश की जमीनी सच्चाई ये है कि उत्तर प्रदेश में हर तरह के अपराध का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। वंचित, शोषित लोग न्याय की आस में दर-बदर भटक रहे हैं तो वहीं पुलिस पीड़ित को और प्रताड़ित कर रही है। कुल मिलाकर देखें तो सत्ता में वापसी के बाद भी भाजपा की योगी सरकार कानून व्यवस्था और महिला सुरक्षा के मोर्चे पर विफल ही नज़र आती है।