अयोध्या में अवैध कॉलोनाइजर्स में विधायक वेद प्रकाश गुप्ता, महापौर ऋषिकेश उपाध्याय समेत 40 ‘रसूखदारों’ के नाम आने के बाद हड़कंप मचा हुआ है।जमीन के अवैध कारोबार में इन रसूखदारों पर आरोप है कि इन्होंने करोड़ों रुपये की धांधली की है। इनमें से कई नाम ऐसे हैं जो पहले श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को लाखों रुपए की जमीन करोड़ों में बेचने को लेकर चर्चा में रह चुके हैं।
गौरतलब है कि अयोध्या विकास प्राधिकरण ने 7 अगस्त को अवैध रूप से जमीन की खरीद-फरोख्त और निर्माण कार्य कराने वाले लगभग 40 लोगों की एक सूची जारी की है। इस मामले में अयोध्या विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष विशाल सिंह का कहना है कि इस सूची में शामिल सभी व्यक्तियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसमें सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इस सूची में भाजपा विधायक वेद प्रकाश गुप्ता और अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय का नाम भी शामिल है जो पहले श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को लाखों की जमीन को करोड़ो में बेचकर सुर्खियों में आ चुके हैं ।यह मामला उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के दौरान भी चर्चाओं में रहा था। तब अयोध्या के भाजपा संसद लल्लू सिंह ने राज्य के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ को पत्र लिखकर मामले की जांच करने की मांग की थी। इसी बीच उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा है कि,’हमने पहले भी कहा था , ‘फिर दोहरा रहे हैं भाजपा के भ्रष्टाचारी कम-से-कम अयोध्या को तो छोड़ दें।’
इस मामले को आम आदमी पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने भी,अयोध्या विकास प्राधिकरण द्वारा जारी किए गए सूची पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए आरोप लगाया है कि, ‘भाजपा के लोगों की आस्था भगवान श्रीराम में नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार में है।’ उन्होंने ट्वीट के जरिए कहा कि, ‘भगवान की धरती पर भाजपा नेताओं के भ्रष्टाचार का खुला खेल चल रहा है,जो मैंने कहा था वो सच साबित हो रहा है। अयोध्या में भाजपा के मेयर, विधायक, पूर्व विधायक सहित कई नेताओं ने हजारों-करोड़ों का जमीन घोटाला किया है। ‘आज अयोध्या में जमीन घोटाला करने वालों लोगो की जो सूची जारी हुई है। उसमें मेयर ऋषिकेश उपाध्याय, अयोध्या नगर के भाजपा विधायक वेद प्रकाश गुप्ता और पूर्व विधायक ‘गोरखनाथ बाबा’ का भी नाम शामिल है।
वर्ष 2019 के नवंबर महीने में उच्चतम न्यायालय द्वारा वर्षो से चल रहे अयोध्या भूमि विवाद पर बड़ा फैसला लिया गया ,जिसके बाद यह जमीन ‘हिन्दू पक्ष’ को मिली ।इसके बाद से अयोध्या जमीन लेनदेन का एक बड़ा केंद्र बन गया । यंहा बड़े नेताओं, अधिकारियों एवं उनके परिजनों ने जमीन खरीदी। एक तरफ जहां श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट जिसका गठन फरवरी 2020 में हुआ ,ने करीब 70 एकड़ भूमि ली , वहीं दूसरी तरफ कई प्रभावशाली लोग इसके आस-पास के क्षेत्र में व्यापक स्तर पर जमीनें खरीद रहे हैं।
दिसंबर 2021 में आई इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ‘राम मंदिर’ के आस -पास के जमीन खरीदारों में भाजपा विधायक, अयोध्या में तैनात अधिकारी के करीबी रिस्तेदारऔर यहां तक कि स्थानीय अयोध्या राजस्व अधिकारियों जिनका काम भूमि लेन – देन को प्रमाणित करना होता है। उन्होंने भी यंहा जमीनें खरीदी हैं। इंडियन एक्सप्रेस के रिपोर्ट के द्वारा इस द्वारा खंगाले गए 14 मामलों के रिकॉर्ड बताते हैं कि अयोध्या ‘राम मंदिर’ स्थान के 5 किलोमीटर के क्षेत्र में एक विधायक, मेयर और राज्य ओबीसी आयोग के सदस्य ने अपने नाम पर जमीन खरीदी है। वहीं संभागीय आयुक्त, उप-मंडल मजिस्ट्रेट, पुलिस उप महानिरीक्षक, पुलिस सर्किल ऑफिसर और राज्य सूचना आयुक्त के रिश्तेदारों ने भी जमीन खरीदी है।
इसमें से 5 मामलों में लेनदेन को लेकर हितों के टकराव का मामला सामने आया था। तब अयोध्या के महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट ने जो जमीन बेची है। वह ‘दलितों’ से जमीन खरीदते वक्त कथित अनियमितताओं को लेकर जांच के दायरे में है। इस मामले की जांच अयोध्या के ही अधिकारी कर रहे हैं। जिनके रिश्तेदारों ने जमीन खरीदी है। वहीं एक खबर के मुताबिक, विधायक वेद प्रकाश गुप्ता के भतीजे तरुण मित्तल ने 21 नवंबर 2019 को राम मंदिर के पास बरहटा मांझा में लगभग 5,174 वर्ग मीटर जमीन रेणु सिंह और सीमा सोनी से 1.15 करोड़ रुपये में खरीदी थी। इसके साथ ही 29 दिसंबर 2020 को उन्होंने राम मंदिर स्थल से लगभग 5 किमी दूर सरयू नदी के पार महेशपुर में जगदंबा सिंह और जदुनंदन सिंह से 4 करोड़ रुपये में 14,860 वर्ग मीटर भूमि खरीदी थी।
अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय ने तो उच्चतम न्यायालय के फैसले से लगभग 2 महीने पहले 18 सितंबर, 2019 को हरीश कुमार नाम के व्यक्ति से लगभग 30 लाख रुपये में 1,480 वर्ग मीटर भूमि खरीदी थी। इसके बाद दिसंबर 2021 में ही राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कुछ नेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर के आसपास की जमीन की कथित तौर पर खरीद करने के मामले में जांच का आदेश दिया था। इसके अलावा वर्ष 2021 में ही अयोध्या के एक महंत ने राम मंदिर ट्रस्ट के सदस्यों, एक स्थानीय भाजपा विधायक,मेयर उपाध्याय के भतीजे और एक सरकारी अधिकारी के खिलाफ सरकारी जमीन खरीदने में धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए उत्तर प्रदेश पुलिस से शिकायत की थी। इतना ही नहीं हनुमानगढ़ी मंदिर के महंत धर्मदास ने राम मंदिर निर्माण के लिए एकत्रित धन का दुरुपयोग कर देश के नागरिकों को धोखा देने का आरोप लगाते हुए ट्रस्ट के सदस्य चंपत राय को तत्काल बर्खास्त करने की भी मांग की थी। दर्ज शिकायत के मुताबिक,अयोध्या राम मंदिर ट्रस्ट के सभी सदस्यों के अलावा, गोसाईगंज विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक इंद्र प्रताप तिवारी, अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय के भतीजे दीप नारायण उपाध्याय और फैजाबाद के उप-रजिस्ट्रार एसबी सिंह के खिलाफ शिकायत की थी।
वर्ष 2021 में आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह और सपा सरकार में मंत्री रहे तथा अयोध्या के पूर्व विधायक तेज नारायण ‘पवन’ पांडेय ने राम मंदिर का निर्माण करा रहे ‘श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट’ के महासचिव चंपत राय पर आरोप लगाए थे कहा था कि राम मंदिर ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्र की मदद से 18 मार्च 2021 को 2 करोड़ रुपये कीमत की जमीन 18 करोड़ रुपये में खरीदी थी। इतना ही नहीं इसे मनी लॉन्ड्रिंग का मामला बताते हुए केंद्रीय जांच ब्यूरो और प्रवर्तन निदेशालय से मामले की जांच कराने की मांग की थी।
हालांकि वर्ष 2021 में ‘श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्यों ने जमीन खरीद में कथित भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी मामले में बाद में खुद को ही क्लीन चिट दे दी थी।’ केंद्र के भाजपा सरकार ने वर्ष 2019 में उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद इस ट्रस्ट को स्थापित किया था। इसकी घोषणा खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 फरवरी 2020 को संसद में की घोषणा की थी। ‘राम मंदिर ट्रस्ट’ के 15 सदस्यों में से 12 केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा नामित किए गए थे, बाकी 3 सदस्यों को चुना गया था।